सीवीसी ने अडानी समूह को लीज पर दिए गए छह हवाई अड्डों के जांच के दिए निर्देश

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केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने विमानन मंत्रालय से कहा है कि अडानी समूह को 6 हवाई अड्डों को लीज पर देने में अनियमितता के आरोप सामने आए हैं उसकी जांच करे। सीवीसी के अतिरिक्त सचिव ने मंत्रालय को भेजे पत्र में कहा है कि भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) की इस अनियमितता की जल्द इंक्वायरी कराई जाए। सीवीसी ने अडानी समूह के  नाम के बजाय निजी कम्पनियों का उल्लेख किया है।

सीपीएम के राज्यसभा सदस्य एलामरम करीम ने सीवीसी को 4 सितंबर, 2020 को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि एएआई ने छह हवाईअड्डे अडानी की कंपनियों को लीज पर देने में वित्तीय अनियमितता बरती है। इस ढील के जरिये निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। सीपीएम सांसद ने पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं कि मोदी सरकार ने अडानी समूह को देश के 6 हवाई अड्डों के संचालन और देखरेख का ठेका देने में सारे नियमों को ताक पर रख दिया है।

सीपीएम सांसद के पत्र के 13 दिन बाद सीवीसी ने इस पत्र को नागरिक विमानन मंत्रालय को इस नोट के साथ भेजा है कि संलग्नों सहित शिकायत को नागरिक विमानन मंत्रालय के सीवीओ को आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रेषित किया जा रहा है। सीसीआई ने अपने पत्र में कहा है कि शुरुआती जांच में पाया गया कि इस लीज प्रक्रिया में न तो एएआई और न ही मंत्रालय ने तय नियमों का पालन किया है। टेंडर में भी कंपनियों को बाजार मूल्य के मुकाबले कम कीमत पर प्रस्ताव दिया गया।

सीपीएम सांसद के पत्र में अडानी एंटरप्राइजेज को छह हवाई अड्डों का पट्टा देने के सम्बंध में आरोप लगाए गये हैं कि अडानी एंटरप्राइजेज को देश के 6 हवाई अड्डे 50 साल के लिए देना एएआई एक्ट 1994 का उल्लंघन हैं जिसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी हवाई अड्डे को किसी निजी व्यक्ति या कार्पोरेट को 30 वर्ष से अधिक के लिए लीज पर नहीं दिया जा सकता। नागरिक विमानन मंत्रालय ने गैरजरूरी तत्परता दिखाते हुए 28 फरवरी, 2020 को प्रक्रिया पूरी की ताकि अडानी एंटरप्राइजेज को फायदा मिल सके।

नीलामी की प्रक्रिया में मंत्रालय ने अनावश्यक नियम जोड़े जिससे एयरपोर्ट संचालन करने वाली बड़ी संस्थाएं नीलामी प्रक्रिया से बाहर रहीं। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा दी गई बोली की मौजूदा प्रति यात्री शुल्क से तुलना नहीं की जिससे यह पता लग सकता कि नीलामी बोली से कितना फायदा होगा। सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीपीएसी) को प्रस्तुत परियोजना रिपोर्ट अनिर्णायक है और एएआई ने हवाई अड्डों को लीज पर देने से पहले परियोजना का सावधानीपूर्वक अध्ययन नहीं किया।

सीपीएम सांसद ने आरोपों में कहा है कि अडानी एंटरप्राइजेज को हवाई अड्डों को सौंपने से पहले ऑपरेशन और प्रबंधन के नियम लागू नहीं किए गए, जो बोलीदाता की परिचालन क्षमताओं को मापना अनिवार्य बनाते हैं। अडानी एंटरप्राइजेज को पट्टे पर दिए गए सभी छह हवाई अड्डे शहरों के बीच में हैं और गैर-वैमानिकी व्यवसायों से राजस्व प्राप्त करने की गुंजाइश बहुत अधिक है। फिर भी मंत्रालय ने इस संबंध में कोई बाध्यता नहीं रखी। न तो एएआई और न ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने किसी भी उचित सावधानी और विवेक का उपयोग किया।

सीपीएम सांसद ने इस मामले में कार्यवाही की मांग करते हुए सितंबर के पहले सप्ताह में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को पत्र लिखा था। पत्र में सीपीएम सांसद ने कहा है कि बोली के दस्तावेज़ों में कुल परियोजना लागत, न्यूनतम बोली मूल्य आदि सहित अधिकांश महत्वपूर्ण वित्तीय मापदंडों को खुला रखा गया था, जिससे निजी क्षेत्र को अपने तरीके से अनुबंध को आकार देने की स्वतंत्रता मिल गई। उन्होंने लिखा है कि वित्तीय अनियमितताएं इस स्तर की और गंभीर हैं कि इस मामले की जांच किसी उच्च एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी से पहले अडानी समूह ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ एक करार किया था जिसमें अहमदाबाद, मेंग्लुरु, लखनऊ हवाई अड्डों के प्रबंधन, संचालन और विकास का काम समूह को मिला था। अडानी समूह ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा था कि उसे इस काम के लिए 50 साल का कंसेशन पीरियड मिला है।अहमदाबाद, मेंग्लुरु और लखनऊ के अलावा अडानी समूह को जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुर हवाई अड्डों के संचालन का ठेका भी पिछले साल मिला था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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