किसानों ने पहचाना कॉरपोरेट-सरकार का गठजोड़, पंजाब में रोकी जा रही हैं अडानी की ट्रेनें

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28 अक्तूबर को संगरूर के गांव डसका के नौजवान अमृतपाल सिंह संगरूर के रेलवे ट्रैक पर खड़े हो गए, ताकि ट्रेन आगे न जा सके। अमृतपाल का कहना है कि यह रेल अडानी ग्रुप की है, जिसे हम चलने नहीं देंगे। अमृतपाल किसान यूनियन सिद्धूपुर के साथ जुड़े हुए हैं और उनका कहना है कि जो हमारी जत्थेबंदियों के आदेश हैं हम वैसा ही करेंगे और इसलिए हमने ऐसा ही किया है।

मुनक बार्डर पर लंबे समय से धरनारत जत्थेबंदी ब्लॉक मुनक के प्रधान गुरलाल सिंह कहते हैं, “सिर्फ़ सरकारी ट्रेनें चलाने का फैसला हुआ था। ये रेलगाड़ी इसलिए रोकी गई क्योंकि यह अडानी ग्रुप की थी। यदि आगे भी ऐसा हुआ तो हमारी जत्थेबंदियां कॉरपोरेट घरानों की ट्रेनों को इस तरह से रोकेंगी।”

इससे पहले पिछले दिनों अडानी सायलो प्लांट के अधिकारियों ने एक मालगाड़ी गेहूं भर कर अन्य राज्य में भेजने के लिए मंगवाया था। जब मालगाड़ी सायलो प्लांट की तरफ जाने लगी तो स्टेशन पर धरना दे रहे किसान वाहनों में सवार होकर उसके पीछे भागे और उसे घेर कर उन्होंने प्लांट के अंदर जाने नहीं दिया था।

बता दें कि पंजाब के किसान ‘रेल रोको’ आंदोलन के तहत रेल की पटरियों पर धरने पर बैठ कर रेल सेवा को बाधित कर रहे थे, लेकिन पंजाब विधानसभा में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने वाला विधेयक पारित करने और पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा अपील करने के बाद किसान रेल सेवा को सुचारु रूप से चलने देने पर राजी हो गए थे। किसानों ने फ़ैसला लिया है कि जिन रेलों में कृषि में इस्तेमाल होने वाला सामान आता है, उन सरकारी रेलों को चलाने दिया जाए। इस फैसले के बाद ट्रेनें चलने भी लगीं। किसानों का कहना है कि हमने केवल सरकारी रेल सेवा को चलने देने पर हम भारी है, अडानी की रेल पर नहीं है।

अडानी-अंबानी के शॉपिंग मॉल, गोदाम, पेट्रोल पंप के सामने धरना
पंजाब में किसान लगातार अडानी-अंबानी जैसे बड़े कार्पोरेट के खिलाफ़ मोर्चा खोल रहे हैं। गांधी जयंती से एक दिन पहले किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने किसानों से कॉरपोरेट घरानों के सामानों का बहिष्कार करने की अपील की थी। तब से लगातार किसान कॉरपोरेट के सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। किसानों का ‘कॉरपोरेट सामान बहिष्कार आंदोलन’ गांधी के ‘स्वदेशी आंदोलन’ के तहत विदेशी कपड़ों के बहिष्कार करने की मुहिम से प्रेरित है।

वहीं पंजाब में रिलायंस के पेट्रोल पंप, स्टोर और शॉपिंग माल्स के सामने किसानों द्वारा लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।

दशहरा पर नरेंद्र मोदी के साथ जलाए गए अडानी-अंबानी
किसानों ने सबसे पहले 1 अक्टूबर को विरोध-प्रदर्शन के दौरान अमृतसर के जंडियाला में अडानी और अंबानी का पुतला फूंका था। अब दशहरा पर व्यापक तौर पर पूरे पंजाब और हरियाणा में सैंकड़ों जगहों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले को रावण के रूप में फूंका गया। खास बात ये कि उसके अन्य सिरों में मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और अंकल सैम (संयुक्त राज्य अमेरिका) थे। यानि किसानों ने पहचान कर ली है कि दक्षिणपंथी राजनीति के साथ-साथ पूंजीवादी व्यवस्था और कॉरपोरेट उनके मुख्य दुश्मन हैं।  

भटिंडा के मल्टीपरपज स्पोर्ट्स स्टेडियम, गवर्नमेंट स्कूल स्टेडियम संगत, नथाना, मौर, पीडब्लूडी ग्राउंड रामपुरा रेलवे स्टेशन, ट्रैक्टर मंडी तलवंडी साबो, मनसा जिला, बुधलड़ा, सर्दुलगढ़, सिगरुर, बरनाला, मलेरकोटला, मंडी अहमदगढ़ फिरोजपुर आदि कई जगहों पर नरेंद्र मोदी के साथ अडानी, अंबानी जैसे कॉरपोरेट के पुतलों को भी जलाया गया। पूरे पंजाब में कुल 800 के करीब नरेंद्र मोदी के पुतले ‘किसानों के रावण’ के रूप में जलाए गए। कमोबेस ऐसा ही हरियाणा में भी हुआ।

किसानों ने अपने अब तक के आंदोलन से इतना तो जान लिया है कि उनका असल दुश्मन पूंजीवादी व्यवस्था और कॉरपोरेट है।

5 नवंबर को देशव्यापी चक्काजाम
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने हाल ही में बने कृषि कानूनों के खिलाफ पांच नवंबर को देश व्यापी चक्का जाम करने का एलान किया है।एआईकेएससीसी से जुड़े और इसे समर्थन दे रहे करीब चार सौ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज शनिवार को यहां बैठक की। बैठक में फैसला लिया गया कि 5 नवंबर को चक्का जाम कार्यक्रम के बाद 26 और 27 नवंबर को ‘दिल्ली चलो, डेरा डालो, घेरा डालो’ आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार पर किसान कानूनों को वापस लेने का दबाव डाला जाएगा।

बता दें कि एआईकेएससीसी के अलावा देश के 15 राज्यों के किसान संगठन सामूहिक तौर पर कृषि कानून और बिजली विधेयक के खिलाफ आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। इस आंदोलन की सफलता को सुनिश्चत करने के लिए संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया गया है, जिसमें वीएम सिंह, योगेंद्र यादव, राजू शेट्टी, बलबीर सिंह राजेवाल और गुरनाम सिंह को सदस्य मनोनीत किया गया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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