अन्वय की पत्नी और बेटी।

अर्नब की गिरफ्तारी से इंसाफ की नई उम्मीद जगी: अन्वय की पत्नी और बेटी

मुंबई के इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार हुए रिपब्लिक के मालिक अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर जहां भारतीय जनता पार्टी और मोदी कैबिनेट में शोक और आक्रोश का माहौल है, वहीं अन्वय नाइक की पत्नी और बेटी ने कहा कि हमें अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी से तसल्ली मिली है। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इसके लिए मुंबई पुलिस के प्रति आभार व्यक्त किया है। अन्वय की पत्नी ने कहा कि अर्नब की गिरफ्तारी से तसल्ली मिली है, और 2 साल बाद इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है।  

अन्वय नाइक की पत्नी ने भगवान गणेश और महाराष्ट्र पुलिस का आभार जताया। उन्होंने अपनी बेटी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘आज संकष्टी चतुर्थी का दिन, मैं मेरे गुरु गणपति का आभार मानती हूं। मैं 5 मई, 2018 का दिन भूल नहीं सकती। मैं अक्षता नाइक और मेरी बेटी 2018 को भूल नहीं सकते।’ अक्षता ने आगे कहा, ‘मैंने महाराष्ट्र पुलिस से पहले कई लोगों से गुहार लगाई, कई नेताओं के पास गई लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं की। आज की कार्रवाई के लिए महाराष्ट्र पुलिस को सलाम ठोकती हूं।’

अन्वय नाइक की पत्नी और बेटी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम पर पहले पुलिस से इस बात का बहुत दबाव था कि इस केस को बंद कर दिया जाए। हमारे पिता ने अर्नब को मेल लिखी थी कि हमारे पैसे लौटा दें, हमारे लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया था, लेकिन वह मेरे पिता से मिले तक नहीं। नाइक की बेटी अदन्या ने आरोप लगाया कि रिपब्लिक टीवी से पेमेंट नहीं मिलने की वजह से परेशान होकर उनके पिता और दादी ने जान दे दी। 

उन्होंने कहा कि हम इस मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहते हैं। मैंने अपने परिवार के दो सदस्य इस मामले की वजह से गंवा दिए हैं। हम चाहते हैं कि लोग समझें कि किस तरह अर्नब गोस्वामी जैसे ताकतवर लोग आराम से बच निकलते हैं। यह गिरफ्तारी पहले ही होनी चाहिए थी।

अर्नब की गिरफ़्तारी पर बीजेपी की प्रतिक्रिया पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि, “यदि किसी को आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए विवश करने) के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और बीजेपी उस पर प्रदर्शन करती है, तो उन्हें इसका अधिकार है, लोकतंत्र में सबको विरोध करने का अधिकार है। किन्तु मैं यह पक्का कह सकता हूँ कि इस तरह से किसी को भी न्याय नहीं मिलेगा।”

वहीं महाराष्ट्र टीवी जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने अर्नब की गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, अर्नब की गिरफ़्तारी का पत्रकारिता से कोई संबंध नहीं है, उन्हें एक निजी केस में गिरफ्तार किया गया है। 

एसोसिएशन ने यह भी कहा कि सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और कानून को अपना काम करने देना चाहिए। हम पत्रकार होने के नाते सच के साथ खड़े हैं। 

बता दें कि कल अलीबाग पुलिस द्वारा अर्नब की गिरफ़्तारी के बाद अलीबाग कोर्ट ने पुलिस की मांग को स्वीकार करते हुए गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। कोर्ट ने अर्नब के इस आरोप को भी ख़ारिज कर दिया था कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की है। 

हैरानी इस बात से है कि जो सरकार, मंत्री, मुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता अर्नब की गिरफ़्तारी से आहत हैं वे उस परिवार की न्याय पर एक शब्द नहीं बोल रहे हैं जिन्होंने अपने परिवार के दो लोगों को खो दिया! 

अब लोग सवाल कर रहे हैं कि बीते 6 सालों में बीजेपी शासन में कितने पत्रकार गिरफ्तार हुए हैं? कितने पत्रकारों पर देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ है? अकेले उत्तर प्रदेश में कितने पत्रकारों पर सरकारी कार्रवाई हुई है? 

खबर है कि, महाराष्ट्र में बीजेपी विधायक राम कदम ने गवर्नर ने मुलाकात कर अर्नब की गिरफ़्तारी के खिलाफ कदम उठाने की मांग की है। 

इधर, अदालत द्वारा अर्नब गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद उनके वकील आबाद पोंडा और गौरव पारकर ने जमानत के लिए याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल की है और अर्नब की गिरफ्तारी को चुनौती दी है। वकील पोंडा के मुताबिक, कोर्ट ने पुलिस से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और मामले को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

(पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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