किसानों से डरी सरकार ने कोविड को बनाया बहाना, संसद का शीतकालीन सत्र किया रद्द

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पश्चिम बंगाल, तमिलनाड़ु में भाजपा ताबड़तोड़ रैलियां और रोड शो कर रही है। इन रैलियों और रोड शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हो रहे हैं। पूरे देश में शादी समारोह हो रहे हैं। पूरे देश में धार्मिक समारोह हो रहे हैं। पूरे देश में राजनीतिक समारोह हो रहे हैं। कोरोना प्रकोप के बीच बिहार चुनाव में भाजपा ने जमकर रैलियां कीं, जिसमें नरेंद्र मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ तक शामिल हुए थे।

कहने का लब्बोलुबाब ये कि इस देश में कोरोना की वजह से कोई गतिविधि, समारोह, पब्लिक जमावड़ा नहीं रुक रहा है, लेकिन मोदी सरकार ने एलान कर दिया है कि कोरोना की वजह से संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा। दरअसल सरकार शीतकालीन सत्र का नहीं इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रश्न पूछने की सहूलियत का गला घोंट रही है। एक ओर संसद भवन के ढांचे पर हथौड़ा चलाया जा रहा है, दूसरी ओर संविधान संवत लोकतंत्र की आत्मा को मारा जा रहा है।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद के शीतकालीन सत्र को न बुलाने का फैसला थोपते हुए कहा है, “सभी पक्ष सत्र को रोकने पर सहमत हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए शीतकालीन सत्र के पक्ष में कोई नहीं था। ऐसे में जनवरी में सीधे बजट सत्र बुलाया जाएगा।”

ये बात प्रहलाद जोशी ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की एक चिट्ठी के जवाब में कही है, जिसमें अधीर रंजन चौधरी की तरफ से शीतकालीन सत्र के लिए मांग की गई थी, जिसमें बड़े पैमाने पर हो रहे किसान विरोध प्रदर्शनों को लेकर विवादास्पद नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने की मांग की गई थी।

केंद्र सरकार की ओर से प्रहलाद जोशी ने दावा किया है कि सभी दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया था और सर्वसम्मति से कोविड-19 के कारण सत्र न बुलाए जाने पर सभी सहमत हुए थे।

वहीं कांग्रेस नेता और सांसद जयराम रमेश ने प्रहलाद जोशी के झूठ का पर्दाफाश करते हुए कहा है, “राज्यसभा में विपक्ष के नेता की सलाह नहीं ली गई थी। श्री प्रहलाद जोशी हमेशा की तरह सच्चाई से भाग रहे हैं।”

वहीं दूसरी तरफ हाल ही में कांग्रेस की ओर से किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सत्र की मांग की गई थी। इसके अलावा विपक्ष के कई अन्य दल भी किसानों के मुद्दों को लेकर सत्र की मांग कर रहे थे।

बता दें कि देश में पिछले 20 दिन से कई किसान संगठन केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। सरकार और किसान संगठन के प्रतिनिधियों के बीच कई राउंड की बैठक भी हो चुकी है।

बता दें कि मानसून सत्र में विपक्ष को बंधक बनाकर बिना चर्चा के ही तीन कृषि अध्यादेशों को सरकार द्वारा कानूनी जामा पहना दिया गया था। बाद में विपक्ष के संसद सत्र बहिष्कार के बीच मोदी सरकार द्वारा लेबर कानून पास करवा लिए गए थे। तमाम विपक्षी दलों के प्रतिनिधि कृषि विधेयक पर हस्ताक्षर न करने और संसदीय समिति को वापिस भेजने का ज्ञापन लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिले थे।

फिलहाल लगभग सभी विपक्षी और स्थानीय राजनीतिक दल कृषि कानूनों के विरोध में हैं। शीतकालीन सत्र बुले जाने की स्थिति में नरेंद्र मोदी सरकार को तमाम तरह के सवालों से जूझना पड़ता और उनके कॉरपोरेटहित और फरेब को नंगा किया जाता। इन सब फजीहतों से बचने के लिए सरकार ने संसद का शीतकालीन सत्र कोरोना के बहाने टाल दिया है। कोरोना के बीच ही लाखों किसान पिछले 20 दिन से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।

आज ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि देश में दैनिक कोविड-19 केस कम हुए हैं।

आज ही केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से कोविड-19 पर आंकड़े साझा किए गएं हैं, जिसमें बताया गया है कि रोजाना के कोविड-19 केसों में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं कोरोना से होने वाली मृत्यु दर में भी कमी दर्ज की गई है। फिलहाल देश में 3.35 लाख करीब एक्टिव कोरोना वायरस केस हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने आंकड़ों में रिकवरी रेट लगातार बढ़ने के दावे किए हैं।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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