किसानों की पीड़ा बर्दाश्त न होने पर संत बाबा राम सिंह ने की खुदकुशी

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केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान बुधवार को संत बाबा राम सिंह ने सिंघू बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली। वह किसान आंदोलन में शामिल थे। मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि बाबा किसानों की समस्याओं और आंदोलन को लेकर दुखी थे। हरियाणा, पंजाब के साथ ही दुनिया भर में संत बाबा राम सिंह को सिंगड़ा वाले संत के नाम से जाना जाता था। वे सिंगड़ा वाले डेरे के अलावा विश्व भर में प्रवचन करने के लिए जाते थे।

संत बाबा राम सिंह के पास से सुसाइड नोट भी मिला है। गुरुमुखी में लिखे इस नोट के बारे में बताया जा रहा है कि संत बाबा राम सिंह किसानों पर सरकार के रवैये से आहत थे, जिस कारण उन्होंने यह कदम उठाया है।

इस घटना के बारे में मोदी कैबिनेट की पूर्व मंत्री और अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर लिखा है, “केंद्र सरकार की जिद और किसानों की हालात को नजरअंदाज करने के कारण सिंघरा वाले बाबा राम सिंह जी ने ख़ुदकुशी कर ली।”

हरसिमरत कौर ने लिखा कि किसानों की दुर्दशा और कष्ट को न सह पाने के कारण बाबा राम सिंह ने आत्महत्या की है। उम्मीद है कि इस त्रासदी के बाद भारत सरकार जागेगी और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी।

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी संत बाबा रामसिंह की आत्महत्या पर ट्वीट कर लिखा है, “करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है। ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो!”

संत बाबा रामसिंह पिछले काफी दिनों से दिल्ली के पास हो रहे आंदोलन में शामिल थे। उन्होंने एक शिविर की भी व्यवस्था की थी और कंबल भी बांटे थे।

ख़बरों के अनुसार, संत बाबा रामसिंह करनाल के पास नानकसर गुरुद्वारा साहिब से थे और वे कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे थे। वे पिछले काफी दिनों से दिल्ली के पास हो रहे आंदोलन में शामिल थे।

संत बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में कथित तौर पर लिखा- “किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है जो कि जुल्म है जो जुल्म करता है वह पापी है जुल्म सहना भी पाप है किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है यह जुल्म के खिलाफ आवाज है यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह”

वह सिखों की नानकसर संप्रदाय से जुड़े हुए थे। नानकसर संप्रदाय में संत बाबा राम सिंह का बहुत ऊंचा स्थान माना जाता है।

बता दें कि इससे पहले कुंडली बॉर्डर पर मंगलवार को किसानों के आंदोलन के दौरान एक किसान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ था। मृतक किसान मक्खन सिंह पंजाब के भिंडर कलां के रहने वाले थे। जो मौत से तीन दिन पहले ही आंदोलन में शरीक हुए थे। किसान नेताओं का कहना है कि हर रोज किसान आंदोलन के दौरान लोग मर रहे हैं। सिंघू बॉर्डर से किसान नेता जगजीत सिंह ने कल ही कहा था, “बड़े दुख से ये बात बताना पड़ रहा है कि जबसे हमने दिल्ली में आकर आंदोलन लड़ना शुरू किया, यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान, रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है। हम 20 तारीख को पूरे देश में इन सभी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।”

वहीं, एक दूसरी घटना में दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर धरना देकर ट्रैक्टर पर सवार हो कर पटियाला लौट रहे पंजाब के दो किसानों की हरियाणा के करनाल जिले में एक ट्रक की चपेट में आने से मंगलवार सुबह मौत हो गई थी। किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से अब तक 17 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है। अब तक हुई तमाम वार्ताएं फेल हो चुकी हैं और सरकार अभी भी अपनी जिद पर अड़ी हुई है।

(वरिष्ठ पत्रकार नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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