कोवैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने जारी की एडवायजरी


कोविड-19 के खिलाफ़ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए भारत बायोटेक निर्मित COVAXIN  को लेकर लगातार संशय और डर गहराता जा रहा है। इस बीच कंपनी ने अपनी वैक्सीन के बाबत कुछ शर्तें जारी की हैं। कंपनी ने अब अपनी वेबासाइट पर एक बयान अपलोड करके बताया है कि किन लोगों को कोवैक्सीन नहीं लगवाना है।

भारत बायोटेक के बयान के मुताबिक एलर्जी पीड़ित, बुख़ार, ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले, वो लोग जो ख़ून पतला करने की दवाई लेते हैं, वो लोग जो इम्युनिटी को लेकर दवाई लेते हैं, उन्हें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन नहीं लगवाना चाहिए। इनके अलावा गर्भवती महिलाएं और वो महिलाएँ जो स्तनपान कराती हैं उन्हें भी इस वैक्सीन से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

कंपनी ने अपने बयान में आगे कहा है कि “कोवैक्सीन गंभीर एलर्जिक रिएक्शन की वजह बन सकती है। इसके कारण सांस लेने में दिक़्क़त, चेहरे या गर्दन पर सूजन, तेज़ धड़कन, शरीर पर रैश, चक्कर और कमज़ोरी जैसी समस्या हो सकती है।” बता दें उपरोक्त लक्षण कोवैक्सीन के ट्रायल तीन में कई प्रतिभागियों में देखे गये हैं। कोवैक्सीन लगाने के बाद 447 लोगों में इसके साइड इफेक्ट दिखे हैं। इनमें से तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। 

इसके अलावा भारत बायोटेक ने अब फैक्टशीट जारी की है, जिसमें वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी दी गई है।

हालांकि कोवैक्सीन की क्लीनिकल एफिकेसी दर कंपनी द्वारा अभी भी नहीं बताई गई है। अब भी वैक्सीन के फ़ेज तीन के क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन चल रहा है। भारत बायोटेक कंपनी ने ये भी कहा है कि वैक्सीन लगाने का मतलब ये नहीं है कि कोविड-19 को रोकने के लिए परहेजों का पालन नहीं करना है।

वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश के मुताबिक राज्य और वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को ये अधिकार नहीं दिया गया है कि वो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया निर्मित ‘कोवीशील्ड’ और भारत बायोटेक निर्मित ‘कोवैक्सीन’ में कोई एक विकल्प के तौर पर चुन सकें। हालांकि वैक्सीन लगवाना या न लगवाना भारत में अनिवार्य नहीं है। ये स्वैच्छिक है।

कोविड-19 के खिलाफ 16 जनवरी, 2021 से देश में चालू हुए टीकाकरण अभियान के तहत ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ लगाये जा रहे हैं। बता दें कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने बीते रविवार कोरोना वायरस से बचाव के लिए तैयार की गई  कोविशील्ड व कोवैक्सीन को मंज़ूरी  दिया है।

कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका का भारतीय संस्करण है वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है जिसे ‘स्वदेशी वैक्सीन’ भी कहा जा रहा है। कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है। वहीं, कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर बना रही है। ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी ब्रिटेन में मिलने के बाद ऐसी पूरी संभावना थी कि कोविशील्ड को भारत में मंज़ूरी मिल जाएगी और आख़िर में यह अनुमति मिल गई। भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अभी जारी है और इफिकेसी डेटा अब तक उपलब्ध नहीं है।

16 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिला अस्पताल में तैनान वॉर्ड ब्वॉय महिपाल को कोरोना वैक्सीन दिया गया था। और 30 घंटे बाद ही उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों का कहना था कि टीका लेने के बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। 

इससे पहले भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगवाने वाले दीपक मरावी नाम के वॉलंटियर की 21 दिसंबर को मौत हो गई थी। मरावी टीला जमालपुरा स्थित सूबेदार कॉलोनी में अपने घर में मृत पाए गए थे। परिवार ने मौत पर सवाल उठाए थे।

वहीं केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार सबसे पहले कोविड 19 वैक्सीन हेल्थकेयर कर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगों को दी जाएगी। सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल को मिलकर इनकी संख्या 80 लाख से एक करोड़ बताई जा रही है। इनके बाद क़रीब दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी राज्य पुलिसकर्मियों, पैरामिलिटरी फ़ोर्सेस, फ़ौज, सैनिटाइजेशन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद 50 से ऊपर उम्र वालों और 50 से कम उम्र वाले उन लोगों को जो किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें वैक्सीन लगाई जाएगी। भारत में ऐसे लोगों की तादात 27 करोड़ है। 50 साल से कम उम्र के वो लोग भी टीकाकरण अभियान में शामिल होंगे जिनमें कोरोना के लक्षण हों।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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