गृहमंत्री के लिए रोल मॉडल है नार्थ-ईस्ट के दंगों की दागदार दिल्ली पुलिस

अगर ऐसी सांप्रदायिक दिल्ली पुलिस को देश का गृहमंत्री पुलिसिंग का रोल मॉडल बताकर दुनिया को दिल्ली पुलिस से पुलिसिंग सीखने नसीहत देता है तो आप समझ सकते हैं कि इस देश की मौजूदा सरकार का देश के संविधान में, लोकतंत्र में और न्यायिक व्यवस्था में कितना भरोसा है। बता दें कि दिल्ली पुलिस के साथ बैठक करने के लिए अमित शाह आईटीओ स्थित दिल्ली मुख्यालय पहुँचे थे वहां वो 11 बजे से 5 बजे तक रहे। इसके बाद दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि साल 2020 सभी के लिए चुनौतियों से भरा साल रहा है। चाहे दिल्ली में हिंसा हो या फिर कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन, किसान आंदोलन हो या फिर प्रवासी मजदूरों का मामला हो, दिल्ली पुलिस ने सभी चुनौतियों का शांति से और धैर्य के साथ सामना किया है।

इतना ही नहीं गृहमंत्री अमित शाह ने किसान आंदोलन से निपटने के लिए भी दिल्ली पुलिस की सराहना की है। किसान आंदोलन के पहले दो दिन जिस तरह से दिल्ली पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस, वॉटर कैनन और लाठीचार्ज किया और उन्हें दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में कदम नहीं रखने दिया। वो भी देश देख चुका है।

उन्होंने आगे कहा- “ कई बार इस तरह के कार्यक्रम में जब प्रशंसा के फूल बाँधे जाते हैं इसके दो परिणाम होते हैं एक तो उत्साह बढ़ता है मगर उसके साथ स्थगितता आने का भी भय रहता है। तो मेरा काम है आप सबके दिमाग में से स्थगितता को निकालना। सभी लक्ष्यों को अचीव करें। एक परिपूर्ण पुलिसिंग की अगर किसी को व्याख्या दुनिया भर में देखनी है तो दिल्ली पुलिस में आकर देखे। ऐसी पुलिस की रचना करनी चाहिए। और ये तभी हो सकता है कि पुलिस आयुक्त से लेकर अंतिम कांस्टेबल तक एक टीम के साथ काम करे। सभी अहर्निश आगे क्या अच्छा हो सकता है इसका चिंतन करें सभी लोग नई चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे इसके बारे में अहर्निश सोचते रहें तभी होगा।”

 उन्होंने आगे कहा जिस तरह का काम दिल्ली पुलिस ने किया है गृहमंत्री होने के नाते मैं गौरव के साथ आपको सम्मानित करना चाहता हूँ। कोरोना काल में 7667 दिल्ली पुलिसकर्मी कोविड संक्रमित हुए। 30 की मौत हो गई है। फिर भी ड्यूटी करते हुए कहीं कोई कोताही नहीं हुई।

उन्होंने आगे दिल्ली पुलिस के द्वारा हाल ही में किए गए तीन एमओयू का जिक्र करते हुए बताया कि-“दिल्ली पुलिस और मेंटो नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू हुआ है। ये प्रधानमंत्री का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी स्वप्न है। मैं जब गुजरात में गृहमंत्री और प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे विश्व की पहली फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना गुजरात में हुई थी। उसके पीछे उद्देश्य ये था कि फोरेसिंक साइंस हमारी जांच का अभिन्न हिस्सा बने ताकि क्रिमिनल को पकड़कर सजा दिलाया जा सके।”

इसके अलावा अमित शाह ने पुलिस महकमे और खासकर दिल्ली पुलिस से जुड़े कई पक्षों पर अपनी बात को केंद्रित किया। जिसमें पुलिस बलों को मिलने वाली सुविधाओं और उसे मजबूत बनाने के तरीके शामिल थे। इस मौके पर वह हर तरीके से दिल्ली पुलिस की पीठ थपथपाते दिखे।

दिल्ली पुलिस और दिल्ली हिंसा

साल 2020 के फरवरी महीने की आखिरी सप्ताह में दिल्ली की प्रयोजित हिंसा में राजधानी दिल्ली पूरे 4 दिन जलती रही और दिल्ली पुलिस तमाशा देखती रही, तब तक जब तक कि 52 लोगों को मौत के घाट उतार नहीं दिया गया। सैकड़ों मकान, दुकान, मस्जिदों को फूंक दिया गया। रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को भगवा भीड़ द्वारा लिंच किया गया। इसी हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें दिल्ली पुलिस के कुछ सिपाही हिंदू भीड़ की लिंचिंग के शिकार मुस्लिम समुदाय के 4 घायल युवकों को अस्पताल ले जाने के बजाय उन्हें डंडा हूलते हुए उनसे राष्ट्रगान गवा रहे हैं। और “कह रहे तुझे आजादी चाहिए ना, ले आजादी”। बाद में उनमें से एक युवक की मौत हो गई थी। दिल्ली पुलिस के करतूतों के और भी कई वीडियो वायरल हुए थे एक वीडियो में दिल्ली पुलिस के सिपाही एक घर की छत पर ईंटे पत्थर बटोर रहे हैं। एक और वीडियो में दिल्ली पुलिस के लोग गलियों में लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़ रहे हैं।

वहीं एक वीडियो में दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में हिंदुत्ववादी मॉब हमले कर रही है और दिल्ली पुलिस जिंदाबाद के नारे लगा रही है। दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाली रागिनी तिवारी के कई वीडियो तमाम सोशल मीडिया पर आज भी मौजूद हैं लेकिन उसे और दंगे के मास्टर माइंड भाजपा विधायक कपिल मिश्रा को दिल्ली पुलिस ने पूछ-ताछ करना भी ज़रूरी नहीं समझा जबकि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को ही आरोपी बनाकर पकड़ पकड़कर जेल में भर दिया। इससे पहलसे जामिया के छात्रों के खिलाफ़ दिल्ली पुलिस की बर्बरता के कई वीडियो पूरा देश देख चुका है। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस ने जांच के नाम पर तमाम बुद्धिजीवियों, छात्र-छात्राओं, छात्र नेताओं, समाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ़ फर्जी एफआईआर दर्ज की और चार्जशीट में कई वाम नेताओं के नाम डाले।

अगर ऐसी सांप्रदायिक दिल्ली पुलिस को देश का गृहमंत्री पुलिसिंग का रोल मॉडल बताकर दुनिया को दिल्ली पुलिस से पुलिसिंग सीखने नसीहत देता है तो आप समझ सकते हैं कि इस देश की मौजूदा सरकार का देश के संविधान में, लोकतंत्र में और न्यायिक व्यवस्था में कितना भरोसा है। बता दें कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीनस्थ आती है।

दरअसल गृहमंत्री की यह यात्रा बेहद नाजुक मौके पर हुई है। एक समय जब दिल्ली को चारों तरफ से किसानों ने घेर रखा है और सरकार भी अपनी तमाम कोशिशें करने के बावजूद उनको टस से मस नहीं करा सकी है। ऐसी स्थिति में 26 तारीख के किसानों के ट्रैक्टर मार्च का ऐलान पूरी सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। लिहाजा एक तरफ जहां किसान अपनी तैयारी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अमित शाह भी अपने पुलिस बलों की तैयारी के सिलसिले में ही पुलिस हेडक्वार्टर गए थे। यह कहा जा सकता है कि एक तरफ किसानों की फौज होगी दूसरी तरफ अमित शाह अपने खाकीधारियों को खड़ा करना चाहते हैं। और आज जिस तरह से उन्होंने बातें रखी हैं उसमें इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि कैसे जवानों का विश्वास अपने साथ बनाए रखा जाए। और अगर कोई ऐसा मौका आए जिसमें बल प्रयोग करना पड़े तो सामने खड़े अपने बाप-दादाओं पर लाठी या फिर गोली चलाने में वह संकोच न करें। लिहाजा केंद्रीय गृहमंत्री की इस यात्रा को बेहद रणनीतिक यात्रा के तौर पर देखा जाना चाहिए।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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