हाई कोर्ट हुआ सख्तः कोरोना संकट में यूपी सरकार ने बड़े शहरों पर ज्यादा फोकस किया, गांवों को नहीं

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामले बढ़ने पर चिंता जताई है। उसने यूपी सरकार को फटकार लगाई कि सरकार ने बड़े शहरों पर ज्यादा फोकस किया, गांवों को नहीं। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि सरकार अगले तीन से चार महीने में यूपी में सभी लोगों के टीकाकरण की व्यवस्था करे। हाई कोर्ट ने रेमेडिसविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन और ऑक्सिमीटर के साथ ही कुछ दवाओं की कालाबाजारी होने पर नाराजगी जताई।

हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को पंचायत चुनाव मतगणना की सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में पेश की। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, मेरठ, गौतमबुद्धनगर और आगरा में मतगणना की सीसीटीवी फुटेज पेश करने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग की तरफ से खंडपीठ को बताया गया कि पंचायत चुनाव के मतदान की ड्यूटी करने वाले 28 जिलों के 77 कर्मचारियों और एजेंट्स की मौत हुई है।

याचिका की अगली सुनवाई 11 मई को होगी। खंडपीठ ने हाई कोर्ट के जज जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोविड से मौत के मामले में राज्य सरकार से उनके इलाज का ब्योरा मांगा है।

खंडपीठ ने देश में टीके की कमी पर केंद्र सरकार से भी रिपोर्ट मांगी है। खंडपीठ ने पूछा है कि रूसी टीके स्पूतनिक के आयात की क्या स्थिति है? अदालत ने सुझाव दिया है कि अगर देश में टीके की कमी है तो इसे विदेश से आयात किया जाए। खंडपीठ ने  केंद्र और राज्य सरकार से कोराना संक्रमण से पैदा हुए हालात पर आगे की कार्रवाई की जानकारी मांगी है।

खंडपीठ ने कोराना संक्रमण पर जल्दी काबू पाने के लिए राज्य सरकार से कहा कि सरकार टेंडर की लंबी प्रक्रिया अपनाने के बजाय सीधे इसकी खरीद का प्रयास करे, क्योंकि जिस प्रकार से संक्रमण फैल रहा है और तीसरी लहर आने की आशंका बनी है, वायरस का म्यूटेशन इतना तेज होगा कि यह वैक्सीन के प्रभाव को निष्प्रभावी कर देगा। ऐसे में अब तक किए गए सभी प्रयासों का वांछित परिणाम नहीं मिल सकेगा।

खंडपीठ ने सरकार को वैक्सीन शीघ्र हासिल करने का रास्ता खोजने के लिए कहा है। खंडपीठ ने कहा कि प्रदेश भर में टीकाकरण का कार्य तीन-चार माह में पूरा कर लिया जाए, ‌तभी इसका लाभ मिलेगा। खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि संक्रमण में भले ही कमी आ रही है, लेकिन यह आराम से बैठने का समय नहीं है। तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है, ऐसे में सभी लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण बेहद जरूरी हो गया है। जब तक प्रत्येक व्यक्ति को टीका नहीं लग जाता, तब तक कोई सुरक्षित नहीं है।

खंडपीठ ने यूपी में ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामले बढ़ने पर चिंता जताई। खंडपीठ का मानना है कि सरकार ने बड़े शहरों को ज्यादा फोकस किया और ग्रामीण इलाके, कस्बे और छोटे शहरों में पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। खंडपीठ ने सरकार से शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों के टीकाकरण की विशेष व्यवस्था को लेकर भी जवाब मांगा। खंडपीठ ने यूपी में वैक्सीन की कमी पर भी चिंता जताई और इसके लिए की जा रही टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए।

चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि पंचायत चुनाव में मतदान की ड्यूटी करने वाले 28 जिलों के 77 कर्मचारियों और एजेंट्स की मौत हुई है। बाकी जिलों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। यूपी और केंद्र सरकार ने यूपी में आक्सीजन की कमी पर भी अपना पक्ष रखा। खंडपीठ को बताया गया कि कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों को सरकार ने 30 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है।

खंडपीठ ने प्रदेश के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट को जमाखोरों से जब्त किए गए रेमेडिसविर इंजेक्शन व अन्य जीवनरक्षक दवाएं जल्द रिलीज करने के लिए सम्बंधित मामलों का तीन दिन में निस्तारण करने का आदेश दिया है। खंडपीठ ने डीजीपी यूपी को भी निर्देश दिया है कि वह सर्कुलर जारी कर सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दें कि जब्त की गई दवाओं को रिलीज कराने के लिए 24 घंटे के भीतर संबंधित मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।

खंडपीठ ने मेरठ के ट्रामा सेंटर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में वहां के डीएम की रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में डीएम मेरठ ने कोर्ट को बताया कि मौतें किसी अन्य कारण से हुई हैं। हालांकि वो खंडपीठ के इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि मौतें किस कारण से हुईं और उस दिन सेंटर में कितनी ऑक्सीजन उपलब्ध थी। खंडपीठ ने कहा कि स्पष्ट है कि डीएम ने सही तरीके से जांच नहीं की, जबकि मामले पर न्यायिक स्तर से संज्ञान लेने के बाद उन्हें ऐसा करना चाहिए था। खंडपीठ ने डीएम मेरठ को प्रकरण की विस्तृत जांच कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

लखनऊ के दो अस्पतालों में ऑक्सीजन होने के बावजूद मरीजों को लौटाने के मामले में डीएम लखनऊ ने हलफनामा पेश कर बताया कि सन हॉस्पिटल की जांच में आरोपों को सही पाया गया है। उन्होंने ऑक्सीजन होने के बावजूद मरीजों को लौटाया। इसके लिए अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दूसरे हर्ष हॉ‌स्पिटल ने कोविड अस्पताल न होने के बावजूद गलत तरीके से कोविड मरीजों को भर्ती किया है। खंडपीठ ने अगली तारीख पर इन अस्पतालों पर की गई कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया है। डीएम ने बताया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पर नजर रखने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है।

केंद्र सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि प्रदेश में ऑक्सीजन का कोई संकट नहीं है। मांग और आपूर्ति में मामूली दिक्कत थी, लेकिन इतनी नहीं कि इसकी कमी से किसी की जान चली जाए। प्रदेश में अब पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। मई 2021 में साढ़े आठ करोड़ वैक्सीन उपलब्ध हैं। केंद्र सरकार के पास वैक्सीन की मद में 35 हजार करोड़ रुपये का बजट है। कोवैक्सीन और ‌कोविशील्ड के अलावा और वैक्सीन बाहर से खरीदने के लिए सरकार ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए नियमों में ढील दी है। वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी और इसे कोई भी खरीद सकता है। इस पर कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से राज्य सरकार का पक्ष पूछा तो उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पहले ही ग्लोबल टेंडर जारी कर चुकी है।

अधिवक्ता अनुज सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का ध्यान बड़े शहरों पर ही केंद्रित है। खंडपीठ ने अगली तारीख पर सरकार को ग्रामीण इलाकों और कस्बों में संक्रमण की रोकथाम पर अपनी योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा है। साथ ही दिव्यांग जनों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पर भी अगली सुनवाई पर योजना मांगी है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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