बहुजन राजनीति की दशा और दिशा पर 24 नवम्बर को होगा राजधानी लखनऊ में सम्मेलन

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लखनऊ। जनांदोलन की विभिन्न राजनीतिक धाराओं के प्रतिनिधियों की 7 सितम्बर को लखनऊ में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें प्रदेश की राजनीतिक परिस्थिति व जनमुद्दों पर विचार विमर्श हुआ। बैठक में यह नोट किया गया कि एक तरफ प्रदेश की जन विरोधी सरकार जनता के अधिकारों पर लगातार हमला कर रही है, सरकारी आतंक का वातावरण बना है वहीं दूसरी तरफ परम्परागत विपक्ष पहलकदमी विहीन और डरा हुआ है। प्रदेश में इस स्थिति को जारी नहीं रहने देना चाहिए और जनांदोलन की ताकतों को कारगर विपक्ष की भूमिका निभाने की राजनीतिक चुनौती को स्वीकार करना चाहिए।

बड़े पैमाने पर जनता से संवाद स्थापित करने के लिए प्रदेश के सभी अंचलों में बड़ी बैठकें, सम्मेलन, सेमिनार, पदयात्रा के आयोजन का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में आगामी 24 नवम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की पुण्यतिथि पर बहुजन राजनीति की दिशा और दशा पर प्रदेश स्तरीय सम्मेलन लखनऊ में करने का निर्णय लिया गया।

बैठक में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी को तत्काल वापस लेने का प्रस्ताव लिया गया और यह नोट किया गया कि कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए यह वृद्धि की गयी है। पावर परचेज एग्रीमेंट के नाम पर जो बिजली का दाम बढ़ाया गया है वह दरअसल कारपोरेट कम्पनियों के मुनाफे के लिए सरकार द्वारा किया गया है। इसे जनता बर्दाश्त नहीं करेगी और जिस रेट पर सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों से बिजली ली जा रही है उसी रेट पर निजी क्षेत्र से बिजली लेने की बात की गयी। सरकारी विभागों व उद्योगपतियों के बकाए को तत्काल वसूलने और बिजली उत्पादन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में और निवेश बढ़ाने की मांग की गयी। 

जमीनी स्तर पर चल रहे किसान आंदोलन को प्रदेश स्तर पर संयोजित करने और धान व गन्ना की सरकारी रेट पर खरीद व भुगतान करने की गारंटी की मांग की गयी। आगामी 19 अक्टूबर को मुरादाबाद में आयोजित सभी किसान संगठनों के बड़े सम्मेलन को सफल करने का आह्वान किया गया। प्रदेश में महिलाओं, गरीब तबकों, अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की गयी और चैतरफा प्रतिवाद दर्ज कराने और लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के पक्ष में खड़ा होने का फैसला लिया गया। बैठक में यह नोट किया गया कि उपचुनाव के मौके पर कैराना के हवाले दिया गया मुख्यमंत्री का बयान साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए चुनावी बयान है।

गहरे हो रहे आर्थिक संकट के बारे में यह नोट किया गया कि जीडीपी की गिरती विकास दर दरअसल नई आर्थिक-औद्योगिक नीतियों में निहित है और वक्त की मांग है कि इन नीतियों को पलट दिया जाए और अपनी खेती-किसानी, छोटे मझोले उद्योगों, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने वाली अर्थनीति को आगे ले आने की जरूरत है।

अखिलेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा बुलाई गई इस बैठक में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह, वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व सांसद संतोष भारतीय, पूर्व सांसद इलियास आजमी, किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सिंह, दलित लोकतांत्रिक आंदोलन के नेता पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, स्वराज इंडिया प्रदेश अध्यक्ष अनमोल, पूर्व अध्यक्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ लाल बहादुर सिंह, जनमंच प्रदेश संयोजक एडवोकेट नितिन मिश्रा, कम्युनिस्ट दलित चिंतक डा. बृज बिहारी, किसान मंच प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह, पूर्व आईजी वंशीलाल, वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, एडवोकेट राजन मिश्र, एडवोकेट अजहर, कमलेश सिंह, रमेश सिंह, श्याम मनोहर, ई दुर्गा प्रसाद, सचेन्द्र प्रताप यादव, इकबाल अंसारी समेत ढेर सारे लोग मौजूद रहे।

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