गिनी में सैन्य तख्तापलट: सरकार भंग, राष्ट्रपति अल्फा कोंडे सैनिक हिरासत में

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अफ्रीका देश गिनी में सेना के विद्रोही गुट ने सरकार को हटाकर तख्तापलट कर दिया है। सैन्य तख्तापलट के बाद कुलीन गिनी सेना इकाई ने राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को पद से हटा दिया है और सरकार और संविधान को भंग कर दिया है। वहां के राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को हिरासत में ले लिया गया है। और उनकी गिरफ्तारी का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया है।

राष्ट्रपति की गिरफ़्तारी से पहले रविवार सुबह कोनाक्री में प्रेसिडेंशियल पैलेस के पास फायरिंग हुई। सैन्य सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया था और विशेष बलों की कमान डौंबौया ने संभाली थी। विशेष बलों ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित कई अन्य गिरफ्तारियां की हैं।

कथित तौर पर सरकार के तख्तापलट का नेतृत्व कर्नल ममादी डौंबौया (Col. Mamadi Doumbouya) कर रहे हैं, जो फ्रांसीसी सेना के पूर्व सेनापति और गिनी विशेष बलों के प्रमुख हैं। 

https://twitter.com/theragex/status/1434535211325349896?s=08

तख़्तापलट के बाद गिनी जुंटा ने स्टेट टीवी पर कहा है कि कुलीन लोगों द्वारा लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है और गिनीवासियों को मामले को अपने हाथों में लेना चाहिए। विशेष बलों के जवानों ने टीवी पर कहा कि उन्होंने देश की ज़मीनी और हवाई सीमाओं को बंद कर दिया है।

विद्रोही सैनिकों ने अपने क़ब्जे की घोषणा के बाद देश में लोकतंत्र बहाली का संकल्प व्यक्त किया और खुद को ‘द नेशनल कमेटी ऑफ गैदरिंग एंड डवेलपमेंट’ नाम दिया। इसके बाद सभी राज्य संस्थानों को भंग किया गया, सार्वजनिक प्रसारण को रोक दिया गया है। 

डौंबौया ने कहा कि “हम एक साथ एक संविधान को फिर से लिखने जा रहे हैं।” 

कुलीन सेना इकाई के प्रमुख मामाडी डौंबौया ने कहा कि “गरीबी और स्थानिक भ्रष्टाचार” ने राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को उनके कार्यालय से हटाने के लिए उनकी सेना को प्रेरित किया था। एक मीडिया रिपोर्ट में फ्रांसीसी विदेशी सेनापति डौम्बौया के हवाले से कहा गया है कि  “हमने सरकार और संस्थानों को भंग कर दिया है।

बता दें कि पिछले साल राष्ट्रपति अल्फा कोंडे एक विवादास्पद संवैधानिक संशोधन के बाद तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुने गए थे। पिछले साल अक्टूबर में तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी के बाद विपक्ष ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। 

रिपोर्टों के अनुसार, सरकार ने हाल के हफ्तों में, राज्य के खजाने को भरने के लिए करों में वृद्धि की और ईंधन की कीमत में 20% की वृद्धि की, जिससे लोगों में व्यापक निराशा हुई।

जबकि संवैधानिक संशोधन करके तीसरी बार निर्वाचित होने पर अल्फा कोंडे का कहना था कि उनके मामले में संवैधानिक अवधि की सीमाएं लागू नहीं होतीं। अंततः उन्हें फिर से चुन लिया गया।

कोंडे वर्ष 2010 में सबसे पहले राष्ट्रपति चुने गए थे जो 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद देश में पहला लोकतांत्रिक चुनाव था। कई लोगों ने उनके राष्ट्रपति बनने को देश के लिए एक नयी शुरुआत के तौर पर देखा था लेकिन उनके शासन पर भ्रष्टाचार, निरंकुशता के आरोप लगे।

गिनी (कोनाक्री) तख्तापलट करने वाले कमांडो कर्नल ममादी डौंबौया को

 मुख्य रूप से बुर्किना फासो  के माध्यम से फ्रांसीसी और अमेरिकियों द्वारा भारी प्रशिक्षण दिया गया था। 

इससे पहले अफ्रीकी देश माली में पिछले साल और साल 2017 में जिम्बाब्वे में तख्तापलट करके सैन्य प्रमुख ने चुनी हुयी सरकार को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था। 

जबकि एशियाई देश म्यामांर में इस साल की शुरुआत में तख़्तापलट करके आंग शान शू की समेत तमाम नेताओं और अधिकारियों को गिरफ़्तार कर लिया गया था।

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