हमारा समझौता गिरफ्तारी और मंत्री की बर्ख़ास्तगी पर है, किसान वापस कर देंगे ढाई करोड़ रुपया: राकेश टिकैत

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लखीमपुर खीरी के तिकोनिया जनसंहार कांड में यूपी सरकार और किसान समझौते को लेकर भाकियू प्रावक्ता राकेश टिकैत की भूमिका पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। वहीं समझौते को लेकर उठते सवाल पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हमारा समझौता गिरफ्तारी और मंत्री की बर्ख़ास्तगी पर है। किसी मंत्री ने कहा कि हमारा समझौता हो गया है। अगर वो पैसे पर समझौता करना चाहते हैं तो ये नहीं है। वो अपना अकाउंट नंबर बता दें, हम किसान संगठन मिलकर ढाई करोड़ रुपया सरकार को वापस कर देंगे। हमें उनकी गिरफ़्तारी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि हम आंदोलन को संघर्ष से समाधान की तरफ ले जाना चाहते हैं और वहां भी हमने समाधान निकाला।

किसान नेता राकेश टिकैत ने आगे कहा कि जो समझौता हुआ है वो सिर्फ़ मृतक किसानों के दाह संस्कार तक के लिए है। उनका दाह संस्कार हो गया है। ज्यादा दिन किसी के शव को नहीं रखा जा सकता है। आगे उन्होंने समझौते पर उठ रहे सवाल को लेकर कहा कि यह सिर्फ मेरे अकेले का फैसला नहीं था बल्कि दस हजार लोगों का फैसला था। सरकार ने आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए आठ दिन का समय मांगा है। 12 तारीख के बाद अगर गिरफ़्तारी नहीं होती है तो देशभर में आंदोलन होगा।

क्या समझौता हुआ था

बता दें कि 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने प्रदर्शनकारी किसानों पर पीछे से गाड़ी चढ़ा दी थी। इस हिंसक घटना में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इनमें 4 किसान, 2 भाजपा कार्यकर्ता, एक ड्राइवर और एक पत्रकार शामिल थे।
4 किसानों की मौत से आहत प्रदर्शनकारी किसानों ने लखीमपुर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद योगी सरकार ने किसानों के साथ बैठक करके समझौता किया था। किसानों ने बैठक में प्रशासन के सामने चार बड़ी मांगें रखी थी। इनमें पहली मांग केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को बर्खास्त करना। दूसरी मांग अजय मिश्र के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्र को गिरफ्तार करना । तीसरी मांग के रूप में मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने और मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की थी।

मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है

लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ हत्‍या, आपराधिक साजिश सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज़ किया गया है। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, साथ ही आशीष मिश्रा को पुलिस ने तलब भी किया है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। आयोग को मामले की जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है।
लखीमपुर कांड में किसानों के पक्ष में आवाज़ बुलंद करने वाले वरुण गांधी मां समेत भाजपा की कार्यकारिणी से बाहर कर दिये गये हैं। गौरतलब है कि वरुण गांधी ने गुरुवार को एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा था कि हत्या के जरिए प्रदर्शनकारियों को चुप नहीं कराया जा सकता और जवाबदेही तय होनी चाहिए। वरुण गांधी की टिप्पणी के बाद उन्हें कार्यकारिणी के बाहर किए जाने के फैसले को पार्टी अध्यक्ष की नाराज़गी के तौर पर भी देखा जा रहा है।
गुरुवार को ही भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 80 सदस्यों के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया। लेकिन इस नई कार्यकारिणी में बीजेपी के 2 बड़े नेताओं को इस बार शामिल नहीं किया गया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा गठित पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से सासंद वरुण गांधी के साथ साथ उनकी मां और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को भी बाहर कर दिया गया है।

इस फैसले पर वरुण गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि वह पिछले पांच सालों से एनईसी की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए। बता दें कि वरुण गांधी इस समय उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से लोकसभा सांसद हैं। और पिछले 17 साल से भाजपा में हैं।
गौरतलब है कि वरुण गांधी के तेवरों की वजह से भाजपा को लगातार परेशानी हो रही थी, क्योंकि हाल के दिनों में लखीमपुर हिंसा को लेकर वरुण गांधी लगातार सरकार से कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे। वरुण ने योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में भी लखीमपुर में किसानों की हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को घोषित अपनी नई 80 सदस्यों वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति से वरुण गांधी समेत कुल पांच नेताओं की छुट्टी कर दी है। जिन पांच नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति से बाहर किया गया है उसमें चौधरी बीरेंद्र सिंह, वरुण गांधी, मेनका गांधी, एसएस अहलूवालिया और सुब्रमण्यम स्वामी का नाम शामिल है।

वरुण गांधी और चौधरी दोनों ही नेता कृषि आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार के आलोचक रहे हैं। यहां तक कि पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पिछले साल हरियाणा के रोहतक जिले में एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। वहीं, वरुण गांधी भी किसान आंदोलन को लेकर पिछले कुछ महीने से लगातार ट्वीट करते रहे हैं।

घटना के सूत्रधार मंत्री को भाजपा का क्लीनचिट

वहीं दूसरी ओर भाजपा या नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे लगे कि उन्होंने आरोपी मंत्री के ख़िलाफ़ कोई कदम उठाया है। उल्टा आरोपी मंत्री अपने मंत्रालय का कार्यभार उठाते हुए सानंद मंत्री पद की मौज काट रहा है। वहीं आरोपी मंत्री का इस्तीफा मांगने वालों को भले ही गृहमंत्रालय सरकर के ख़िलाफ़ साजिशकर्ता बता रही है।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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