हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए आदिवासियों ने निकाली पदयात्रा

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रायपुर। जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए हसदेव बचाओ पदयात्रा 4 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देकर शुरू हुई है। हसदेव अरण्य क्षेत्र से प्रारम्भ हुई यह पदयात्रा दस दिनों तक 300 किलोमीटर पैदल चलते हुए 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचेगी ।

सर्वप्रथम इस यात्रा की शुरुआत मदनपुर गाँव के उस ऐतिहासिक स्थान से की गई जहाँ पर वर्ष 2015 में राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य के समस्त ग्राम सभाओं के लोगों को संबोधित करते हुए उनके जल- जंगल -जमीन को बचाने के लिए संकल्प लिया था और कहा था कि वे इस संघर्ष में उनके साथ हैं।

मदनपुर के उसी स्थान पर एकजुट होकर यात्रा प्रारम्भ होने के पहले ग्रामीणों ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और मोदी सरकार की फासीवादी, कॉर्पोरेट परस्त नीतियों पर जम कर हमला बोला।
मदनपुर से प्रारंभ इस पदयात्रा को संबोधित करते हुए हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष उमेश्वर सिंह आर्मो ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि आदिवासी हितों का खुद को रक्षक बताने वाली पार्टी, संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास करने वाले राजनीतिक दल के सत्ता में होने के बावजूद भी हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए यह पदयात्रा निकालनी पड़ रही है। अडानी को जिस प्रकार मोदी सरकार देश के तमाम संसाधनों को सौंपने की कोशिश कर रही है उस प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ सरकार भी अपनी पूर्ण सहभागिता निभा रही है।


छत्तीसगढ़ हसदेव बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार हसदेव के जंगल को बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है। दूसरी ओर इस पूरे मामले में पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री मो. अकबर ने कहा कि कुछ लोगों को गलतफहमी है। उन्हें आशंका है कि लेमरू हाथी कॉरिडोर में कोल ब्लॉक को शामिल किया जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। हाथी रिजर्व का दायरा सरकार ने जो पहले तय किया था, वही रहेगा।

उन्होंने बताया कि 1995 वर्ग किलोमीटर के लिए जल्द नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। हमारी सरकार बनने के बाद इस दिशा में तेजी से पहल की गई है। पूर्व में 2007 से 2018 तक यह प्रोजेक्ट 11 सालों तक लटका रहा था। मंत्री ने यह भी कहा कि जो पदयात्री रायपुर पहुंच रहे हैं उनका स्वागत है, अगर कोई प्रतिनिधि मंडल बात करने के लिए तैयार, तो हम उनसे जरूर बात करेंगे।


खदान खोलने के विरोध में हसदेव कैचमेंट में बसे सरगुजा, कोरबा के दो दर्जन गांवों के आदिवासी ग्रामीण मदनपुर से 4 अक्टूबर को पैदल निकले हैं। इसी जगह राहुल गांधी ने सभा कर खदान नहीं खुलने देने की बात कही थी।
6 अक्टूबर 2021 को हसदेव बचाओ पदयात्रा बिलासपुर से निकलकर रतनपुर पहुँची। पैदल यात्रियों ने कहा कि हमारे पूर्वजों से चलती आ रही संस्कृति है, जंगल में रहना उसका रख-रखाव करना, ताकि हम सबका भी उससे जीवन यापन और गुजर बसर चलता रहे। बूढ़ा देव, करम देव व हमारे अन्य देवी-देवता सब पीढ़ियों से इन्हीं जंगलों में बसे हैं। ऐसे में हम कैसे अपने जंगलों को कटने और उजड़ने दें।

कोयला खदानों के चलते हम अपना सब कुछ खो बैठेंगे। हम किसी भी कीमत पर अपने जंगल और जमीन को नहीं कटने देना चाहते। ये जंगल हमारी संपत्ति हैं, इसको नष्ट करके हम में से कोई भी कैसे संपन्न होगा।

हसदेव बचाओ पदयात्रा में निम्नलिखित माँगों को पुनः दोहराते हुए इस पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की मांग राज्य सरकार से की गई है।

• हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना निरस्त करो।
• बिना ग्रामसभा सहमती के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत किए गए सभी भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त करो।
• पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति के प्रावधान को लागू करो।
• परसा कोल ब्लाक के लिए फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति को तत्काल निरस्त करो एवं ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी और कम्पनी पर FIR दर्ज करो।
• घाट्बर्रा के निरस्त सामुदायिक वनाधिकार को बहाल करते हुए सभी गाँव में सामुदायिक वन संसाधन और व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता दो।
• पेसा कानून 1996 का पालन करो।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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