एफडीए ने दी मंजूरी, अमेरिका में अब 5-11 साल के बच्चों को लगेंगे टीके

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संयुक्त राज्य अमेरिका में फाइजर इंक और बायोएनटेक एसई के कोविड टीके को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA)की मंजूरी मिल गई है। यानि अब यूएसए में 5 साल से लेकर 11 साल के बच्चों को भी कोविड वैक्सीन लगाई जाएगी। गौरतलब है कि यूएसए में कोविड महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक 60 लाख से अधिक बच्चे कोविड के शिकार हुए हैं। और अभी भी हर सप्ताह बड़ी संख्या में अमेरिकी बच्चे कोविड संक्रमित हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक 5-11 साल के 70% बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा है। इलाज के दौरान इनमें से कई की हालत काफी गंभीर हो गई थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक फ़ाइजर इंक और बायोएनटेक एसई के कोविड टीके को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की मंजूरी मिलने के बाद संभावना जतायी जा रही है कि अगले सप्ताह तक यूएसए में 2.80 करोड़ बच्चों का टीकाकरण शुरू किया सकता है। हालांकि बच्चों के वैक्सीनेशन से पहले 2 और 3 नवंबर को रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) की टीकाकरण सलाहकार समिति की बैठक होगी। जिसमें वैक्सीन किसे लगाई जाए और इसे लगाते समय किन बातों का ध्यान रखा जाए, इसे लेकर गाइडलाइंस बनाने के बाबत बातचीत होगी। इसके बाद CDC के डायरेक्टर रोशेल वालेंस्की सलाहकारों की गाइडलाइन पर हस्ताक्षर करेंगे।

वैश्विक स्तर पर चीन में बच्चों को वैक्सीनेशन किया जा रहा है। चीन समेत कुछ देशों में 12 साल से कम उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। चीन में 3 साल के बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है।

वहीं फाइजर इंक और बायोएनटेक एसई के कोविड टीके के साथ ही FDA ने शुक्रवार को डोज का शिपमेंट शुरू करने की इज़ाज़त दे दी है। इन टीकों को देश भर के बाल रोग विशेषज्ञों के दफ्तरों, फार्मेसियों और अन्य स्थानों पर पहुंचाया जाएगा, ताकि CDC की मंजूरी के तुरंत बाद टीकाकरण शुरू हो सके।

FDAके कार्यकारी कमिश्नर जेनेट वुडकॉक ने इस दौरान कहा है कि बच्चों का वैक्सीनेशन करने से सामान्य स्थिति को और से तेजी से बढ़ाया जा सकेगा। वैक्सीन की सुरक्षा और क्षमता को लेकर रिसर्च हुई है, जिसमें वो हाई स्टैंडर्ड पर खरी उतरी है। ऐसे में पैरेंट्स और गॉर्जियन वैक्सीन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हो सकते हैं।
बता दें कि फाइजर और बायोएनटेक ने इस सप्ताह घोषणा की थी कि अमेरिकी सरकार ने 5 करोड़ से ज्यादा खुराकें ख़रीदी हैं। यह वैक्सीन बच्चों को सुरक्षा मुहैया कराने में मदद करती है। एक क्लिनिकल ट्रायल में 2,000 से ज्यादा वालंटियर्स को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि ये टीके महामारी को नियंत्रित करने में 90% से ज्यादा प्रभावी हैं। इसके अलावा 3,000 से ज्यादा बच्चों को टीके से मिलने वाली सुरक्षा का भी अध्ययन हुआ, जिसमें कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाया गया।

क्या कभी पता नहीं चल सकेगा कोरोना की उत्पत्ति का राज

संयुक्त राज्य अमेरिका की ऑफिस ऑफ द यूएस डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ODNI) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना का नेचुरल ओरिजिन है या फिर लैब से लीक होकर पहले इंसान तक पहुंचा, ये दोनों वजहें ही फिलहाल कल्पनाएं हैं। एक्सपर्ट्स इन दोनों में से किसी एक कारण पर सहमति नहीं बना पाए हैं।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि शायद वो यह कभी पता नहीं लगा पाएंगी कि कोविड-19 की उत्पत्ति क्या है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई? यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैला या फिर किसी लैब से लीक हुआ?

वहीं अमेरिकी रिपोर्ट में उन दावों को भी खारिज़ किया गया है कि कोरोना वायरस को बायो वेपन के तौर पर विकसित किया गया है। जो लोग इस थ्योरी का समर्थन करते हैं, उनकी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी तक सीधी पहुंच नहीं है। ये लोग गलत जानकारी फैला रहे हैं। इससे पहले अगस्त में यूएसए के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। उस रिपोर्ट के लगभग 90 दिन बाद यह अपडेटेड रिपोर्ट सामने आई है।

वहीं चीन ने अमेरिकी रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुये वॉशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यु ने कहा है कि कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए अमेरिका वैज्ञानिकों के बजाय खुफिया तंत्र पर भरोसा कर रहा है। यह पूरी तरह से राजनीतिक कदम है। इससे अब तक विज्ञान पर आधारित हुई रिसर्च प्रभावित होगी। साथ ही दुनिया भर में वायरस का स्रोत पता लगाने के लिए जो कोशिशें हुई हैं, उन पर भी असर पड़ेगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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