कलम और वीणा के बेजोड़ साधक पत्रकार कलाकार केपीके कुट्टी का निधन

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान पत्रकारों, फोटोग्राफरों पर हमलों की वारदात की जांच करने वाली प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस आर एस सरकारिया की अध्यक्षता में बनी कमेटी के सदस्य के पी के कुट्टी का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया। दिल्ली के ही लोधी रोड क्रिमेटोरियम में आज उनकी अन्त्येष्टि कर दी गई। वे 89 बरस के थे और कुछ अरसे से अस्वस्थ थे। उनके परिवार में पुत्र विजय, अजय, पुत्रवधू चित्रा, अनीता और दो प्रपोत्री हैं। उनकी पत्नी का 1990 के दशक में निधन हो गया था।

हम कुट्टी सर को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की उपरोक्त कमेटी ही नहीं बल्कि त्रिभाषी न्यूज एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) के समाचार संपादक और फिर महाप्रबंधक एवं मुख्य संपादक के रूप में जानते हैं। यूएनआई का शायद ही कोई कामगार और पत्रकार हो जिन्होंने कुट्टी सर का अप्रतिम मानवीय रूप न देखा हो।

कुट्टी सर का शिक्षा उपरांत पेशेवर करियर 1950 में भारतीय वायु सेना में प्रारंभ हुआ था। लेकिन उनका दिल पत्रकारिता से लग गया। इसलिए वे जनवरी 1960 में दिल्ली में अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के प्रशिक्षु पत्रकार बन गए। वे सन 1961 में यूएनआई कंपनी की देश-विदेश की टेलीप्रिंटर समाचार सेवा शुरू होने के समय इसके उपसंपादक नियुक्त कर लिए गए।

वह यूएनआई से बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में रिटायर हुए। रिटायरमेंट के पहले उनका एक बड़ा काम अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को पत्रकारों और फोटोग्राफरों पर व्यापक हमलों की वारदात की स्वतः स्फूर्त जांच करने वाली प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के काम में हाथ बँटाना था। वह यूएनआई के मुख्य संपादक की पदेन हैसियत से प्रेस काउंसिल के सदस्य थे।

कुट्टी सर ने ही मुझे प्रेस काउंसिल की जनवरी 1993 में लखनऊ के सरकारी गोमती होटल में जांच कार्यवाही शुरू होने पर हिंदी में लिखित गवाही पेश करने की अनुमति दी थी और कुछ मौखिक गवाही देने के लिए भी प्रोत्साहित किया था। यूएनआई से रिटायर होने के बाद कुट्टी इंडो एशियन न्यूज सर्विस (आईएएनएस) के संथापक निदेशक और फिर मेंटर बने। 

कुट्टी सर का शास्त्रीय संगीत से गहरा लगाव था। वे यूएनआई से रिटायर होने के कुछ बरसों बाद केरल के पलक्कड़ जिला के अपने पैत्रिक स्थली कवासेरी जाकर रहने लगे। वहाँ वे आसपास के कई गांवों के स्कूली बच्चों को कर्नाटक संगीत की साधना कराया करते थे। उन्होंने दिल्ली और अन्यत्र भी वोकल और वाद्य संगीत के कार्यक्रम किये। उनका परिवार भी संगीत प्रेमी रहा है।

कुट्टी जी ने 1987 में दिग्गज फिल्म अभिनेता मामूती अभिनीत मलयाली फिल्म न्यू देलही में एक अखबार के मुख्य संपादक की भूमिका निभाई। ये फिल्म बाद में हिंदी, कन्नड़ और तेलुगु में भी बनी। तीनों में कुट्टी जी ने उसी किरदार का अभिनय किया था। इसकी कुछ शूटिंग नई दिल्ली में 9 रफी मार्ग स्थित यूएनआई मुख्यालय पर हुई थी। ( देखें फोटो )

व्यक्तिगत व्यवहार में सौम्य और विनयशील पर लेखन में दृढ़ कुट्टी सर मूलतः केरल के मलयालम भाषी थे। लेकिन अंग्रेजी पर भी उनकी गजब की पकड़ थी। वे आम बोलचाल में संस्कृत के शब्दों का ऐसा प्रयोग करते थे कि सुनने वाले अचंभित रह जाते थे। मसलन गुजरात के सूरत शहर में तैनात यूएनआई के एक रिपोर्टर की अत्यधिक शराब पीने से लीवर व्याधि के कारण मृत्यु हो गई। यूएनआई मुख्यालय पर हुई शोक सभा में कुट्टी सर ने प्रतीकात्मक रूप से मृत्य का कारण बताते हुए सिर्फ इतना कहा ये रिपोर्टर आचमन बहुत करने लगे थे।

(सीपी झा स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं और यूएनआई में बड़े पदों पर रह चुके हैं।)

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