लुधियाना बम विस्फोट से खड़े हुए कई सवाल

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पंजाब के प्रमुख महानगर और औद्योगिक राजधानी का रुतबा रखने वाले लुधियाना में हुए बम धमाके ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। न्यायालय परिसर में हुआ बम धमाका ऐन चुनावों से पहले हुई एक और बड़ी घटना अथवा दुर्घटना है। मौके की नजाकत के लिहाज से राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लुधियाना जाने की घोषणा की। इससे पहले चन्नी ने कहा कि यह विधानसभा चुनावों से पहले रची गई एक बड़ी साजिश है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तथा गृह विभाग के मुखिया सुखजिंदर सिंह रंधावा यकीनन आला पुलिस अधिकारियों से फीडबैक लेकर ही लुधियाना गए। उन्हें यह बेहद संवेदनशील मामला लगता है। लुधियाना जाने से पहले उन्होंने कहा कि पंजाब में गड़बड़ी की बड़ी साजिश रची जा रही है और उसी के तहत औद्योगिक नगरी में बम विस्फोट किया गया।           

वहीं पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मीडिया से रूबरू होकर साफ शब्दों में कहा कि यह सीधे तौर पर ‘एजेंसियों’ की साजिश है। जाहिर है कि उनका इशारा केंद्र की कतिपय एजेंसियों की तरफ है। सिद्धू ने साफ तौर पर कहा कि अब पंजाब में सामुदायिक विद्वेष फैलाने की साजिश की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इसे गहरी साजिश बताया है। शिरोमणि अकाली दल की ओर से भी ऐसे बयान आने लगे हैं।                                       

इन पंक्तियों को लिखने तक किसी आतंकी या आपराधिक संगठन की ओर से लुधियाना बम कांड की जिम्मेवारी नहीं ली गई है। पुलिस भी इस पर खामोश है। साजिश हर तरफ देखी जा रही है। सूबे में सरगोशियां हैं कि कहीं यह कांड किसी बड़ी ‘घटना’ से ध्यान हटाने की साजिश तो नहीं? आम लोगों का मानना है कि राजनीति भी ऐसी ‘साजिश’ कर सकती है। पंजाब को हाई अलर्ट पर कर दिया गया है। पूछा जा रहा है कि यह राज्य 1984 के बाद कब हाई अलर्ट पर नहीं रहा?                                         

लुधियाना का विशाल न्यायिक परिसर बेहद सुरक्षा घेरे में रहता है। कई मेटल डिक्टेटर्स वहां लगे हुए हैं। आम आदमी को कोर्ट परिसर में जाने के लिए तलाशी देनी पड़ती है और तमाम जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जगह-जगह पुलिस के बैरिकेट्स हैं। अहम सवाल है कि इन सब को पार करके कैसे बम रखा गया। वह भी सांकेतिक नहीं बल्कि जानलेवा व घातक। पंजाब में हुए बम धमाके के बाद राजनीति नई करवट में है!                     

बहरहाल, राज्य में इस मानिंद विस्फोट के जरिए ऐसा खूनी खेल मुद्दत बाद हुआ है। ‘साजिश’ या तो बयानों में रहेगी या फाइलों में।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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