सुप्रीम कोर्ट ने इस सत्र के लिए कायम रखा ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण, काउंसिलिंग का रास्ता साफ

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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण सहित स्नातकोत्तर चिकित्सा परामर्श और प्रवेश के लिए रास्ता साफ कर दिया है । जस्टिस  डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना वाली स्पेशल पीठ ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और नीट-यूजी और नीट-पीजी के लिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस साल मार्च में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 8 लाख रुपये की आय के मानदंड के औचित्य पर फैसला करेगी।

स्नातकोत्तर मेडिकल प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं और कोटा के पक्ष में केंद्र के तर्क को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को एक दिन की सुनवाई के बाद, अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति है, जहां राष्ट्रीय हित में, काउंसलिंग शुरू होनी है, जो रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध की एक प्रमुख मांग भी थी।पीठ  ने कहा, “हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां राष्ट्रहित में काउंसिलिंग शुरू करना है।

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि मौजूदा मानदंडों के अनुसार ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए पात्र सभी उम्मीदवारों को पंजीकरण के लिए अपने प्रमाण पत्र मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा को समायोजित करने के लिए सभी सरकारी कॉलेजों में सीटों में वृद्धि की गई है।उन्होंने कहा तो, यह सामान्य श्रेणी के छात्रों की संभावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में कोई आरक्षण नहीं है और कोई भी निर्णय दूरस्थ रूप से यह नहीं बताता है कि पीजी पाठ्यक्रमों में आरक्षण नहीं हो सकता है। ईडब्ल्यूएस कोटा के पहलू पर, उन्होंने कहा कि जब सरकार ने 8 लाख रुपये की आय सीमा तय करने का फैसला किया तो एक व्यापक अध्ययन और व्यापक परामर्श किया गया था। केंद्र ने ईडब्ल्यूएस मानदंड पर फिर से विचार करने के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।

इस फैसले के बाद ओबीसी वर्ग को 27 फ़ीसदी जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस को इस साल 10 फ़ीसदी का आरक्षण मिल सकेगा। ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों के लिए आय सीमा का मापदंड 8 लाख रुपये ही रहेगा। इस फैसले से 45 हजार से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स को राहत मिली है। जूनियर डॉक्टर्स ने इस मामले में दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया था।

नीट-पीजी के जरिये देशभर के 100 से ज्यादा मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को दाखिला मिलता है। इसके लिए काउंसलिंग पिछले साल अक्टूबर में ही शुरू हो गई थी लेकिन ओबीसी को मिलने वाले 27 फ़ीसदी आरक्षण और ईडब्ल्यूएस के छात्रों को मिलने वाले 10 फ़ीसदी के आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।गुरुवार को पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने इस मामले में हुई सुनवाईयों के दौरान तमाम याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुना था। पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा था कि ईडब्ल्यूएस को आरक्षण के लिए अधिकतम आय की सीमा को 8 लाख रुपये कैसे तय किया गया है और इसके लिए क्या तरीका अपनाया गया था।

पीठ ने कहा था कि ओबीसी कोटे के लिए भी निर्धारित सीमा 8 लाख रुपये थी क्योंकि इस समुदाय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के शिकार हैं लेकिन संवैधानिक योजना के तहत ईडब्ल्यूएस सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा हुआ नहीं है। इसलिए, दोनों के लिए एक समान योजना बनाकर आप असमान को समान रूप से देख रहे हैं। केंद्र सरकार ने 8 लाख रुपये की आय सीमा के मापदंड की वकालत करते हुए कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के मुताबिक ही है और इस बारे में सरकार ने बेहद सोच समझ कर ही फैसला किया है। उच्चतम न्यायालय में क़ानूनी पेंच फंसने के बाद से काउंसलिंग अटकी पड़ी थी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)  

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