नई दिल्ली/लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत पर विद्यार्थी परिषद के गुंडों ने हमला किया है। वह परिसर के भीतर जब अपनी कक्षा ले रहे थे तभी संगठन के छात्रों का एक समूह पहुंच गया और उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। वे रविकांत द्वारा एक यूट्यूब चैनल के कार्यक्रम में कही गयी बात से नाराज थे। उनका कहना था कि उन्हें इस बात के लिए माफी मांगनी होगी। हालांकि प्रोफेसर रविकांत ने इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज करने का आवेदन दिया है लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। इस बीच रविकांत पर हुए इस हमले के खिलाफ लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। लेखकों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने एक हस्ताक्षरित बयान में इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है।
रविकांत ने कल हजरतगंज थाने में दिए गए एफआईआर आवेदन में कहा है कि “परसों रात एक यूट्यूब चैनल बहस में मैंने हिस्सा लिया था। इस बौद्धिक बहस में इतिहासकार पट्टाभि सीतारमैया की किताब के हवाले से जो बात मैंने कही थी, ABVP (एबीवीपी छात्र संगठन) और अराजक तत्वों ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया माध्यम द्वारा प्रसारित कर मेरे विरुद्ध नफरत का प्रचार किया।”

उन्होंने आगे कहा है कि उन लोगों ने मुझे विश्वविद्यालय कैंपस में घेरकर जान से मारने का प्रयास किया। साथ ही मेरे खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया व देश के गद्दारों को गोली मारो….जैसे उग्र नारे का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने लिखा है कि मैं दलित समुदाय से आता हूं। लिहाजा उन लोगों ने मेरे खिलाफ जातिगत टिप्पणियां कीं। यह मेरे मूल अधिकारों, जीवन की स्वतंत्रता व अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है। उन्होंने एफआईआर के आवेदन में इस तत्वों से खुद और परिवार की जान को खतरा भी बताया है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि आवेदन में हमलावरों के बाकायदा नाम भी दिए गए हैं। उनमें अमन दुबे, अमर वर्मा, आयुष शुक्ला, प्रणव कांत सिंह, हिमांशु तिवारी, आकाश मिश्रा, अक्षय प्रताप सिंह, उत्कर्ष सिंह, विन्ध्यवासिनी शुक्ला, सिद्धार्थ चतुर्वेदी, अभिषेक पाठक और सिद्धार्थ शाही के नाम शामिल हैं।
इस घटना के बाद बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। इसके एक बड़े समूह ने सामूहिक बयान जारी कर घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है।
इस बयान में बुद्धिजीवियों ने कहा कि हम रविकांत पर सार्वजनिक स्थान पर हुए इस हमले की निंदा करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है। जारी बयान में कहा गया है कि बहस-मुबाहिसे और असहमति का किसी परिसर में माहौल का होना बेहद जरूरी होता है। इसके साथ ही यह समाज के लिए भी उतना ही जरूरी है। लिहाजा इसे तत्काल बहाल किए जाने की जरूरत है।
बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा, वंदना मिश्रा, एनसीपी नेता और बुद्धिजीवी रमेश दीक्षित, प्रभात पटनायक, साहित्यकार और कवि असद जैदी, साहित्यकार वीरेंद्र यादव, ऐपवा नेता मीना सिंह, साहित्यकार कौशल किशोर, पत्रकार नवीन जोशी, दीपक कबीर, लाल बहादुर सिंह समेत 50 से ज्यादा प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं।