5 साल तक जेल में रहने के बाद एनआईए कोर्ट से 9 ग्रामीण दोषमुक्त

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बस्तर। बम विस्फोटक के आरोप में 5 साल तक जेल में रहने के बाद दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट ने 9 ग्रामीणों को दोषमुक्त कर बरी कर दिया। इन ग्रामीणों को 2017 में हुए एक बम विस्फोट की घटना का आरोपी बता कर जेल भेज दिया गया था। इन 5 सालों में ग्रामीणों पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ तो अब इन सभी को रिहा कर दिया गया है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुसार 3 सितंबर, 2017 को पुलिस के जवान एक नाले को पार कर रहे थे, पार कराने के लिए ग्रामीण जवानों की मदद कर रहे थे, जैसे ही जवान नाले को पार कर उस पार पहुंचे तो उसी दौरान यहां पर जोरदार बम विस्फोटक हुआ। इस बम विस्फोट के आरोप में इन सभी 9 ग्रामीणों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। नतीजतन उसी विस्फोट कराने के आरोप में ये सभी ग्रामीण 5 सालों तक जेल में रहे। दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट में चल रहे केस का फैसला आने के बाद इन सभी 9 ग्रामीणों को दोषमुक्त कर रिहा कर दिया गया है। सभी ग्रामीण ग्राम पंचायत मरईगुड़ा के रहने वाले है, विस्फोट की घटना भेज्जी थाना क्षेत्र में हुई थी। 

मदद करने वालों को ही बनाया आरोपी

पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने बताया कि ग्रामीणों के अनुसार एर्राबोर नाला को पार करने के लिए 14 ग्रामीण मदद कर रहे थे। नाले को पार कर जवान जैसे ही दूसरी तरफ पहुंचते हैं वैसे ही विस्फोट हो जाता है। ग्रामीणों को इसके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी, जवानों की मदद कर रहे ग्रामीणों को ही इस मामले में आरोपी बना दिया जाता है, और इन लोगों को 5 सालों तक जेल में रहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने निर्दोष आदिवासियों की रिहाई का वादा कर सत्ता हासिल की। लेकिन आज तक इस पर कोई कदम नही उठाया।

निर्दोष आदिवासियों को पांच वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष तक निर्दोष होकर भी जेल में रहना किसी यातना से कम नहीं है। इस बीच पूरे परिवार से दूर रहकर जो मानसिक प्रताड़ना इनको झेलनी पड़ी उसकी तो कोई भरपाई नहीं है। सरकार को अब भी निर्दोष आदिवासियों को छुड़वाने के लिए कोशिश करनी चाहिए ताकि जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को छुड़वाया जा सके। उन्होंने प्रदेश सरकार ने रिहा हुए निर्दोष आदिवासियों को क्षतिपूर्ति देने की मांग की है।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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