विस्मया दहेज हत्या केस में केरल हाईकोर्ट: जब तक किसी कानून का उल्लंघन न हो तो मीडिया ट्रायल में कोई आपत्ति नहीं

तथाकथित मीडिया ट्रायल पर केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को महत्वपूर्ण राय व्यक्त की है कि सनसनीखेज मामलों में जनता द्वारा बढ़ाए गए और मीडिया द्वारा बढ़ाए गए दबाव को कानूनी व्यवस्था को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जस्टिस अलेक्जेंडर थॉमस और सोफी थॉमस की खंडपीठ ने दोहराया कि जब तक यह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करता है, तब तक चौथा एस्टेट अपने स्वयं के दृष्टिकोण से जा सकता है। लेकिन हम, कानूनी प्रणाली, अभियोजन, बचाव और अदालतें, इससे प्रभावित नहीं हो सकते।

खंडपीठ ने किरण कुमार को उनकी पत्नी विस्मया की सनसनीखेज दहेज हत्या मामले में एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा के खिलाफ अपील पर विचार करते हुए कहा कि मीडिया अपना कर्तव्य निभाने के लिए बाध्य है, भले ही मामला सनसनीखेज हो या नहीं। खंडपीठ ने कहा कि कानूनी व्यवस्था को इन सबसे ऊपर रहना चाहिए।

किरण कुमार बनाम केरल राज्य मामले में खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि इस प्रकृति के मामलों में, क्योंकि यह सनसनीखेज है, मीडिया अपना कर्तव्य करने के लिए बाध्य है। उन्हें जो कुछ भी महत्वपूर्ण लगता है, वे हाईलाइट करेंगे। जिसे हम सनसनीखेज कहेंगे, वे कहेंगे कि वे अपना कर्तव्य कर रहे हैं। मीडिया क्या कह रहा है, इस पर ध्यान दिए बिना आइए हम अपना काम करें।

जस्टिस अलेक्जेंडर थॉमस और सोफी थॉमस की खंडपीठ ने किरण कुमार को उनकी पत्नी विस्मया की सनसनीखेज दहेज हत्या मामले में एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा के खिलाफ अपील पर विचार करते हुए इस पर अपनी राय दी कि ऐसे मामलों में अदालतों को कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

खंडपीठ ने कहा कि अदालत और अभियोजन को जनता की राय के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, लेकिन जांच सीआरपीसी के अनुसार होनी चाहिए। जनहित एक बात है, लेकिन जनता के दबाव और सार्वजनिक आलोचना से प्रभावित होना दूसरी बात है।

उन्होंने स्वयंभू विशेषज्ञों द्वारा अदालती कार्यवाही पर मीडिया में लगातार बढ़ती बहसों की बात की। बात को आगे बढ़ाने के लिए, उन्होंने केरल के राज्यपाल आरिफ खान और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के बीच हाल के संघर्ष पर जनता के हंगामे का एक स्पष्ट संदर्भ दिया।

उन्होंने कहा कि सोचिए कि 3 दिन पहले क्या हुआ था। इतने सारे लोग ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कि वे सार्वजनिक कानून के विशेषज्ञ हैं। हमें इन चीजों से दूर रहना होगा। भले ही चर्चा के बाद चर्चा हो रही हो, हम, अदालत और वकीलों ने इस तरह की चीजों के बारे में उदासीन होना। सभी संस्थानों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस अत्यधिक समीक्षा और स्कैनिंग के कारण इस क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं हैं।

24 वर्षीय आयुर्वेद की छात्रा विस्मया 21 जून, 2021 को कुमार के घर में बाथरूम की खिड़की से लटकी मिली थी। कुमार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (दहेज के लिए क्रूरता के लिए एक महिला के अधीन), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 304 बी (दहेज मौत) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए थे। मई 2022 में, एक ट्रायल कोर्ट ने कुमार को सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया, फैसले में यह देखते हुए कि उन्होंने अपनी शादी के दौरान दहेज से संबंधित उत्पीड़न और विस्मया को दुर्व्यवहार किया था।

कोल्लम में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश सुजीत केएन ने कुमार को निम्नलिखित सजा सुनाई :304बी आईपीसी: 10 साल की कैद;306 आईपीसी: 6 साल की कैद, ₹2 लाख जुर्माना;498A IPC: 2.5 साल की कैद, ₹50,000 जुर्माना;धारा 3 दहेज निषेध अधिनियम : 6 वर्ष कारावास, 10 लाख रुपए जुर्माना;धारा 4 दहेज निषेध अधिनियम: 1 वर्ष कारावास, ₹5,000 जुर्माना;सजाएं साथ-साथ चलनी थीं, जिसका मतलब है कि कुमार को केवल 10 साल सलाखों के पीछे बिताने होंगे।

इसके बाद, केरल उच्च न्यायालय के समक्ष निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली तीन अपीलें दायर की गईं, एक कुमार द्वारा दायर की गई, एक विस्मया के परिवार द्वारा और तीसरी राज्य द्वारा।

बुधवार की सुनवाई में, लोक अभियोजक ने सजा के निलंबन की मांग करते हुए कुमार द्वारा दायर एक आवेदन में उनकी ओर से दी गई दलीलों का जवाब देने के लिए और समय मांगा। मामले की अगली सुनवाई दो नवंबर को की जाएगी।

पिछले साल राज्य को झकझोर देने वाली घटना में आयुर्वेद की मेडिकल छात्रा विस्मया को उसके ससुराल में दहेज उत्पीड़न की शिकायत के बाद रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था। मौत उसकी शादी के एक साल के भीतर हुई और घटना के सामने आने के एक दिन बाद उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में उसके पति के अपराध को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण कई परिस्थितिजन्य साक्ष्य पाए गए। अपने पति के हाथों हुई यातना के संबंध में उसने जो ऑडियो संदेश भेजे थे, वह आरोप पत्र में प्रमुख डिजिटल साक्ष्य के रूप में सामने आए।

घटना से एक दिन पहले विस्मया ने कुमार द्वारा दहेज को लेकर कथित रूप से प्रताड़ित करने के साथ-साथ उसके शरीर पर घावों और निशानों की तस्वीरों को लेकर अपने रिश्तेदारों को व्हाट्सएप संदेश भी भेजे थे। इसके बाद सूरनाडु पुलिस ने विस्मया के माता-पिता की शिकायत पर दहेज हत्या और वैवाहिक क्रूरता का मामला दर्ज नहीं किया।

दहेज प्रथा की निंदा करने वाली प्रमुख हस्तियों के सामने आने के साथ इस घटना ने राज्य भर में बड़े पैमाने पर जन-विरोध को उभारा था। आवेदक ने पिछले साल इस तर्क पर जमानत याचिका दायर की थी कि मामूली पारिवारिक विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जांच रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के शरीर पर एकमात्र शारीरिक चोट उसकी कलाई पर मामूली खरोंच थी। हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अपराधी-पति की जमानत अर्जी खारिज कर दी कि उस पर दहेज हत्या के गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया है, जो एक सामाजिक बुराई है। मार्च, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी।

मेडिकल स्टूडेंट रहीं विस्मया की मौत जून 2021 में हुई थी। मौत से पहले विस्मया ने अपने एक कज़न को अपनी फोटो भेजी थी, जिसमें उनके शरीर पर मारपीट के निशान थे। बाद में यह सामने आया कि 24 साल की विस्मया का पति उसको मारता-पीटता था। विस्मया ने वॉट्सएप पर अपने कज़न को बताया था कि उनका पति चेहरे पर पैर से मारता था और बाल नोंच डालता था।

21 जून, 2021 को विस्मया की लाश केरल के कोल्लम जिले में स्थित उसके पति के घर में मिली थी। बाद में विस्मया के परिवार वालों ने उसके पति एस किरण कुमार के खिलाफ हत्या, दहेज और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों के तहत केस दर्ज करवाया। परिवार वालों ने बताया कि विस्मया की शादी में उन लोगों ने ढेर सारा सोना, लगभग सवा एकड़ जमीन और नई कार दी थी। इसके बावजूद किरण कुमार दबाव बनाता था कि विस्मया अपने घर वालों से और पैसे मांगकर लाए।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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