मनी लांड्रिंग के केस में सिद्दीकी कप्पन की जमानत खारिज, जेल में रहेंगे

लखनऊ सत्र अदालत ने सोमवार को पत्रकार सिद्दीकी कप्पन द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले के संबंध में दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अक्टूबर की शुरुआत में जिला न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सिद्दीकी कप्पन को जेल में ही रहना होगा।

केरल के पत्रकार को 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि कप्पन कट्टरपंथी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ा था। हालाँकि उन्हें 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले के कारण कप्पन अभी भी जेल में हैं।

फरवरी 2021 में इस मामले में कप्पन और पीएफआई के चार पदाधिकारियों के खिलाफ दायर आरोपपत्र में ईडी ने कहा कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के राष्ट्रीय महासचिव केए रऊफ शेरिफ ने खाड़ी में पीएफआई सदस्यों के माध्यम से धन जुटाया। और कपटपूर्ण लेनदेन के माध्यम से धन को भारत में भेज दिया।

सीएफआई, पीएफआई का एक संबद्ध संगठन है। यह पीएफआई के प्रमुख संगठनों में से एक था जिसे 28 सितंबर की गृह मंत्रालय की अधिसूचना में नामित किया गया था, जिसने इन संगठनों को यूएपीए के तहत गैरकानूनी संघ घोषित किया था।

पीएमएलए के तहत, जमानत हासिल करना आम तौर पर मुश्किल होता है। कानून यह निर्धारित करता है कि अदालत तब तक जमानत नहीं देगी जब तक कि वह संतुष्ट न हो कि व्यक्ति दोषी नहीं है। जमानत के स्तर पर मुकदमे की पूर्वधारणा के लिए प्रावधान की आलोचना की गई और 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। हालांकि, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (अब सेवानिवृत्त) की अगुवाई वाली एक पीठ ने हाल ही में प्रावधान को बहाल किया, और अधिनियम के अन्य विवादास्पद प्रावधानों को बरकरार भी रखा।

कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) या आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आरोप लगाया गया था। पेशे से पत्रकार कप्पन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत के आदेश का इंतजार कर रहे थे। ईडी ने कप्पन और अन्य के खिलाफ फरवरी 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था।

पत्रकार कप्पन को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। वो यूपी के हाथरस में एक दलित युवती रेप केस व हत्या मामले को कवर करने जा रहे थे। पुलिस ने दावा किया कि कप्पन के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध थे और वह हिंसा भड़काने की साजिश के तहत हाथरस जा रहे थे। यूपी पुलिस ने उन्हें 5 अक्‍टूबर, 2020 को मथुरा में टोल प्‍लाजा पर गिरफ्तार कर लिया था। उन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्‍ट (यूएपीए) की धाराएं लगाई गईं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को सितंबर में आतंकवाद विरोधी कानून मामले में जमानत दे दी थी। अदालत ने जमानत देते समय यूपी पुलिस द्वारा जमा किए गये कप्पन के खिलाफ सबूतों पर भी सवाल उठाए थे। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने अपने फैसले में कहा था, “कप्पन के पास क्या मिला? कोई विस्फोटक मिला क्या? उनका इस्तेमाल प्रचार के लिए नहीं किया गया था।”

कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से यूएपीए मामले में जमानत तो मिली लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत नहीं मिली थी। ऐसे में कानून के मुताबिक एक आरोपी को अपने खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों में जमानत लेनी होती है, उसके बाद ही उसे जेल से रिहा किया जा सकता है। यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने कप्पन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर जांच शुरू की।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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