यूपी विधानसभा से महज 200 मीटर दूर मस्जिद के सामने अवैध क़ब्ज़ा व निर्माण विरोध को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश

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राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिये सांप्रदायिक विभाजन का जो हथियार भाजपा ने कारगर कर दिखाया है वही हथियार अब आम लोग अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिये इस्तेमाल करने लगे हैं। मजे की बात यह है कि ऐसे मामलों में प्रशासन अवैध व ग़ैरक़ानूनी होने के बावजूद बहुसंख्यक पक्ष में खड़ा हो रहा है। दो महीने पहले अपनी अयोग्यता व वित्तीय अनियमितता के ख़िलाफ़ उठ रही आवाज़ को दबाने के लिये आगरा के एक स्कूल की प्रिंसिपल ने भी बड़ी चालाकी से सांप्रदायिक विभाजन का सहारा लिया था।

ताजा मामला राजधानी लखनऊ का है। विधानसभा से महज 200 मीटर की दूरी पर विधानसभा मार्ग स्थित पायनियर मस्जिद के मुख्य गेट व आस-पास अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है। तिस पर बेशर्मी यह कि अवैध निर्माणकर्ता ने भाजपा का झंडा लगा रखा है। मस्जिद के ठीक बग़ल राहुल राजपूत उर्फ़ लाला पायनियर कैफे नाम से एक दुकान चलाता है जहां कथित तौर पर लीगल इलीगल सभी ऑनलाइन काम व डॉक्यूमेंट बनाने का काम होता है। राहुल राजपूत से पहले उसके पिता इसी जगह पर चाय का ठेला लगाया करते थे।

बाद में राहुल राजपूत ने उस जगह पर अवैध क़ब्ज़ा करके कच्चा निर्माण कर लिया और दुकान खोल ली। अब भाजपा राज में समय अपने मुफ़ीद जानकर वो इस पर पक्का निर्माण करवा रहा है। राहुल राजपूत सत्ताधारी भाजपा से जुड़ा हुआ है। उसके द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण का मस्जिद कमेटी द्वारा विरोध करने पर मामले को हिंदू बनाम मुस्लिम करके सांप्रदायिक रंग में रंग दिया जा रहा है। जिसके चलते अवैध निर्माण करने वाले के पक्ष में हिंदू युवा वाहिनी और अन्य हिंदू संगठन खुलकर खड़े हो रहे हैं।

इस मामले में जब पायनियर मस्जिद कमेटी ने कैसर बाग़ थाने में तहरीर देकर पुलिस प्रशासन से मामले में शिक़ायत दर्ज़ करके कार्रवाई का अनुरोध किया तो उल्टे पुलिस प्रशासन ने उनसे कहा कि वो निर्माण कर रहा है तो आपका क्या नुकसान है। पायनियर मस्जिद कमेटी के सचिव रिज़वान जनचौक संवाददाता से बताते हैं कि हमें डर है कि कहीं मामला बिगड़ न जाये। इसीलिये हम लोगों ने कैसरबाग़ थाने में तहरीर दी है। तहरीर के मुताबिक़ पायनियर मस्जिद की ज़मीन का वक्फ़ रजिस्टर्ड नंबर 287 है।

विधानसभा मार्ग स्थित यह मस्जिद तक़रीबन 100 साल पुरानी है। मस्जिद के मुख्य मार्ग एवं अग़ल बग़ल अवैध कच्चे निर्माण हैं। जिनके पास न तो कोई बैनामा है न ही कोई कागजात। इन स्थानों पर सुचारू रूप से पासपोर्ट कार्यालय के नाम पर अवैध पासपोर्ट बनाने का गैर-क़ानूनी कार्य हो रहा है। जिससे आये दिन गाली गलौज, मार-पीट होती है। इससे मुख्य मार्ग पर जाम लग जाता है, जिससे स्कूली बच्चों व आम नागरिकों को बेवजह परेशान होना पड़ता है।

तहरीर में आगे कहा गया है कि कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा मस्जिद के आस पास बिना किसी अनुमति के ग़ैर क़ानूनी नव निर्माण कराया जा रहा है। ठीक इसी तरह उक्त स्थान पर साल 2005 में भी गैर क़ानूनी निर्माण कराया जा रहा था जिसे तत्कालीन पुलिस प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया था, क्योंकि वो लोग ज़मीन से संबंधित कोई दस्तावेज़ नहीं दिखा पाये थे।

मौके के मुआवने के बाद प्रोफ़ेसर रविकांत अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जनचौक से कहते हैं – विधानसभा से महज दो सौ मीटर की दूरी पर अवैध निर्माण इस बात का द्योतक है कि कानून व्यवस्था का डर ऐसे लोगों को कतई नहीं है। जिस तरह वहाँ पर भाजपा का झंडा लहरा रहा है तो जाहिर तौर पर सत्ताधारी पार्टी का इन लोगों को संरक्षण प्राप्त है।

सरकार के बुलडोजर न्याय पर कटाक्ष करते हुए वो आगे कहते हैं – “यह सरकार ‘बुलडोजर’ न्याय की बात करती है, हालांकि लोकतंत्र में यह सही नहीं है, लेकिन इससे लगता है कि सरकार की नज़र में सब एक नहीं हैं। पक्षपातपूर्ण रवैया है। इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का भी ख़तरा है। आखिर राजधानी में पुलिस का रोल क्या है? क्या पुलिस ऐसे लोगों को संरक्षण दे रही है? इस तरह के पक्षपातपूर्ण रवैये से सरकार और पुलिस का इकबाल सवालों के घेरे में आता है। तत्काल सरकार और पुलिस को न्यायसम्मत ढंग से कार्यवाही करनी चाहिये।

जनचौक संवाददाता ने आरोपित पक्ष की प्रतिक्रिया जानने के लिये उसके दो मोबाइल नंबरों पर कॉल किया, एक मोबाइल नंबर बंद मिला जबकि दूसरे मोबाइल नंबर पर बराबर रिंग जाने के बावजूद आरोपी ने कॉल रिसीव नहीं किया।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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