कानपुर कांड : एफआईआर में प्रशासन का ‘खेल’, सड़क नहीं सोशल मीडिया पर विपक्ष

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कानपुर। कानपुर पुलिस-प्रशासन पर मां-बेटी को जिंदा जलाकर मारने का आरोप तो लग ही रहा था अब एफआईआर में भी आरोपियों को बचाने की बात कही जा रही है। घटना की निष्पक्ष जांच की जगह जिला प्रशासन और पुलिस दोषियों को बचाने में लगी है।

अतिक्रमण हटाने के नाम पर मां-बेटी को जिंदा जलाकर मार देने वाले योगी सरकार के मुलाजिमों को इससे भी चैन नहीं मिला है, तो अब मां बेटी की मौत के बाद प्राथमिकी रिपोर्ट में भी घिनौना खेल कर गए हैं।

एफआईआर की कॉपी

आगजनी में शामिल स्थानीय गुंडों के नाम के आगे उनकी वल्दियत तो दर्ज कर दिया गया है, लेकिन सरकारी मुलाजिमों की वल्दियत के खाने में अज्ञात लिख दिया गया है। जो किसी के गले नहीं उतर पा रहा है। हद की बात यह है कि सत्ताधारी दलों के लोगों ने जहां पूरी तरह से खामोशी का चादर तान कर अपने मुंह सिल लिए हैं। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को सोशल मीडिया के जरिए भुनाने में लगा है।

अभी तक किसी भी विपक्षी दल के मजबूत नेता ने इस परिवार के दर्द को करीब से देखने समझने का साहस नहीं दिखाया है। विपक्ष सोशल मीडिया के जरिए सरकार को घेरने में जुटा हुआ है।

क्या बाबा के बुलडोजर पर भी होगी कार्रवाई?

कानपुर देहात में मां-बेटी की मौत पर बिफरी सपा नेत्री महिमा मिश्रा कहती हैं “क्या योगी के इस बुलडोजर पर भी होगी कार्रवाई? उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में सोमवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान जलकर हुई मां-बेटी की मौत पर दु:ख प्रकट करते हुए अतिक्रमण हटाने के नाम पर किए जा रहे उत्पीड़न को मौत का बुलडोजर करार दिया है।” सपा नेत्री महिमा मिश्रा ने अतिक्रमण हटाने के दौरान जलकर हुई मां बेटी की मौत प्रकरण में दोषी लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई और पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता एवं सरकारी नौकरी देने की मांग की है।

महिमा मिश्र, सपा नेत्री

मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख देने वाली है घटना

बताते चले कि जनपद कानपुर देहात के मैथा तहसील की मड़ौली पंचायत के चाहला गांव में अतिक्रमण हटाने गए प्रशासनिक अफसरों व पुलिस टीम द्वारा सोमवार को जेसीबी का इस्तेमाल कर गरीब ब्राह्मण परिवार की झोपड़ी को अधिकारियों के सामने ही खाक कर दिया गया। जिसमें मां-बेटी की जलकर मौत हो गई। यह घटना मानवता को तार-तार कर देने वाली है।

कानपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुशील दुबे कहते हैं “यह कांड न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख देने वाला है, बल्कि कई ज्वलंत सवाल भी खड़े कर दिए हैं। अतिक्रमण हटाने के नाम पर किस प्रकार से गरीब बेबस लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है।”

परिवार और आशियाना उजड़ने से “शून्य” हुए गोपाल

कृष्ण गोपाल दीक्षित अपनी आंखों के सामने बेटी और पत्नी को जलकर मरते हुए देखकर शून्य की स्थिति में पहुंच चुके हैं। जिनके दिल पर गहरे जख्म भले ही ना दिखते हो, लेकिन चेहरे पर जख्मों से बहता हुआ खून साफ दिख रहा है। पत्नी और बेटी को खोने के बाद इन्हें शासन-प्रशासन से जो न्याय की उम्मीद थी अब वह एफआईआर रिपोर्ट को देखकर धूमिल होती नजर आ रही है।

सरकार की अगली कार्रवाई की ओर लगी निगाहें

अभी तक गुंडों और माफियाओं के सीने पर चढ़कर गरजने वाली सरकार के बुलडोजर ने एक गरीब की हंसती खेलती गृहस्थी को उजाड़ दिया है, बल्कि मां बेटी की जलकर हुई मौत के बाद एफआईआर में भी किए गए खेल को लेकर सरकार के नुमाइंदे पूरी तरह से जहां संदिग्धता के दायरे में आ गए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या गरीब ब्राह्मण के आशियाने को जला देने के आदेश देने वाले अधिकारी के ऊपर भी बुलडोजर चलाते हुए कड़ी कार्रवाई करने का साहस करेंगे?

(संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।)

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