झारखंड: एथलीट अंजली उरांव की इलाज के अभाव में मौत, सवालों के घेरे में खेल प्रोत्साहन सोसाइटी

झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसाइटी (JSSPS) की कैडेट अंजली उरांव का इलाज के अभाव में गत 19 फरवरी 2023 को निधन हो गया। 19 फरवरी की सुबह उल्टी होने के बाद तबियत बिगड़ने पर अंजली को पहले CCL के गांधीनगर अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास हुआ लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही अंजली की सांसें थम गईं।

गांधीनगर के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अंजली उरांव लोहरदगा की रहनेवाली थीं और एथलेटिक्स की प्रशिक्षु थीं। वह 2018-19 बैच की एथलीट थीं।

पिछले एक माह से JSSPS के लगभग चार दर्जन कैडेट्स बीमार चल रहे हैं। पहले कैडेट्स का इलाज CCL के गांधीनगर अस्पताल में होता था और दवाईयां भी गांधीनगर के पास एक दवा दुकान से खरीदी जाती थीं।

लेकिन JSSPS की एक महिला अधिकारी ने कमीशन के चक्कर में दुकान बदलकर कैंपस से दूर अपर बाजार में कर दिया। साथ ही कैंपस में पदस्थापित डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट को वापस गांधीनगर अस्पताल बुला लिया।

इससे कैडेट्स को दवा लेने में दिक्कत होने लगी। डॉक्टर को दिखाने के बाद कैडेट्स हॉस्टल लौटते हैं, फिर महिला अधिकारी की इच्छानुसार एक वार्डन दवा की दुकान पर जाता है और दवाईयां लाकर कैडेट्स को देता है। इस प्रक्रिया में दो चार दिन लगते हैं और बीमार कैडेट्स ऐसे ही रहते हैं।

कैडेट्स के इलाज में कोताही का परिणाम ये हुआ कि लगभग आधा दर्जन कैडेट्स बेहतर इलाज के लिए अकादमी से छुट्टी लेकर अपने घर चले गए।

JSSPS की प्रशिक्षु अंजली उरांव की मौत के बाद हॉस्टल में रह रहे कैडेट्स उग्र हो गए। वे हॉस्टल से बाहर निकलकर इस हृदयविदारक घटना के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। पहले बॉयज हॉस्टल के कैडेट्स JSSPS प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।

सड़क पर JSSPS के प्रशिक्षु

प्रबंधन ने सुरक्षा की दृष्टि से मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के सभी गेट बंद करवा दिए थे। लेकिन कैडेट्स चहारदीवारी फांद कर सड़क पर उतर गए। खेलगांव से निकलकर कैडेट्स ‘बूटी-मोड़’ की ओर बढ़े जिसे पुलिस प्रशासन भी संभाल नहीं पा रहा था।

सबसे गंभीर बात यह थी कि प्रदर्शन कर रहे इन खिलाड़ियों में अधिकतर नाबालिग बच्चे और बच्चियां थी जिन पर पुलिस कार्रवाई भी नहीं कर पा रही थी।

इस दौरान खेल विभाग का कोई भी पदाधिकारी, अधिकारी इन खिलाड़ियों को समझाने के लिए यहां नहीं पहुंचा था। और ना ही इनकी सुध ली। इन बच्चों को सदर डीएसपी लगातार समझा रहे थे लेकिन बच्चे समझने को तैयार नहीं थे।

‘बूटी-मोड़’ के समक्ष कैडेट्स को रोक दिया गया। मौके पर सदर डीएसपी दल-बल के साथ पहुंचे। वह लगातार खिलाड़ियों को समझाने की कोशिश कर रहे थे। खिलाड़ी JSSPS के सीईओ से तत्काल मिलने की मांग पर अड़े थे।

उसके बाद JSSPS के अधिकारी और सीईओ मौके पर पहुंचे। डीएसपी के साथ-साथ उन्होंने भी खिलाड़ियों को समझाने की कोशिश की। लेकिन डीएसपी द्वारा कार्रवाई का आश्वासन मिलने पर भी खिलाड़ी नहीं माने, खिलाड़ी छोटे-छोटे ग्रुप में रिम्स की ओर भाग रहे थे।

अंजली उरांव को श्रद्धांजलि

बालक-बालिका वर्ग के सभी कैडेट्स हॉस्टल से आक्रोशित होकर सड़कों पर निकल गए। खिलाड़ी दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

वहीं अंजलि की मौत के मामले को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की गई। ये खिलाड़ी अंजली को देखने की मांग कर रहे थे। खिलाड़ी लगातार JSSPS प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगा रहे थे।

खिलाड़ियों का कहना था कि JSSPS में उनका शोषण होता है। उन्हें मारा जाता है। सुविधाओं के नाम पर JSSPS सिर्फ आश्वासन ही देता रहता है। और उसकी लापरवाही के कारण ही उनके साथी की मौत हुई है।

‘चेशायर होम रोड’ होते हुए बच्चे रिम्स पहुंच गए और रिम्स के इमरजेंसी गेट के समक्ष भीड़ की शक्ल में जुट गए। काफी संख्या में बच्चे रिम्स पहुंचे, कुछ बच्चे जो हॉस्टल चले गए थे वह वापस सड़कों पर आ गए। मामला बढ़ता देख पुलिस ने बच्चों पर हल्का बल प्रयोग किया जिसमें एक बच्चा घायल हो गया।

पुलिस बल प्रयोग में घायल प्रशिक्षु खिलाड़ी

अंजलि उरांव की मौत के मामले ने इतना तूल पकड़ा कि बच्चों के अभिभावक भी आ गए और मामले को किसी तरह शांत कराया। फिर एकलव्य छात्रावास में अभिभावकों के साथ-साथ JSSPS के अधिकारियों की एक बैठक हुई। जहां मौके पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया। इस दौरान खिलाड़ियों ने अपने साथी खिलाड़ी अंजलि की तस्वीर पर फूल-माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

अंजलि उरांव के निधन से JSSPS के तमाम प्रशिक्षु खिलाड़ी काफी मर्माहत हैं। अपने एक साथी को खो देने का दर्द वहां मौजूद तमाम बच्चों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रहा था।

मामले को लेकर 20 फरवरी को JSSPS के एकलव्य हॉस्टल में सीईओ जीएस राठौर और अन्य अधिकारियों के साथ तमाम बालक-बालिका कैडेट्स और कई खिलाड़ियों के अभिभावकों की मौजूदगी में एक मीटिंग हुई।

खिलाड़ी आवासीय सेंटर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर करने, बेहतर शिक्षा और अन्य सुविधाएं बहाल करने की मांग पर अडिग दिखे। अंजली के मौत मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग भी रखी गई।

इधर खेल निदेशालय ने 5 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। ताकि पूरे मामले की त्वरित जांच हो। हॉस्टल पहुंचे अभिभावकों की मानें तो इन खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा की जरूरत है, तभी यह देश के लिए मेडल जीत सकते हैं। अब तो इस घटना के बाद मन में डर समा गया है कि यहां उनके बच्चों को सुरक्षित भी रखा जा रहा है या नहीं।

एकलव्य छात्रावास में अभिभावकों के साथ हुई बैठक

सूत्र बताते हैं कि झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसाइटी (JSSPS) की लोकल मैनेजमेंट कमिटी के CEO सफेद झूठ बोल रहे हैं कि कैडेट्स के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गई। दरअसल कैडेट्स के इलाज में खामियां तो पिछले 3 वर्षों से बरती जा रही थीं लेकिन अंजली उरांव की मौत के बाद ये खामियां अब साफ साफ नजर आने लगी हैं।

कोविड महामारी के कुछ वक्त पहले तक JSSPS में कैडेट्स के इलाज के लिए नियमित तौर पर डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट बैठते थे। अभ्यास के दौरान घायल व बीमार बच्चों का इलाज JSSPS कैंपस में ही किया जाता था।

कैडेट्स को जब मशीनी जांच की जरूरत पड़ती थी तभी वे गांधीनगर या अन्य अस्पताल जाते थे, अन्यथा उनका इलाज JSSPS कैंपस में ही हो जाता था। कोविड आने से ऐन पहले पता नहीं किसके कहने पर डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट को वापस गांधीनगर अस्पताल बुला लिया गया।

इसके बाद डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट कभी दोबारा नहीं लौटे। फिर कैडेट्स का इलाज “गूगल डॉक्टर” बलमादीना तिग्गा के हवाले हो गया।

JSSPS में डॉक्टर मयूरी भट्टाचार्य और फिजियोथेरेपिस्ट गायत्री की पदस्थापना की गई थी। दोनों ने लगभग दो साल तक कैडेट्स की सेवा की, लेकिन CCL में बैठे अधिकारियों को ये रास नहीं आया। उन्होंने डॉक्टर मयूरी भट्टाचार्य और फिजियोथेरेपिस्ट गायत्री का ट्रांसफर वापस गांधीनगर अस्पताल कर दिया।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और झारखंड में रहते हैं)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments