अजनाला हिंसा: कट्टरपंथियों के आगे झुकना खतरनाक, पुलिस ने बेहतरीन मौका गंवा दिया- जूलियो रिबेरो

पंजाब के अजनाला में जो कुछ हुआ, उसे लेकर आतंकवाद के दौर में पंजाब में तैनात रहे और साफ छवि वाले वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारियों की विश्लेषणात्मक टिप्पणियां सामने आने लगी हैं। जूलियो रिबेरो इनमें अहम हैं। आतंकवाद के दिनों में वह पंजाब पुलिस के महानिदेशक बने थे और उसके बाद उन्हें राज्यपाल का विशेष सलाहकार नियुक्त किया गया था।

रिबेरो की छवि एक सख्त और आतंकवाद से ‘प्रोफेशनल पुलिसिंग’ के जरिए मुकाबिल होने की रही है। उस वक्त एक बड़े सिख तबके का उन्होंने विश्वास हासिल किया था। वह समझौतावादी नहीं थे और बड़ी से बड़ी सिफारिश को दरकिनार कर दिया करते थे। फर्जी पुलिस मुठभेड़ों के वह खिलाफ थे। वह मरहूम विख्यात वामपंथी नेता हरकिशन सिंह सुरजीत और सतपाल डांग के करीबी थे।

जूलियो रिबेरो ही थे; जिन्होंने अपने बाद पुलिस प्रमुख बनाए गए कंवर पाल सिंह गिल की कुछ कारगुजारियों का खुला तार्किक विरोध किया था। गौरतलब है कि जब केपीएस गिल को पंजाब का डीजीपी बनाया गया, उस वक्त रिबेरो को पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया था। कई मामलों में उन्होंने गिल के खिलाफ ‘एक्शन’ की सिफारिश भी की।

आईएएस रूपन देओल बजाज के साथ गिल ने एक पार्टी में सरेआम छेड़खानी की थी और तब रिबेरो ने कार्रवाई के लिए राज्यपाल को लिखित में अपनी संतुति की थी। बाद के दिनों में जूलियो रिबेरो पंजाब से चले गए लेकिन राज्य जब-जब भी संवेदनशील मोड़ पर आया तो उन्होंने लिखा और बोला।

पंजाब पुलिस के पूर्व महानिदेशक जूलियो रिबेरो

उन पर दो बार पंजाब के आतंकवादी जानलेवा हमला कर चुके हैं। एक बार जालंधर की अति सुरक्षित मानी जाने वाली पीएपी में (तब वह पुलिस महानिदेशक थे) और दूसरी बार उन पर कातिलाना हमला विदेश में हुआ। आज भी उनका नाम तथाकथित हत्यारी हिटलिस्ट में शिखर पर है।

पंजाबी, खासतौर से सिख अवाम का एक बड़ा तबका इसलिए भी जूलियो रिबेरो को याद रखता है कि उन्होंने डीजी पद पर रहते हुए कई बेगुनाह सिखों को सलाखों से बाहर करवाया, जिन्हें उनके मातहत पुलिस अधिकारियों ने सिर्फ भ्रष्टाचार करने के लिए और संदेह के आधार पर पकड़ा था। पंजाबी बुद्धिजीवियों और चिंतकों का एक बड़ा हिस्सा आज भी मानता है वह ‘कानून के दायरे में’ रहकर काम करने वाले पुलिस अधिकारी थे।

सरकार ने मौका गंवा दिया- रिबेरो

राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए विशेष साक्षात्कार में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो ने कुछ अहम टिप्पणियां की हैं। टीईओ दिए विशेष इंटरव्यू में रिबेरो इस बात पर जोर दिया कि 23 फरवरी का अजनाला घटनाक्रम पंजाब पुलिस के मनोबल को तोड़ने वाला है और सरकार को चाहिए था कि वह मौके पर ही किसी तरह अमृतपाल सिंह खालसा को काबू कर लेती। सरकार और पुलिस ने बेहतरीन मौका गंवा दिया। 

अमृतपाल सिंह खालसा

विशेष साक्षात्कार में जूलियो रिबेरो कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि दुबई से पंजाब आए अमृतपाल सिंह खालसा कौन है? लेकिन अलगाववादी और भारत विरोधी देश इसका फायदा उठाएंगे। कट्टरपंथियों की मांगों के आगे झुकना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। उसके साथी को रिहा नहीं किया जाना चाहिए था।

जूलियो रिबेरो ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से कहा कि अमृतपाल सिंह नया है, इसलिए उसे काबू करने का बेहतरीन वक्त था। पंजाब सरकार और पुलिस ने मौका गंवा दिया। अमृतपाल सिंह खालसा के पास भिंडरांवाले सरीखे अनुयायी नहीं हैं लेकिन वह उसकी जगह लेने का ख्वाहिशमंद है। अब सरकार और पुलिस के लिए उसे काबू करना थोड़ा मुश्किल होगा। उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है।

सूबे के पूर्व डीजीपी ने कहा कि उन्होंने मीडिया के जरिए जाना है कि अजनाला में करीब 600 पुलिसकर्मी तैनात थे। अगर सौ भी होते तो भी उस भीड़ को संभालने में सक्षम होते। लगता है कि उनके पास स्पष्ट निर्देश नहीं थे। अगर निर्देश नहीं दिए गए तो वह सब होना ही था जो कुछ हुआ। पूरे घटनाक्रम से पुलिसतंत्र के मनोबल पर चोट लगी है और राजनीतिक नेतृत्व ने भी अपने लिए भारी मुश्किलें खड़ी कर ली हैं।

अजनाला में अमृतपाल समर्थकों का हंगामा

जूलियो रिबेरो ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक नहीं होना चाहिए। उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए। बेशक वह किसी भी राजनीतिक दल अथवा सत्तारूढ़ दल को रिपोर्ट करते हैं। बुनियादी तौर पर वे लोगों और संविधान के लिए काम करते हैं, पार्टी विशेष के लिए नहीं। कई राज्यों में कार्यवाहक डीजीपी हैं। (यहां शायद रिबेरो का इशारा पंजाब के मौजूदा पुलिस महानिदेशक गौरव यादव की ओर है, जो कार्यवाहक डीजीपी है)।                               

यह पूछे जाने पर कि, मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर बैठे एक अन्य गुट ने भी पुलिसकर्मियों को घायल किया था और वह गुट बंदी सिखों की रिहाई की मांग कर रहा है। पुलिस पर हमले के बाद किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया और अजनाला मामले में भी एफआईआर नहीं हुई है। जूलियो रिबेरो ने कहा कि इसके बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन यह सिख भावनाओं को आत्मसात करने या उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए हो सकता है।

पुलिस का मनोबल गिरा- विर्क                          

पंजाब के एक अन्य पूर्व पुलिस महानिदेशक एसएस विर्क ने भी अजनाला घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए मौजूदा भगवंत मान सरकार और डीजीपी गौरव यादव को घेरा है।

पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसएस विर्क

विर्क का कहना है कि निश्चित तौर पर अजनाला घटनाक्रम ने पंजाब पुलिस के मनोबल को गिराया है। पुलिस हताश है। राज्य सरकार को चाहिए कि एक स्पष्ट नीति बनाई जाए ताकि इस सरहदी सूबे कि पुलिस अपना काम बखूबी कर सके।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं)     

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