छात्रनेता की हत्या के सात आरोपी गिरफ्तार, पीट-पीटकर की गई थी हेमंत की हत्या

बलिया। पूर्वांचल के बलिया में छात्रनेता हेमंत यादव की हत्या के सात आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मामले में पुलिस ने नौ नामजद और सात अज्ञात समेत 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। बुधवार को एसपी राज करन नैयर ने हत्या का खुलासा किया। हत्या का मुख्य आरोपी अभी भी फरार है। पुलिस ने बताया कि छात्र की हत्या चुनावी रंजिश को लेकर चल रहे विवाद में की गई थी। कुछ समय से दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था। फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।

बलिया में 11 अप्रैल को दिनदहाड़े छात्र नेता हेमंत यादव की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद से हेमंत यादव के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। हत्या के बाद उनके पैतृक गांव धड़सरा में उनके पिता मनराज यादव से रिहाई मंच, संयुक्त किसान मोर्चा, ऑल इंडिया बैकवर्ड फेडरेशन, कारवां और सामाजिक न्याय मोर्चा के नेताओं ने मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निशांत राज, संयुक्त किसान मोर्चा से बलवंत यादव के अलावा कई लोग शामिल थे।

नेताओं ने मृतक हेमंत यादव के परिजनों को 1 करोड़ रुपए मुआवजा देने, घायल आलोक यादव को 25 लाख रुपए मुआवजा देने, दोनों परिवारों की सुरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बलिया में दिन दहाड़े छात्रनेता की हत्या के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार की चुप्पी न सिर्फ आपराधिक है बल्कि इस तरह से वह सवर्ण सामंती तत्वों का हौसला बढ़ा रही है। सरेआम लाठी डंडों से लैस हिंसा करने वाले सवर्ण सामंती अपराधियों ने सूबे की कानून व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है।

प्रतिनिधिमंडल से परिजनों ने कहा कि हत्या के तीन दिन होने को हैं लेकिन अब तक मुख्य अभियुक्त शिप्रांत सिंह की गिरफ्तारी का न होना, महाविद्यालय के सीसीटीवी कैमरे का न काम करना, परीक्षा के दौरान पुलिसकर्मियों का नदारद होना, चंद दूरी पर पुलिस चौकी के होने के बावजूद पुलिस का हेमंत, आलोक को बचाने के लिए न आना, हेमंत को तबतक पीटा गया जब तक कि वह अधमरा नहीं हो गया ये तथ्य बताते हैं कि इस मामले में गहरी साजिश रची गई है। हेमंत की रेकी करके सुनियोजित हत्या की गई है।

परिजनों ने बताया कि हत्या का आरोपी पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शिप्रांत सिंह, मेढ़ी गांव के रणधीर सिंह को चुनाव लड़ाना चाहता था। हेमंत की मजबूत दावेदारी और लोकप्रियता के चलते उसने उसको मार डाला। गांव वालों का कहना है कि परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह सवर्ण सामंती अपराधियों का संरक्षण देते रहे हैं और इस घटना में उनके और बीजेपी नेताओं के दबाव के चलते पुलिस कार्रवाई में नरमी बरती जा रही है। घटना के दौरान युवक आलोक यादव को भी पीटा गया। उसकी आंख में और शरीर पर गंभीर चोटें आई हैं। इलाज के लिए उसे वाराणसी के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।

हेमंत के पिता मनराज यादव जो कि नासिक में सेना में तैनात हैं ने कहा कि हेमंत चुनाव की तैयारी कर रहा था। घटना की देर शाम उनको पता चला कि उनके बेटे की हत्या कर दी गई है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि एक छात्रनेता की दिन दहाड़े हत्या के बाद जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान ने परिजनों के साथ सहानुभूति तक नहीं जताई है।

(राजीव यादव रिहाई मंच के महासचिव हैं।)

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