छत्तीसगढ़: आदिवासी सपेरों की बस्ती पर हमला; घरों के छप्पर गिराए, बारिश में गुजारी रात

बालोद, छत्तीसगढ़। बालोद जिले के वनांचल विकासखंड डौंडीलोहारा के ग्राम पंचायत चिखली के आश्रित केरी जुंगेरा में बीते 8-10 वर्षों से निवास कर रहे आदिवासी सपेरों की बस्ती को उजाड़ने का मामला सामने आया है। बीती रात इलाके में मूसलाधार बारिश एवं ओले गिरे हैं जिसके चलते इन परिवारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आनन-फानन में सपेरों ने कच्चे छप्पर बनाए और जैसे-तैसे गुजारा किया।

सपेरों की बस्ती में जब ‘जनचौक’ संवाददाता पहुंचा तो वहां के पीड़ित परिवारों ने बताया कि “हम लोग यहां पर 10 वर्ष पहले आकर बसे थे। ग्रामीणों ने ही रजामंदी दी थी लेकिन सोमवार को अचानक गांव की महिलाएं और पुरुष आए और घरों को तोड़ने लगे। इसके बाद हमने कलेक्टर के जनदर्शन कार्यक्रम में जाकर शिकायत दर्ज कराई।

आदिवासी सपेरों के छप्पर गिराए

जांच करने पहुंची सरकारी टीम

डौंडीलोहारा के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मनोज मरकाम ने जानकारी दी कि “तहसीलदार मौके पर जांच के लिए गए हुए थे, जांच रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ग्रामीणों को भी समझाया गया है कि जो छप्पर उखाड़े गए हैं और घरों को जो नुकसान पहुंचाया गया है उन सभी की भरपाई करें ताकि आपसी सामंजस्य बना रहे।”

वहीं पूरे मामले पर जब हमने वहां की सरपंच आशा देवी से बात की तो उन्होंने कहा कि “मैं इस संदर्भ में कुछ नहीं जानती।” जबकि यह क्षेत्र उनके पंचायत क्षेत्र में ही आता है। उन्होंने कहा कि “पूरा मामला ग्रामीणों से जुड़ा हुआ है, ग्रामीणों के विषय में मैं कुछ नहीं कहना चाहती।”

सपेरा बस्ती में आदिवासी परिवार

बर्तन फेंके, दुकान-पानी सब बंद

सपेरा बस्ती की केंवरा बाई ने बताया कि “हम लोग यहां इतने वर्षों से निवास कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई परेशानी नहीं आई परंतु अचानक क्या हुआ कि ग्रामीण इतने आक्रोशित हो गए। उन्हें तरस भी नहीं आया कि हमारे परिवारों में भी मासूम बच्चे हैं।”

उन्होंने कहा कि “हम 17 लोग पहले घूम-घूम कर जीवन यापन करते थे। कुछ लोगों ने हमें यहां रहने की सलाह दी, तब से हम यहीं पर रह रहे हैं और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। जल जंगल जमीन का ख्याल रखते हैं।” उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने दुकान से सामान के साथ पानी देना भी बंद कर दिया है। जीते जी हम नरक जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं।”

सपेरा बस्ती का घऱ

बारिश से हुई समस्या

सपेरों ने बताया कि “बीती रात तेज गरज-चमक के साथ बारिश हुई, साथ ही ओले भी गिरे, जिसके कारण टूटे हुए घरों में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आधी रात को हमने जैसे-तैसे कच्चे छप्पर बनाएं और रात गुजारी।”

उन्होंने आगे कहा कि “अगर आगे कोई विवाद ना हो तो हम अपने छप्पर पक्के कर लेते लेकिन अब तक तो कोई ठोस जानकारी हमारे पास नहीं आई है कि हमें यहां रहना है कि यहां से जाना है या फिर यह विवाद चलता रहेगा। बहरहाल मामला चाहे जो भी हो लेकिन किसी को नियम विरुद्ध घरों में तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं है।”

(छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)

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