RSS-BJP ने नहीं करने दी भाजपा नेता को मुस्लिम लड़के से अपनी लड़की की शादी

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नई दिल्ली। उत्तराखंड की वादियों और देहरादून के राजनीतिक गलियारों से निकल कर यह खबर पूरे देश में फैल गई है। मीडिया और सोशल मीडिया में इस खबर की चर्चा है कि भाजपा के पूर्व विधायक अपने बेटी की शादी एक मुस्लिम युवक से करने जा रहे हैं। फिर क्या था संघ परिवार और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने उनका जीना हराम कर दिया। भाजपा नेता यशपाल बेनाम को बेमन से इस शादी को रोकना पड़ा।

लड़की के पिता यशपाल बेनाम बीजेपी के नेता हैं जो पूर्व विधायक भी रह चुके हैं। और वर्तमान में पौड़ी नगर पालिका के अध्यक्ष भी हैं। इनकी बेटी मोनिका को उत्तर प्रदेश के अमेठी के रहने वाले एक मुस्लिम युवक मोनिस से प्यार हो गया। दोनों ने अपने परिवार वालों के सामने शादी करने की इच्छा जताई।

लड़की के पिता लड़के के परिवारजनों से मिले और दोनों परिवारों के लोग अपने बच्चों की खुशी के लिए इस अंतरधार्मिक शादी को लेकर सहमत हो गए। शादी 28 मई को तय हुई। शादी की तैयारियां होने लगीं और इसके लिए लड़की के पिता ने पौड़ी के मशहूर कंडोलिया मैदान को चुना। लेकिन व्यापारमंडल के सदस्यों और कुछ अन्य लोगों के विरोध के बाद उन्हें पौड़ी से काफी दूर एक शादी की जगह तय करना पड़ा।

हिंदू रिवाज के कार्ड छपे और जैसे ही यह कार्ड सोशल मीडिया पर आया यह वायरल हो गया। इस पर हिंदू संगठनों का विरोध शुरू हो गया। विश्व हिंदू परिषद, भैरव सेना, और बजरंग दल के लोगों ने विरोध करते हुए कई जगहों पर पिता य़शपाल बेनाम का पुतला फूंका।

विहिप के पौड़ी के अध्यक्ष ने इस तरह के अंतरधार्मिक विवाह को गलत बताते हुए कहा कि लड़की को इस्लाम कबूल कर लेना चाहिए या लड़के को हिंदू धर्म को स्वीकार करना होगा।

वहीं कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि इस विवाह में कुछ भी गलत नहीं है। यदि लड़का और लड़की राजी हैं तो शादी करने का उनका फैसला निजी और संवैधानिक तौर पर जायज है फिर इसमें किसी को एहतराज नहीं होना चाहिए।

लड़की के पिता यशपाल बेनाम ने मीडिया से बताया “28 मई को होनेवाली शादी को अब रद्द कर दिया गया है। मैं नहीं चाहता हूं कि प्रशासन और पुलिस की निगरानी में यह शादी हो। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं यह चाहता हूं कि समाज में शांति और सौहार्द्र बना रहे।”

आगे उन्होंने कहा कि एक पिता होने के नाते मैं अपनी बेटी की खुशी के लिए एक मुस्लिम युवक से उसकी शादी को तैयार हो गया और सभी की जानकारी में और लड़के के परिवार की सहमति से शादी तय की गई। यह 21वीं सदी है और हमारे बच्चे जिसके साथ चाहें विवाह कर सकते हैं। लेकिन धीरे-धीरे कुछ लोगों ने ऐसा माहौल बनाया जिससे इस शादी में व्यवधान पड़ने की आशंका हो गई थी।

बेनाम ने बताया कि उन्हें आरएसएस के कई पदाधिकारियों का भी फोन आया जिनमें कुछ ने प्यार से और कुछ ने धमकी भरे लहजे में शादी कैंसिल करने को कहा। बेनाम ने कहा कि “मेरी बेटी की खुशी मेरे लिए बहुत मायने रखती है पर सार्वजनिक जीवन में होने के नाते भी मेरा कुछ कर्तव्य बनता है। दूल्हे मोनिस का परिवार अच्छा है सिर्फ दूसरे धर्म का होने की वजह से वे बुरे नहीं हो जाते।मीडिया द्वारा पूछे जाने के बाद दूल्हे मोनिस के परिवार वालों ने सिर्फ इतना ही कहा कि 28 मई को होने वाली शादी रद्द कर दी गई है।
यशपाल बेनाम 10 साल पहले कांग्रेस में थे। वहां से पार्टी छोड़कर वे बीजेपी में आए। पौड़ी विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने 2007 में भाजपा के तीरथसिंह रावत को हराया और निर्दलीय विधायक भी बने।

अगर देखा जाय तो आरएसएस हिंदू महासभा और भाजपा के बड़े नामचीन नेताओं, पदाधिकारियों से लेकर नीचे के कार्यकर्ताओं ने भी या तमाम प्रतिक्रियावादी संगठनों के परिवार जनों ने मुस्लिम घरों के बेटे या बेटियों के साथ सफल वैवाहिक संबंध बनाए हैं। ऐसे मामलों पर तो ये चुप्पी साधे रहते हैं। लेकिन जब राजनीतिक फायदे की बात आती है तो यही लोग लव जिहाद से लेकर सांप्रदायिक पैंतरे को आजमाने लगते हैं।

पौड़ी में घटी यह घटना कोई नई बात नहीं है। किसी भी समाज में दोनों ही तरह के लोग होते हैं। जहां एक तरफ प्रगतिशील सोच रखनेवाले लोग हैं, वहीं दूसरी ओर समाज को पीछे ले जानेवाली मानसिकता के लोग भी हैं। अभी भी हमारे समाज में य़शपाल बेनाम और मोनिस के परिवार जैसे लोग हैं, जो इस कुंद पड़ते जा रहे समाज में एक आशा की किरण जगाते हैं।

जिनके लिए जाति-धर्म से ज्यादा खुद के बच्चे और उनकी खुशी प्यारी है। जो अपने बच्चों के अधिकार के लिए उनके साथ खड़े होते हैं। जो कि जाति और धर्म के दायरे से बाहर आकर इंसानियत के पैरोकार बन खड़े होते हैं। और इस समाज मे तमाम तरह की नकारात्मक नफरती और दकियानूसी शक्तियों के सामने डटकर खड़े होने की कोशिश जारी रखते हैं। हम सभी जो अपने देश में एक सरल,सुंदर,सहज और सभी तरह की बराबरी वाले समाज का सपना देखते हैं, उनके लिए पौड़ी के ये दोनों परिवार और इन जैसे लोग एक उम्मीद की तरह हैं।

(आजाद शेखर जनचौक के सब एडिटर हैं।)

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