बिहार को अस्थिर करने की साजिश में लगी है भाजपा: माले

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पटना। भाकपा माले ने भाजपा पर बिहार को अस्थिर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र की समीक्षा बैठक के बाद माले विधायक दल ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा बिहार को लगातार अस्थिर करने की कोशिश में लगी हुई है। 13 जुलाई को उसके द्वारा आयोजित विधानसभा मार्च में जनता का कोई भी मुद्दा शामिल नहीं था। उसने प्रदर्शन के दौरान तनाव पैदा करने की कोशिश की। पता चला है कि उसके कार्यकर्ता मिर्ची पाउडर लेकर आए थे। संविधान व लोकतंत्र की हर दिन हत्या करने वाली भाजपा को बिहार की सत्ता से बेदखली बर्दाश्त नहीं हो रही है। आने वाले दिनों में बिहार उसे राज व समाज दोनों जगह से बेदखल करेगा।

संवाददाता सम्मेलन को विधायक दल के प्रभारी राजाराम सिंह, उपनेता सत्यदेव राम, सचेतक अरूण सिंह सहित अन्य विधायकों ने संबोधित किया। संवाददाता सम्मेलन में विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, मनोज मंजिल, महानंद सिंह, सुदामा प्रसाद, अजीत कुशवाहा, अमरजीत कुशवाहा, रामबलि सिंह यादव भी उपस्थित थे।

माले विधायक दल ने कहा कि विधानसभा के मॉनसून सत्र में भाजपा की फासीवादी-कॉरपोरट परस्त नीतियों के साथ महंगाई व बेरोजगारी के सवालों उठाया गया। 10 जुलाई को माले विधायक दल ने ‘यह देश संविधान से चलेगा राजदंड से नहीं, के नारे के साथ प्रदर्शन किया। चार वर्षीय स्नातक कोर्स के खिलाफ बिहार विधानसभा से प्रस्ताव लाने की भी मांग की गई। इसके अलावा जनता के ज्वलंत सवालों को भी विभिन्न माध्यमों से उठाया गया। विधानसभा के अंदर आए जवाबों को लेकर माले विधायक दल अब जनता के बीच जाएगा।

माले विधायक दल ने कहा कि मोदी सरकार का 9 साल विनाश का काल साबित हुआ है। प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार का वादा था लेकिन आज मोदी शासन में बेरोजगारी अपने चरम पर है। मोदी जी ने कहा था कि 2022 तक शहरों में सभी गरीबों के लिए आवास बन जाएंगे लेकिन अभी तक वह अपने लक्ष्य से कोसों दूर हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार शहरी गरीबों के 95 प्रतिशत आवास अधूरे पड़े हुए हैं। भाजपा केवल जुमलेबाजी करती है। भाजपा देश की नंबर एक भ्रष्टाचारी पार्टी है। दरअसल वह एक वाशिंग मशीन है, जिसमें जो भी भ्रष्टाचारी शामिल होता है, वह पाक-साफ हो जाता है।

विधायक दल ने आगे कहा कि शिक्षकों के सवाल पर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वार्ता का आश्वासन दे दिया है, तब ऐसी स्थिति में शिक्षकों के निलंबन की कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। भाकपा-माले विधायक दल मांग करता है कि शिक्षकों के दमन पर तत्काल रोक लगाई जाए और उनसे वार्ता की तिथि निश्चित की जाए।

माले नेताओं ने कहा कि विधानसभा के मॉनसून सत्र में आशा कार्यकर्ताओं व आशा फैसिलिटेटरों को सम्मानजनक मासिक मानदेय, रसोइयों को न्यूनतम मासिक मानदेय, नए सर्वेक्षण के आधार पर नया वास-आवास कानून बनाने, सोन नहर प्रणाली के आधुनिकीकरण, गंडक व कोसी नहर प्रणालियों में गाद की सफाई, कृषि व गरीबों के लिए 200 यूनिट फ्री बिजली, इंद्रपुरी जलाशय का निर्माण, अनुसूचित जाति आयोग का अविलंब गठन करने आदि प्रश्नों को भी मजबूती से उठाया गया। कुछ प्रश्नों पर सरकार की ओर से सकारात्मक जवाब मिले हैं। अनुत्तरित प्रश्नों पर लड़ाई जारी रहेगी।

(विज्ञप्ति पर आधारित)

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