आज तक, जी न्यूज, न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी फिर दंडित! NBSA ने कहा- सुशांत केस में मांगो माफी

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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से फटकार खाने के बाद अब नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) ने भी सख्त कदम उठाते हुए आज तक, ज़ी न्यूज़, न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी को सार्वजनिक तौर पर जनता से माफ़ी मांगने का आदेश दिया है। इन सभी चैनलों को सुशांत सिंह मामले में रिपोर्टिंग करते हुए पत्रकारिता के सिद्धांतों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। 

वहीं सुशांत सिंह मामले में फ़ेक ट्वीट करने के दोषी पाए जाने पर आज तक पर एक लाख का जुर्माना एनबीएसए पहले ही लगा चुका है। 

बता दें कि, ‘आज तक’ की विवादित ‘हिट विकेट’ वाली टैग लाइन की तरफ इशारा करते हुए एनबीएसए ने कहा था कि ऐसा लगता है कि राजपूत, जो अब दुनिया में नहीं हैं, से सवाल पूछे जा रहे हैं… ये टैगलाइन्स आपत्तिजनक हैं और निजता तथा गरिमा को प्रभावित करती हैं।’ अक्तूबर 6 के आदेश में यह भी कहा गया है कि ‘आज तक’ ने सुशांत के नाम से ट्वीट्स दिखाने से पहले जरूरी सावधानी नहीं बरती। यह फेक ट्वीट्स थे, जिन्हें बाद में चैनल ने डिलीट कर दिया था।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की फॉरेंसिक टीम ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत आत्महत्या करने की वजह से हुई है। यह हत्या नहीं है।

एनबीएसए ने आज तक को 27 अक्तूबर को रात 8 बजे हिंदी में सार्वजनिक रूप से माफी जारी करने को भी कहा है। इसके साथ ही एनबीएसए ने ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी और न्यूज़ 24 को भी उल्लंघनों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया हैं।

एनबीएसए ने ज़ी न्यूज़ और रजत शर्मा के इंडिया टीवी को 27 अक्तूबर की रात 9 बजे माफ़ी मांगने के लिए कहा है। वहीं, न्यूज़ 24 को 29 अक्तूबर की रात 9 बजे अपना माफीनामा पेश करना होगा।

बता दें कि एनबीएसए स्व-नियामक संस्था है जो न्यूज इंडस्ट्री में प्रसारण आचार संहिता और दिशानिर्देशों को लागू करता है। इसमें 70 चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले 27 सदस्य शामिल हैं। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ए.के. सीकरी इसके अध्यक्ष हैं।

एनबीएसए की तरफ से लिया गया यह एक बेहद जरुरी और अच्छा कदम है। इस कर्रवाई के बाद न्यूज़ चैनलों में जिम्मेदारी का अहसास बढ़ेगा ऐसी उम्मीद है। किन्तु निराशा अतीत के अनुभव से होती है। 

याद करें,  इसी एनबीएसए ने साल 2017 को ज़ी न्यूज़ को वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा से माफ़ी का आदेश दिया था और उस पर जुर्माना भी लगाया था। किन्तु ज़ी न्यूज़ ने माफ़ी नहीं मांगी थी। 

न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड ऑथोरिटी (एनबीएसए) के तत्कालीन चेयरपर्सन न्यायाधीश आरवी रवीन्द्रन ने 31 अगस्त, 2017 को जी न्यूज को 8 सितम्बर, 2017 को रात नौ बजे अपना निम्नलिखित आदेश प्रसारित करने का आदेश दिया था:

“नई दिल्ली में आयोजित वार्षिक शंकर शाद (भारत पाक) मुशायरा के दौरान 5 मार्च 2016 को प्रो. गौहर रजा द्वारा कविता पाठ के बारे में जी न्यूज चैनल पर 9 से 12 मार्च 2016 को “अफजल प्रेमी गैंग का मुशायरा” के शीर्षक के साथ प्रसारित कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए गए विचारों एवं इस कार्यक्रम के लिए इस्तेमाल की गई टैगलाइन के लिए “जी न्यूज़” चैनल को खेद है।

इसके अलावा ज़ी न्यूज चैनल प्रो. गौहर रज़ा तथा उक्त मुशायरे में भाग लेने वालों के बारे में “अफज़ल प्रेमी गैंग” के नाम से दिए गए विवरण के लिए भी खेद प्रकट करता है।” साथ ही आदेश में कहा गया था कि, ज़ी न्यूज को स्क्रीन पर मोटे-मोटे अक्षरों में यह आदेश लिखा जाए और धीरे-धीरे पढ़ा जाए ताकि दर्शक/पाठक समझ सकें।” लेकिन उसने इस आदेश का पालन नहीं किया था।

इस संदर्भ में यहां लिखने से पहले हमने गौहर रज़ा से फोन पर यह सुनिश्चित करने के लिए पूछा कि क्या ज़ी न्यूज़ ने उक्त आदेश का पालन करते हुए आपसे माफ़ी मांगी या अपने चैनल पर आदेशानुसार कोई खेद प्रकट किया? हमारे प्रश्न के जवाब में रज़ा साब ने दो टूक शब्दों में कहा – आज तक नहीं। शायर गौहर रज़ा ने बताया कि ज़ी न्यूज़ ने आज तक उनसे कोई माफ़ी नहीं मांगी है। उन्होंने आगे बताया कि जो एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, उसकी अदायगी भी की है या नहीं यह भी पता नहीं। “ 

अब ज़रूरी सवाल यह है कि आखिर इन चैनलों को इतनी हिम्मत कहाँ से मिलती है कि वे संस्थागत आदेशों की अवमानना करके भी खुलेआम झूठ के प्रचार में लगे हुए हैं?

(वरिष्ठ पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।) 

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