चौतरफा घिरे अडानी, अमेरिका के बाद केन्या ने भी दिया समूह को झटका 

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गौतम अडानी समूह ने हालांकि अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोप और गिरफ्तारी वारंट को बेकार और बेबुनियाद बताया है और कहा है कि समूह सभी तरह के कानूनी पहलुओं का इस्तेमाल करेगा। लेकिन भारत के राजनीतिक हलकों से लेकर आर्थिक और कॉर्पोरेट जगत में सनसनी फैल गई है। बीजेपी के भीतर भी कई तरह की बातें की जाने लगी हैं और बीजेपी के कई नेता भी कह रहे हैं कि जो गलत किया होगा उसकी सजा तो मिलेगी ही।

लेकिन सवाल यह है कि जिस गौतम अडानी और उसके समूह के बारे में हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट छापी थी क्या उस पर कोई करवाई की गई? क्या सेबी ने अडानी समूह पर कार्रवाई की? फिर क्या सेबी प्रमुख माधवी बुच पर जो इल्जाम लगाए गए उस पर केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई की? विपक्ष शुरू से ही माधवी बुच को हटाने की मांग करता रहा है। ऐसे में अब देसी भाषा में यह भी कहा जाने लगा है कि अडानी अब शनि ग्रह के फेर में फंस गए हैं। 

अब जबकि अमेरिकी जांच एजेंसी ने यह आरोप लगाया है कि अडानी समूह ने करीब 2200 करोड़ के रिश्वत कांड को अंजाम दिया है और फिर वहां की अदालत ने अडानी और अडानी समूह से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है तब भी देश की सरकार मौन है। ऐसे में सवाल तो यही है कि आखिर अडानी को लेकर हमारी केंद्र सरकार सॉफ्ट कॉर्नर क्यों रखे हुए हैं? अब इसकी जांच तो होनी ही चाहिए। लेकिन क्या भारत में अडानी के खिलाफ जांच हो पायेगी? आगे की कहानी चाहे जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि जिस तरह से अडानी बीजेपी के साथ खड़े दिख रहे हैं उससे पीएम मोदी की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र चुनाव के दौरान एनडीए घटक दल एनसीपी के नेता अजित पवार ने ही खुलासा किया था कि 2019 की एक राजनीतिक बैठक में बीजेपी के बाकी नेताओं के साथ अडानी भी शामिल थे। 

ऐसे में जांच इसलिए भी अब ज़रूरी हो गई है क्योंकि अमेरिका के बाद केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने भी घोषणा की कि उन्होंने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के साथ किए गए करोड़ों डॉलर के हवाई अड्डा विस्तार और ऊर्जा परियोजनाओं के समझौते को रद्द कर दिया है। यह कदम अमेरिका में अडानी पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों के बाद उठाया गया है।

राष्ट्रपति रुटो ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि यह फैसला हमारी जांच एजेंसियों और साझेदार देशों से मिली नई जानकारी के आधार पर लिया गया है। हालांकि, उन्होंने अमेरिका का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया। 

बता दें कि अडानी समूह के साथ केन्या की राजधानी नैरोबी के मुख्य हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण का समझौता होने वाला था। इस समझौते के तहत अडानी समूह को 30 साल के लिए हवाई अड्डे का संचालन करने के बदले एक नया रनवे और टर्मिनल बनाना था।

यह भी बता दें कि अडानी के साथ केन्या के हवाई अड्डा विस्तार और ऊर्जा परियोजनाओं के सौदे को व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा है। इस सौदे के खिलाफ केन्या में अडानी विरोधी प्रदर्शन हुए और हवाई अड्डा कर्मचारियों ने हड़ताल की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह सौदा कामकाजी परिस्थितियों को खराब करेगा और कुछ मामलों में नौकरियां खत्म होने का खतरा पैदा करेगा।

अडानी समूह को केन्या में बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण का सौदा भी दिया गया था। केन्या को पूर्वी अफ्रीका का व्यावसायिक केंद्र माना जाता है, और यह परियोजना वहां के लिए महत्वपूर्ण थी।

जानकारी ये भी सामने आ रही है कि बांग्लादेश में भी अडानी की बिजली परियोजना के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और बांग्लादेश की सरकार अब अडानी के बिजली कांट्रैक्ट को निरस्त करने के लिए तैयार है। अगर ऐसा होता है तो अडानी के लिए यह मुश्किल भरा समय हो सकता है और इस पूरे मामले में पीएम मोदी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी दिख रही है। 

लेकिन अभी हम चर्चा करेंगे अमेरिका द्वारा अडानी पर लगाए गए आरोप और जारी वारंट के बारे में। बता दें कि अमेरिकी अभियोजकों ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भारत में एक बड़े सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट में निवेशकों को धोखा दिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट को हासिल करने में एक अवैध तरीके का इस्तेमाल किया और इससे जुड़े तथ्य छिपाए। अडानी पर सिक्योरिटी फ्रॉड और वायर फ्रॉड करने की साजिश के आरोप लगाए गए हैं।  

सच तो यही है कि अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर अमेरिका में अपने निवेशकों को धोखा देने के आरोप लगे हैं। अडानी पर अमेरिका में अपनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए 265 मिलियन डॉलर या करीब 2236 करोड़ रुपये की रिश्वत देने और इसे छिपाने का आरोप लगा है। यह पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा है।

अमेरिका में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन इस मामले में गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारियों समेत एक अन्य फर्म एज्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के कार्यकारी सिरिल काबेनेस के खिलाफ भी आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर के साथ ही 7 अन्य प्रतिवादियों ने अपनी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने और भारत में सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी। अधिकारियों को ये रिश्वत 2020 से 2024 के बीच दिए जाने का आरोप लगाया गया है।

अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर ‘रिश्वतखोरी’ के आरोप के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस से बात की। प्रेस से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने एक नारा दिया, ‘एक हैं तो सेफ हैं’। ‘भारत में अडानी और मोदी एक हैं तो सेफ हैं’। हिंदुस्तान में अडानी जी का कुछ नहीं किया जा सकता है। देश में मुख्यमंत्री 10-15 करोड़ रुपये के लिए जेल चले जाते हैं। अडानी जी 2 हजार करोड़ रुपये का स्कैम करते हैं और वो बाहर घूम रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि अमेरिका में अडानी पावर, मोदी पावर न जाने क्या-क्या चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि दोनों एक हैं। अडानी जी ने भारत-अमेरिका में क्राइम किया है। अमेरिका में जो जांच हुई है, उसमें यह बात सामने आई है। लेकिन हिंदुस्तान में अडानी जी के खिलाफ कुछ नहीं हो रहा है। अडानी को अरेस्ट किया जाना चाहिए और अभी अरेस्ट किया जाना चाहिए, यह मांग हम बहुत दिनों से रख रहे हैं। मधावी बुच जो अडानी को सुरक्षा प्रदान करने वाली हैं, जिन्होंने कोई जांच नहीं की। उनको हटाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मोदी जी कहते हैं कि जो भी क्राइम करेगा उसकी जगह जेल में होगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर अडानी जी जेल में क्यों नहीं हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हम अडानी को अरेस्ट करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमें पता है कि उन्हें अरेस्ट नहीं किया जाएगा, क्योंकि मोदी जी खुद अडानी के कंट्रोल में हैं।

उधर तमाम विपक्षी दलों ने भी अडानी की, अमेरिकी गिरफ़्तारी वारंट को लेकर सरकार पर हमला किया है और कहा है कि यह सब देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। लेकिन मजे की बात तो यह है कि अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की वेदांत रिसोर्सेज ने 1.2 अरब डॉलर की बॉन्ड जारी करने की योजना को फिलहाल टाल दिया है। अमेरिका में गौतम अडानी पर रिश्वत देने के आरोप के बाद बाजार में आई उथल-पुथल के बीच कंपनी ने यह फैसला किया है। वेदांत के डॉलर बॉन्ड निर्गम की कीमत गुरुवार को तय होनी थी।

वेदांत रिसोर्सेज ने साल 2028 में अपने ऋण दायित्व को चुकाने के उद्देश्य से डॉलर बॉन्ड के जरिये रकम जुटाने की योजना बनाई है। इसी क्रम में कंपनी ने अपने निवेशकों के साथ इस हफ्ते बैठक भी की। हालांकि, वेदांत ने इस मसले पर भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।

अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अडानी और अडानी समूह से जुड़े कुछ अन्य लोगों पर रिश्वत देने का आरोप लगाया है। इसके बाद अडानी समूह की अक्षय ऊर्जा कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी ने 60 करोड़ डॉलर का बॉन्ड जारी करने से इनकार कर दिया। अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद गुरुवार को अडानी समूह के डॉलर बॉन्ड में गिरावट आई है।

उधर बैंकरों ने कहा कि विदेश से रकम जुटाने की चाहत रखने वाली भारतीय कंपनियों के लिए लघु अवधि की कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जैसा वेदांत रिसोर्सेज के मामले में दिखा है। मगर उच्च यील्ड वाले पत्रों की जबरदस्त मांग के मद्देनजर भारतीय उद्योग जगत दीर्घावधि में डॉलर बॉन्ड बाजार से रकम जुटाना जारी रखेगा।

उधर, अमेरिकी आरोप और भारत की राजनीति और आर्थिक जगत में हलचल के बाद अडानी की कुल संपत्ति में गुरुवार, 21 नवंबर को 2.1 लाख करोड़ की भारी-भरकम गिरावट देखी गई। ग्रुप की सभी 10 लिस्टेड कंपनियों का ज्वाइंट मार्केट कैप गुरुवार को तेज गिरावट के साथ 2.19 लाख करोड़ रुपये घट गया, जो जनवरी 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद हुए नुकसान से दोगुना है।

अडानी पर अमेरिका में रिश्वत देने और धोखाधड़ी के आरोपों के बाद उन्हें फोर्ब्स की रियल टाइम बिलियनेयर्स लिस्ट में तीन पायदान का नुकसान उठाना पड़ा। अब वह इस लिस्ट में 25वें स्थान पर आ गए हैं। इससे पहले वह 22वें स्थान पर थे।फोर्ब्स की रियल टाइम बिलियनेयर्स लिस्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति में आज 17.34 प्रतिशत की गिरावट आई है। आसान भाषा में कहें तो, एक ही दिन में उनकी संपत्ति 2.1 लाख करोड़ घट गई है। 

इस खबर के बाद, अडानी ग्रुप के शेयर ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 22.61 प्रतिशत लुढ़क गए, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयर 20 प्रतिशत टूटे, अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर 18.80 प्रतिशत गिरे, अडानी पोर्ट्स के शेयर 13.53 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।

अंबुजा सीमेंट्स 11.98 प्रतिशत नीचे रहा और अडानी टोटल गैस के शेयर 10.40 प्रतिशत तक लुढ़क गए। अडानी विल्मर के शेयर 9.98 प्रतिशत, अडानी पावर के शेयर 9.15 प्रतिशत, एसीसी के शेयर 7.29 प्रतिशत और एनडीटीवी के शेयर 0.06 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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