एनजीटी कोर्ट के फैसले के बाद धजवा पहाड़ का आंदोलन फिलहाल स्थगित

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रांची। पिछले साढ़े 5 महीने से झारखंड के पलामू जिले के पांडू प्रखंड में निरंतर धजवा पहाड़ को बचाने के लिए पहाड़ की तलहटी में बैठे आंदोलनकारियों के आंदोलन ने अंततः एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त कर ही ली है। 05 अप्रैल को धजवा पहाड़ पर हुए अवैध पत्थर खनन मामले में एनजीटी कोर्ट (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अर्थात ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण) में सुनवाई हुई। पलामू उपायुक्त द्वारा एनजीटी के समक्ष सौंपी गयी जांच रिपोर्ट और अधिवक्ता अनूप अग्रवाल द्वारा रखे गए सबूतों के आधार पर एनजीटी कोर्ट ने धजवा पहाड़ पर हुए माईनिंग को अवैध करार दिया और झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ये आदेश दिया है कि वह अवैध माईनिंग से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा है, का आकलन कर दो सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट दे।

अतः पलामू धजवा पहाड़ मामले में समिति के पक्ष में आए एनजीटी के फैसले एवं राज्य में चल रहे आचार संहिता के सम्मान में धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति ने अपने सभी सहयोगी संगठनों एवं ग्रामीण आंदोलनकारियों की सहमति से पिछले 5 महीनों से चल रहे आंदोलन को फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया है। समिति के द्वारा पूर्व घोषित तिथि के अनुसार 20 अप्रैल को एक विशेष धन्यवाद सभा आयोजित की गई जिसमें समिति ने अपने सभी सहयोगियों को आंदोलन की नींव रखकर इसे जीत तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया।

समिति के सदस्यों ने विशेष रुप से बगोदर विधानसभा के माले विधायक विनोद सिंह को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने शुरुआत से ही इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया हुआ था। विनोद सिंह बीते 21 दिसंबर को विधानसभा घेराव कार्यक्रम में शामिल हुए थे एवं धजवा पहाड़ के मुद्दे को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया था, और वे स्वयं धजवा पहाड़ की तलहटी में भी आए थे और एक विशाल जन समर्थन सभा को संबोधित भी किया था। समिति और सहयोगियों के बीच फर्जी लीज को रद्द कराने की रणनीति पर भी चर्चा हुई।

इस मामले में सभी ने निर्णय लिया की कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए। अगर इस बीच संवेदक के द्वारा बलपूर्वक किसानों की जमीन पर अवैध खनन या किसी भी तरह की अवैध गतिविधि की जाती है तो इसी तरह पूरे संवैधानिक तरीके से आंदोलन को नया रूप देते हुए फिर से शुरू किया जाएगा।

फर्जी लीज का मामला भी जिला न्यायालय में प्रक्रियाधीन है। मौके पर उपस्थित समिति के सहयोगी संगठन जन संग्राम मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष व आंदोलन के मार्गदर्शक रहे युगल किशोर पाल ने कहा कि “वर्तमान में राज्य और केंद्र की सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों (कॉरपोरेट घरानों) के इशारों पर काम कर रही है। यह सरकार जल-जंगल-पहाड़ जैसी प्राकृतिक संपदाओं से संपन्न झारखंड प्रदेश को पूंजीपतियों एवं माफियाओं के हाथों बेचने में लगी हुई है। सरकार गरीब किसान मजदूरों की भूमि एवं जंगल-पहाड़-बालू जैसी अमूल्य प्राकृतिक संपदा को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के बजाए माफियाओं के साथ मिलकर लूटने और दोहन करने में लगी हुई है। पूरे राज्य मे ऐसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ अनेकों लड़ाइयां चल रही हैं इन सब को मिलाकर हम एक बड़ा मोर्चा बनाएंगे और कॉरपोरेट हितैषी इस सरकार की पर्यावरण विरोधी नीतियों के विरुद्ध लड़ेंगे।”

धजवा पहाड़ बचाने के इस आंदोलन में नौजवानों के साथ महिलाओं और बुजुर्गों ने भी पूरे तन-मन से अपनी भागीदारी निभाई है। खासकर महिलाओं की भूमिका इस आंदोलन में अहम रही है। अगर बात करें बुजुर्गों की तो रूपु पाल (70 वर्ष), चंद्रदेव पाल (75 वर्ष), सुरेश पासवान (60 वर्ष), टुनु पाल (68 वर्ष), इस्लाम अंसारी (60 वर्ष), शंकर पासवान (55 वर्ष) एवं कुछ अन्य बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्होंने पिछले 5 महीने से धजवा पहाड़ को ही अपना घर मान लिया था, और ठिठुरती ठंड और बरसात में भी रात-दिन पहाड़ की तलहटी में टिके रहे।

इस विशेष धन्यवाद सभा मे समिति के अलावा सीपीआईएमएल (भाकपा माले) के जिला सचिव आर एन सिंह, वरिष्ठ नेता सरफराज आलम, सीपीआईएमएल (रेड स्टार) के वशिष्ठ तिवारी, मूलनिवासी संघ के विनय पाल, फूलन देवी विचार मंच के शैलेश चंद्रवंशी, सर्वहारा जन संघर्ष मोर्चा के पुष्पा भोक्ता, राम लखन पासवान, जन संग्राम मोर्चा के पलामू जिला अध्यक्ष बृजनंदन मेहता, गढ़वा जिला प्रभारी अशोक पाल, एसटी एससी ओबीसी माइनॉरिटी एकता मंच के रवि पाल, युवा पाल महासंघ गढ़वा के सुमित पाल, पांडू जिला परिषद सदस्य अनिल चंद्रवंशी, करकट्टा पंचायत के पूर्व मुखिया उपेंद्र कुशवाहा, कुटमु पंचायत के समाजसेवी रामबचन राम एवं कई अन्य जन संगठनों के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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