झारखंड की आदिवासी बेटी ने किया कमाल, जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीता रजत पदक

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रांची, झारखंड। आर्मेनिया के येरेवान में आयोजित जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2023 का फाइनल 3 दिसंबर को हुआ, जिसमें झारखंड की अमीषा केरकेट्टा ने रजत पदक जीत कर विश्व पटल पर झारखंड ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है।

वर्ल्ड बॉक्सिंग चौंपियनशिप में पदक जीतने वाली अमीषा झारखंड की पहली बॉक्सर बनी है। अमीषा को यह जीत 52 किलोग्राम वर्ग में मिली है। खासबात यह कि अमीषा के खाते में अब तक एक भी राष्ट्रीय पदक नहीं है। अमीषा ने सीधे वर्ल्ड बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीता है।

हालांकि वह गोल्ड मेडल जीतने से बस कुछ ही प्वाइंट से चूक गई। फाइनल में अमीषा केरकेट्टा कजाकिस्तान की आयजान सिडिक से हार का सामना करना पड़ा।

झारखंड के सिमडेगा जिला के कोनपाला पंडरीपानी की रहने वाली मामूली किसान की बेटी अमीषा केरकेट्टा ने इतने बड़े मंच पर विश्व के कई बाॅक्सरो को हराकर यह मुकाम हासिल किया है। एक छोटे से गांव की रहने वाली किसान की बेटी ने फाइनल तक का सफर तय किया है।

हालांकि फाइनल में जरूर उसे हार मिली है लेकिन उसके खेल को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया। फाइनल में भी रेफरी ने जहां आयजान सिडिक को 10 प्वाइंट दिये वहीं अमीषा को 9 प्वाइंट मिले। अमीषा के खेल से आयजान सिडिक भी डर गई थी यही वजह थी कि वह अमीषा से दूर भागती नजर आई।

पूरे टूर्नामेंट में झारखंड की बेटी का खेल देखकर हर कोई तारीफ कर रहा था। अमीषा ने इस टूर्नामेंट में विश्व की कई दिग्गज खिलाड़ियों को हार का मजा चखाया। उसने इस टूर्नामेंट में मैक्सिको की डिवेनी रैमरेज, कोरिया की किम जे, रोमानिया की रोकियो ड्रिगोस बकर जैसे कई शानदार खिलाड़ियों को हराया है।

अमीषा के कोच बीबी मोहंती उसकी जीत पर खुशी जाहिर करते हुए बताते हैं कि नवंबर साल 2022 में इंडिया कैंप के लिए ट्रायल लिया गया था, जिसमें अमीषा ने काफी शानदार प्रदर्शन किया था। जिस कारण उसका चयन हो गया था।

राष्ट्रीय स्तर पर पदक को लेकर उन्होंने बताया कि इस साल जूनियर नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन नहीं हुआ इसलिए हमारी भागीदारी नहीं हो सकी है। वह आगे बेहतर प्रदर्शन करेगी। इसके लिए उसे कड़ी मेहनत करनी है।

सामान्य परिवार से आती है अमीषा

सिमडेगा के ठेठईटांगर प्रखंड के रेंगारी पंचायत के पाहन टोला के रहने वाले दिलीप केरकेट्टा और प्रभा केरकेट्टा की बेटी है अमीषा। माता-पिता बेटी की उपलब्धि से बहुत खुश हैं। अमीषा की मां प्रभा केरकेट्टा मुंबई में दाई का काम करती हैं। अमीषा का भाई सिमडेगा में रहकर नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है।

गांव के हालात भगवान भरोसे है। गांव तमाम जन सुविधाओं से महरूम है। ना तो पक्की सड़क है, ना ही बिजली, बाकी अन्य जन सुविधाएं भी नदारद है। अमीषा के पिता अकेले बेटे के साथ रहते हैं, जंगल से लकड़ियां लाकर व जलाकर ही खाना बनाते हैं। इतने अभाव में बेटे की अच्छी पढ़ाई हो जाए इसकी चिन्ता बनी रहती है। प्रभा केरकेट्टा भी मुंबई में परिवार के आर्थिक आधार को ठीक रखने के लिए दाई का काम करती हैं।

झारखंड खेल प्रोत्साहन सोसायटी की अकादमी में लिया प्रशिक्षण

2 अप्रैल 2008 को जन्मी अमीषा केरकेट्टा जब अप्रैल 2018-19 सत्र में झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसायटी (JSSPS) की अकादमी का हिस्सा बनी तो उसका सपना था कि वो एक मीडिल डिस्टेंस एथलीट के तौर पर राज्य व देश का नाम रौशन करे। लेकिन शायद समय ने कुछ और तय कर रखा था।

अमीषा जब जेएसएसपीएस अकादमी की प्रशिक्षु बनने के लिए ट्रायल दे रही थी तो “आशा वेलनेस” नामक संस्थान ने शारीरिक संरचना, बॉडी स्ट्रेंथ तथा माइंड व आई रिफ्लेक्शन के जांचोपरांत उसे एथलेटिक्स में मिडिल डिस्टेंस रनर बनने के लिए चयनित किया।

इसके बाद अमीषा को एथलेटिक्स के कोच आशु भाटिया के पास प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। वहां अमीषा और आशा किरण बारला (वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय एथलीट) के साथ कोच आशु भाटिया के निर्देशन में 600 मीटर दौड़ का प्रशिक्षण लेने लगी और जेएसएसपीएस के “ब्लू व्हेल” हाउस का हिस्सा बनी।

भाटिया बताते हैं कि अमीषा एक अनुशासित और मेहनती खिलाड़ी है वह कभी भी प्रशिक्षण सत्र से अनुपस्थित नहीं रहती थी।

इसी बीच जेएसएसपीएस में बॉक्सिंग की अकादमी हुई और प्रशिक्षक के रूप में द्रोणाचार्य अवॉर्डी बीबी मोहंती की नियुक्ति 30 जुलाई 2018 को हुई। मेगा स्पोर्ट्स परिसर में बॉक्सिंग के खेल के लिए कहीं भी जगह चिन्हित नहीं थी, इसलिए अभ्यास कहां हो यही तय करने में कई माह गुजर गए। उसके बाद एथलेटिक्स के 9 बच्चे एक माह के ट्रायल पर बॉक्सिंग कोच मोहंती के पास भेजे गए।

बॉक्सिंग कोच मोहंती ने अमीषा को तराशा

इसी बीच एक दिन कोच मोहंती की पारखी नजर एथलीट का प्रशिक्षण ले रही लंबे हाथों, लंबे पंजों और चपटी नाक वाली अमीषा पर पड़ी। बीबी मोहंती ने एथलेटिक्स के कोच आशु भाटिया को उपरोक्त गुण बताते हुए आग्रह किया कि इस बच्ची को एक माह के लिए ट्रायल बेसिस पर बॉक्सिंग अकादमी में भेजा जाए।

दोस्त आशा किरण बारला और एथलेटिक्स कोच रहे आशु भाटिया बताते हैं कि जब अमीषा को एक माह के लिए बॉक्सिंग के प्रशिक्षण पर भेजा गया तो वो खूब रोई थी। अमीषा ने इसकी शिकायत अपने कोच आशु भाटिया से भी की थी।

इस बीच शानदार रिफ्लेक्शन और पंच का पोटेंशियल देख बॉक्सिंग कोच बीबी मोहंती ने आशु भाटिया से कहा था कि इस बच्ची में मेडलिस्ट बनने का पोटेंशियल है। अमीषा का भी मन बॉक्सिंग में रम गया और पांच साल पहले देखे गए सपने आज 5 साल बाद ऐतिहासिक साबित हो रहा है।

(विशद कुमार की रिपोर्ट)

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