बस्ती। उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर जिन्हें नाज है, वे अयोध्या से सटे बस्ती जिले की अनारकली और उसकी नाबालिग बेटी की कहानी ज़रूर सुनें। जिला है बस्ती, थाना है परशुरामपुर, ग्राम है नन्दनगर। मुख्तसर मामला है कि उसके गांव के चार दबंग लोगों ने उन्हें मारा-पीटा, मर्मस्थल पर चोट किए, गालियां दीं। और नतीजा यह है पुलिस न रिपोर्ट दर्ज कर रही है, न उसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था।
थाना परशुरामपुर में अनारकली ने अंगूठा निशानी के साथ जो अर्जी दी है, उसके मुताबिक गांव के चार बदमाश किस्म के लोग-सत्यनारायन उर्फ साधु, राजकुमार, आशीष और गोलू बीती 27 जनवरी को उसके दरवाजे पर चढ़ आए और खड़ंजा लगाने की मांग करने लगे। अनारकली का पति कहीं परदेश रहता है और उसके साथ दो बेटियां रहती हैं। उसने खड़ंजा लगाने के लिए मना किया, तो चारों बदमाश उसे और उसकी बेटी के साथ मारपीट करने लगे। उन लोगों ने उसे तमाम तरह की धमकियां दीं।

आखिरकार, उनकी एक बेटी ने किसी तरह 112 नंबर पर पुलिस को फोन किया। कुछ समय बाद पुलिस के दो जवान मौके पर पहुंचे तो ज़रूर, लेकिन वे हमलावरों के साथ ही मिल गए। एक फोटो अनारकली की बेटी ने खींची है, जिसमें बदमाशों का सरगना पुलिस के साथ बड़ी हमजोली से बातचीत करते दिख रहा है। एक वीडियो है, जिसमें एक पुलिस वाला अनारकली की बेटी को ही समझा रहा है कि झगड़ा नहीं करना चाहिए। उसकी बेटी जवाब में कह रही है कि, सर इन्हीं लोगों ने बरजोरी की है तो पुलिसवाला उससे कह रहा है कि ठीक है कुछ होगा तो फिर 112 पर फोन कर देना।
अर्जी में आगे कहा गया है कि 112 नंबर की पुलिस के जाने के बाद हमलावर फिर से मारपीट पर आमादा हो गए तो वह किसी तरह रात को थाने गई। थाने में पहले उससे जुबानी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया। तो उसने कहीं से लिखा कर एक अर्जी दी। परशुरामपुर की थाना पुलिस ने उसे यह कह कर टरका दिया कि सवेरे मौके पर पुलिस जांच करने जाएगी। मगर, हकीकत यह रही है कि न कोई पुलिस मौके पर जांच करने गई और न ही उसे कोई सुरक्षा ही दी गई। उल्टे, यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस, हमलावरों से हमसाज हो गई है।
कानून भले ही यह कहता कि रिपोर्ट दर्ज करनी जरूरी है और पीड़ित की शारीरिक जांच भी कराना आवश्यक है। मगर, जहां रिपोर्ट ही नहीं दर्ज हो रही हो, वहां इलाज कौन कराए। अनारकली ने आखिरकार, किसी तरह खुद ही जाकर बगल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अपना इलाज कराया। और, इंतजार है कि शायद रिपोर्ट दर्ज हो जाए।
यह सिर्फ एक जिले की कहानी नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के हर जिले में रिपोर्ट न लिखने की समस्या आम है।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
+ There are no comments
Add yours