उत्तर प्रदेश के दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर, 2015 को मोहम्मद अखलाक़ की गौकशी के शक में की गई भीड़-हत्या का खूनी सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
कई पहलू खान और कासिम तथाकथित गौरक्षकों की गैरकानूनी और नृशंस अत्याचार के शिकार हो चुके हैं, लेकिन केंद्र से लेकर राज्य सरकारें इस पर रोक लगाने में नाकाम रही हैं। इस हत्यारी प्रवृत्ति का ताजा शिकार बना है मुरादाबाद का एक बॉडी बिल्डर-शाहेदीन।
पिछले रविवार यानी 30 दिसंबर को मुरादाबाद के मझोला थाना क्षेत्र स्थित मंडी समिति में रात में कुछ ‘गौ-रक्षकों’ ने लाठी-डंडों से पीट-पीटकर शाहेदीन को अधमरा कर दिया, जिसे पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया।
अगले दिन 31 दिसंबर को शाहेदीन की मौत हो गई। उस पर पुलिस की तरफ से दर्ज की गई रिपोर्ट के मुताबिक उस पर गौकशी में शामिल होने का आरोप लगाया है।
सबसे विडंबनीय पहलू यह है कि पुलिस ने शाहेदीन की मौत के बाद एक दूसरे आरोपी अदनान को तो गिरफ्तार कर लिया है, मगर शाहेदीन को पीटने वाले लोगों के खिलाफ जो रिपोर्ट दर्ज हुई है, उसमें अज्ञात लिखा गया है।
मृतक शाहेदीन बॉडी-बिल्डर था। मगर लंबे अरसे से बीमार था और बेरोजगारी का शिकार था। शाहेदीन की वैसे ही भीड़-हत्या की गई, जैसी अखलाक़ की की गई थी।
अखलाक़ को पहले घर से खींचा गया और फिर हमलावरों ने लाठी, ईंट, और चाकुओं से घायल किया, जिससे उसकी मौत हुई थी। अखलाक़ का बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना को ‘दादरी लिंचिंग’ के नाम से जाना जाता है।
उस हत्याकांड के विरोध में देश के तमाम साहित्यकारों अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश, नयनतारा सहगल आदि ने साहित्य एकेडमी एवार्ड भी वापस कर दिए थे। साहित्यकारों ने ‘’जीवन और स्वतंत्रता’’ की रक्षा कर पाने में नाकाम सरकार के प्रति अपने आक्रोश का इजहार किया था।
अखलाक़ से लेकर शाहेदीन तक हत्या का सफर जारी है। और अब तो इस तरह की हत्या मीडिया में सुर्खियां तक नहीं बनतीं। न ही कोई बड़ा प्रतिकार दिखाई देता है। अखलाक़ हत्याकांड में पुलिस ने 24 दिसंबर, 2015 को मामला दर्ज किया था, जिसकी सुनवाई अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।
शाहेदीन हत्याकांड में मुरादाबाद की पुलिस बेशर्मी से बताती है कि हमलावरों की जांच की जा रही है, जबकि उस पर लाठियां बरसाने वाले आरोपियों की तस्वीरें वायरल वीडियो में कैद हैं।
हमलावर जिस रास्ते से आए और घटना को अंजाम देने के बाद वापस गए, उन रास्तों पर स्मार्ट सिटी के आधुनिक लाइट विजन कैमरे हैं। इसके बावजूद एसपी सिटी रणविजय सिंह (मुख्ययमंत्री के स्व-जातीय) कहते हैं कि मामले की जांच जारी है।
वायरल वीडियो में एक व्यक्ति शाहेदीन को मारते हुए पूछ रहा है कि उसे किसने बुलाया था। इसके अलावा कुछ के चेहरे भी वीडियो में दिख रहे हैं। इस मामले में मुरादाबाद के चर्चित मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह का कहना है कि संवेदनशील इलाकों में पुलिस तैनात कर दी गई है और कानून-व्यवस्था दुरुस्त है।
आंजनेय कुमार सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं और लंबे समय तक रामपुर के जिलाधिकारी रहने के बाद अब मंडलायुक्त हैं। और लंबे समय से इसी क्षेत्र में बने हुए हैं।
शाहेदीन के मोहल्ले असालतपुरा में मातमी सन्नाटा है। लोग एक-दूसरे से बात नहीं करते। दहशत के इस माहौल में शाहेदीन के भाई मोहम्मद असलम और उनके परिजनों को इंतजार है हमलावरों की गिरफ्तारी का। मगर, जो सबको दिख रहा है, वह मुरादाबाद पुलिस को नहीं।
(रामजन्म पाठक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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