प्रश्नोत्तर संसद और विधानमंडल की आत्मा है। इसके लिए एक पूरा घंटा आरक्षित रहता है। लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानमंडलों में 60 मिनट इस कार्य के लिए निर्धारित हैं। सांसदों और विधायकों को प्रश्न पूछने का अधिकार है। सत्र शुरू होने से कुछ दिन पहले सांसद अपने प्रश्न लिखित रूप में जमा करते हैं। ये प्रश्न शासन की गतिविधियों से संबंधित होते हैं। इनके उत्तर कभी-कभी सरकार के दावों की पोल खोल देते हैं।
जाने-माने सांसद, जो राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं, ने पिछले संसद सत्र के दौरान कुछ ऐसे ही दिलचस्प और सरकार की कमियों को उजागर करने वाले प्रश्नों के उत्तर इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित करवाए। ये सांसद हैं डेरेक ओ’ब्रायन।
पहला प्रश्न सीपीआई के सांसद ए.ए. रहीम ने पूछा। वे जानना चाहते थे कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कितने लोगों को सजा दिलवाई है। सरकार ने स्वीकार किया कि 2015 से 2025 के बीच 193 मामलों में से सिर्फ 2 लोगों को सजा हुई। ये सभी मामले सांसदों और विधायकों से संबंधित थे। सजा दिलाने का प्रतिशत मात्र 1% रहा।
एक बीमारी है सिकल सेल एनीमिया। इस बीमारी के संबंध में भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने पूछा कि इसे नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उत्तर मिला कि 2020 से 2024 के बीच इस बीमारी के लिए अनुदान में 60% की कमी आई है।
विभिन्न दलों के पांच सांसदों ने पूछा कि कितने एकलव्य आवासीय स्कूल संचालित हो रहे हैं। ये स्कूल आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्थापित किए गए हैं। सरकार ने स्वीकार किया कि इनमें से लगभग एक-तिहाई स्कूल अस्तित्व में नहीं हैं। ओडिशा में 108 में से 61, झारखंड में 90 में से 39, मेघालय में सभी 37, नगालैंड में 22 में से 19 और मणिपुर में 21 में से 18 स्कूल बंद हैं।
बच्चों के लिए पीएम केयर्स स्कीम के बारे में मार्क्सवादी सांसद शिवदासन ने पूछा कि इस योजना से कितने बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। उत्तर मिला कि 2021 में 3,692 बच्चे लाभ ले रहे थे, जो 2024 में घटकर मात्र 12 रह गए, यानी लाभार्थियों की संख्या 0.32% रह गई।
समाजवादी सांसद आनंद भदौरिया ने पूछा कि रेलवे में कितने पद खाली हैं, खासकर सुरक्षा से संबंधित। सरकार ने बताया कि 2024 में 92,116 पद खाली थे, जिनमें अधिकांश सुरक्षा से जुड़े थे। सरकार ने स्वीकार किया कि इनमें से केवल आधे पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हो रही है। इसका मतलब है कि आधे से अधिक पद अभी भी खाली हैं। सुरक्षा का महत्व सभी जानते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद बापी हलदर ने पूछा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत राज्यों को कितनी सहायता दी गई। सरकार ने स्वीकार किया कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 25,000 करोड़ रुपये की सहायता नहीं दी गई। यह भी बताया गया कि पश्चिम बंगाल को सहायता देना बंद कर दिया गया है। इसके अलावा मणिपुर, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार को एक भी पैसा नहीं मिला।
डीएमके की सांसद ने पूछा कि साइबर अपराधों को रोकने की योजना के तहत कितनी महिलाओं और बच्चों को सहायता दी गई। सरकार ने स्वीकार किया कि यह योजना 2017 में शुरू हुई थी, लेकिन 2018 के बाद कोई सहायता नहीं दी गई।
सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जनधन योजना। एक कांग्रेस सांसद ने पूछा कि शून्य बैलेंस और निष्क्रिय जनधन खातों की संख्या कितनी है। उत्तर में बताया गया कि हर पांच में से एक जनधन खाता निष्क्रिय है और 8% खातों में कोई धनराशि नहीं है।
ये सभी प्रश्नों के उत्तर दर्शाते हैं कि सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं की वास्तविक स्थिति क्या है।
(एल.एस. हरदेनिया राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक हैं)
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