उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की गाय कल्याण योजना को आक्रामक रूप से लागू करने में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय को चुनाव आयुक्त बनाया गया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने 9 जून बुधवार को नई दिल्ली स्थित निर्वाचन सदन कार्यालय में चुनाव आयुक्त का पदभार संभाल लिया। गौरतलब है कि उन्हें मंगलवार को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया। 30 जून, 2018 को मुख्य सचिव बनने वाले पांडेय ने उत्तर प्रदेश में 37 वर्षों तक सेवा की थी और राज्य के लगभग हर हिस्से में किसी न किसी पद पर तैनात थे। वर्ष 1984 बैच के आईएएस अधिकारी रहे पांडेय राष्ट्रीय हरित अधिकण निगरानी समिति (उप्र) के सदस्य थे। उनके उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव रहने के दौरान प्रयाग राज में कुंभ मेले और राज्य में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया गया था। वह उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त भी रह चुके हैं।
अनूप चंद्र पांडेय चुनाव आयोग के दो निर्वाचन आयुक्तों में से एक हैं। उनके अलावा राजीव कुमार भी निर्वाचन आयुक्त हैं। सुशील चंद्रा मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। अनूप चंद्र पांडेय फरवरी 2024 में अपने पद से रिटायर होंगे। जाहिर है योगी की गाय कल्याण योजना संभालने वाले अनूप चंद्र पांडेय के चुनाव आयुक्त बनने से फरवरी 2022 में होने वाले यूपी चुनाव में भाजपा को फायदा होगा।
नए चुनाव आयुक्त के रूप में अनूप चंद्र पांडेय की नियुक्ति का व्यापक विरोध हो रहा है। सीपीआई (एमएल) नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है, “2022 यूपी चुनाव से पहले, सेवानिवृत्त यूपी कैडर के आईएएस अनूप चंद्र पांडेय को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। तीन साल पहले श्री पांडेय को योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्य सचिव (30 जून 2018 – 31 अगस्त 2019) के रूप में चुना था। उनकी निगरानी में 2024 का लोकसभा चुनाव भी होगा।”
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा है, “जब चुनाव आयुक्त के चुनाव के लिए कॉलेजियम की हमारी माँग पर सुनवाई तक नहीं हो रही है तब सरकार ने एकतरफा फैसला लेते हुए आदित्यनाथ के चुने हुए व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना दिया है। इस सरकार में सभी नियामक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है”।
पहली बार नहीं है जब किसी राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले वहां के चीफ सेक्रेटेरी को चुनाव आयुक्त बनाया गया हो। इससे पहले गुजरात के मुख्य सचिव अचल कुमार को साल 2015 में चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। और 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव उनकी निगरानी में आयोजित किए गए थे। जिसका परिणाम ये हुआ की जबर्दस्त एंटी-इंकमेंबेसी के बावजूद भाजपा की गुजरात की सत्ता से बेदख़ली नहीं हुयी। उस समय अचल कुमार पर ये गंभीर आरोप लगे थे कि उन्होंने भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ शिक़ायतों की अनदेखी की।
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