डीबीआर मामले में एपवा की जांच रिपोर्ट: लड़कियों के यौन शोषण,ठगी और मारपीट के दोषी के खिलाफ एस आई टी का हो गठन

Estimated read time 1 min read

पटना। ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी के नेतृत्व में एक जांच दल ने कल 29 जून को डीआरबी कांड की पीड़ित चार लड़कियों से मुलाकात की. ये लड़कियां उस वक्त अहियापुर थाने में गवाही देने पहुंची थीं। आज पटना में का. मीना तिवारी और डीबीआर कांड की पीड़ित लड़कियों ने संवाददाता सम्मेलन के जरिए अपने साथ हुए यौन शोषण, ठगी, मारपीट की घटनाओं को विस्तार से रखा। संवाददाता सम्मेलन में उनके अलावा जांच दल में शामिल सूरज सिंह, फहद जमां, विजय गुप्ता व राजकिशोर प्रसाद उपस्थित थे।

ऐपवा महासचिव ने कहा कि डीबीआर कंपनी रोजगार के नाम पर ठगैती का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किए हुए है। कई बार फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद नाम बदल-बदल कर वह 18 से 22 साल के उम्र के युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाती है। एडवांस के नाम पर 20500 रु. की ठगी करती है, फिर उन्हीं युवक-युवतियों पर अन्य लोगों को कंपनी से जोड़ने का दवाब बनाती है। ऐसा न करने पर उनके साथ मारपीट की जाती है। कुछ युवतियों के साथ यौन अपराध भी किए गए हैं। विदित हो कि इनमें अधिकांश युवक-युवतियां बेहद गरीब परिवेश से आते हैं। कई लड़कियों ने बताया कि उन्होंने कर्ज पर पैसा लेकर कंपनी में जमा किया है।

प्रशासन की भूमिका बेहद नकारात्मक है। नीतीश कुमार जी महिला सशक्तीकरण का दावा करते हैं, लेकिन इस मसले पर अभी तक उनका मुंह नहीं खुला है। सीनियर एसपी का रवैया मामले की लीपापोती करने वाला रहा है। अभी तक कोर्ट के माध्यम से एक पीड़िता मुकदमा दर्ज करा सकी है। होना तो यह चाहिए था कि प्रशासन अपनी पहलकदमी पर अन्य लड़कियों का भी एफआईआर दर्ज करता, लेकिन वह पूरे मामले को दबा देना चाहता है।

जिस पीड़िता ने मुकदमा किया है, उसने अहियापुर थाने में खुलकर अपने साथ हुए अपराधों की चर्चा की। वह बार-बार कह रही है कि तिलक सिंह ने उसके साथ जबरदस्ती की, लेकिन पहले तो प्रशासन ने उसे प्रेम प्रसंग बताकर मामले को कमजोर करना चाहा और अब उस पीड़िता के पक्ष में जो लड़कियां गवाही देने गई हैं, उनसे प्रशासन पूछ रहा है कि वे लोग उक्त पीड़िता को कैसे जानती हैं? यहां तक कि उक्त पीड़िता का मोबाइल भी थाने ने जब्त कर रखा है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन पूरी तरह राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है और इसलिए इस मामले की जांच तुरत एसआईटी से की जानी चाहिए।

यह आश्चर्यजनक है कि 10 दिन गुजर जाने के बाद भी मुख्य अभियुक्त सीएमडी मनीष सिन्हा की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है और वह खुलेआम घूम रहा है तथा पीड़िता को तरह-तरह से डरा-धमका रहा है। मनीष सिन्हा भाजपा का काफी नजदीकी बताया जाता है. लड़कियों को धमकी दी गई कि उनके संबंध सरकार के बड़े-बड़े मंत्रियों से है, कुछ नहीं हो सकता, इसलिए केस वापस ले लो। प्रशासन को ये सारी बातें पता है लेकिन वह अपराधियों का लगातार बचाव कर रहा है। अब अन्य पीड़िता भी खुलकर सामने आ रही हैं।

ऐसी परिस्थिति में भाकपा-माले व ऐपवा की मांग है-
1. चूंकि जिला प्रशासन की भूमिका बेहद संदेहास्पद है, अतः इस मामले में अविलंब एसआईटी का गठन हो।
2. इस घटना ने एकबार फिर से बिहार को शर्मसार किया है। राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है, इसलिए इस मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए।
2. पीड़िता द्वारा दर्ज मुकदमे के मुख्य अभियुक्त मनीष सिन्हा की तत्काल गिरफ्तारी हो।
3. सरकार व प्रशासन स्वतः संज्ञान लेते हुए अन्य पीड़ित युवतियों का मुकदमा दर्ज करे।
4. ठगैती करने वाली डीबीआर कंपनी का रजिस्ट्रेशन तत्काल खत्म करते हुए उसे प्रतिबंधित किया जाए।
5. सभी युवक-युवतियों का पैसा वापस किया जाए। पीड़ित युवतियों को उचित मुआवजा उपलब्ध कराया जाए।
पूरे मामले को लेकर माले व ऐपवा की टीम जल्द ही राज्य के डीजीपी से मुलाकात करेगी। यदि न्याय नहीं मिलता तो हम राज्यव्यापी आंदोलन में जाएंगे।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author