Friday, March 29, 2024

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस: स्त्री मुक्ति की आग-शाहीन बाग !

स्त्री-पुरुष समानता, स्त्री की स्वतंत्रता और स्वच्छंदता, उसका निर्भय हो कर जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ना सभ्यता का एक मानदंड है जिसे हम दुनिया के सभी विकसित देशों में आज काफ़ी हद तक प्रत्यक्ष होता हुआ देख भी सकते हैं। यह एक हक़ीक़त है जो हमारे जैसे देश के शासकों के लिए आईने का काम कर सकती है।
मोदी सारी दुनिया घूम चुके हैं, लेकिन फिर भी अंधे बने हुए हैं। आज तक आरएसएस के पिछड़ेपन की गलाजत में ही सिर गड़ाए हुए हमारे समाज में स्त्री-विरोधी पुरातन सोच को बल पहुंचा रहे हैं। जिस शाहीन बाग ने भारत की स्त्रियों की मुक्ति का क्रांतिकारी रास्ता खोला है, मोदी उसे कुचल डालने के लिये उन्मत्त हैं। उन्होंने अपने इस छोटे से शासन में ही भारत को दुनिया में सबसे ज़्यादा बलात्कारों का देश कहलाने का गौरव दिलाया है।
मोदी की साइबर गुंडा वाहिनी हर पढ़ी-लिखी और स्वतंत्रचेता स्त्री को बलात्कार की धमकी देने और उसे कामुक गालियां देने में हमेशा तत्पर रहती है। उसके कितने ही नेता-मंत्रियों पर स्त्रियों के साथ दुराचार के आरोप हैं। उनके राजनीतिक कार्यकर्ताओं का सांप्रदायिक दंगों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और हर दंगाई अनिवार्य तौर पर बलात्कारी होता है। इन्हीं कारणों से भारत में मोदी शासन को भारत की स्त्रियों के लिए एक नर्क तैयार करने वाला शासन कहा जा सकता है।
आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पवित्र दिन के अवसर पर मोदी सरकार से हमारी विशेष मांग है कि वह शाहीन बाग की हमारी दादियों, मांओं और बहनों के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार करें, उनकी चिंताओं और मांगों पर समुचित ध्यान दें, उनसे संवाद करें और अपने सांप्रदायिक बदइरादों से भरे नागरिकता क़ानून को ख़ारिज करके भारत के प्रगतिशील विकास के रास्ते की बाधा न बने।
शाहीन बाग आज न सिर्फ़ भारत के लिये, बल्कि सारी दुनिया में स्त्री मात्र की स्वतंत्रता की लड़ाई की एक सबसे महत्वपूर्ण चौकी का रूप ले चुका है। इसे अपनी नफ़रत की आग में जलाने की मोदी सरकार की कोशिश स्वयं इस सरकार के लिये एक आत्म-हननकारी कदम से कम साबित नहीं होगा। इसके लिये उसे सारी दुनिया की स्त्री जाति के सम्मिलित कोप का भाजन बनना होगा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी लोगों को बधाई देते हुए हम पुन: दोहरायेंगे- मोदी सरकार होश में आओ, शाहीन बाग की बात सुनो! स्त्री मुक्ति की आग- शाहीन बाग !
(अरुण माहेश्वरी लेखक,साहित्यकार एवं स्तंभकार हैं और कोलकाता में रहते हैं।)

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