
रायपुर। छत्तीसगढ़ में रावण दहन को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। यहां के आदिवासियों ने रावण के पुतले के दहन पर रोक लगाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है। प्रदेश के महासमुंद, रायगढ़, राजनंदगांव, गरियाबंद, कवर्धा आदि जिलों के आदिवासियों ने इस संबंध में प्रशासन को आवेदन दिया है।
यही नहीं कवर्धा जिले के पूरे ब्लॉक में आदिवासी समाज ने रावण दहन करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने को लेकर थाने में आवेदन दिया है।
आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपने आवेदन में जिक्र किया है कि आदिवासियों की सामाजिक-सांस्कृतिक आस्था को ठेस पहुंचाते हुए रावण का पुतला दहन किया जाता है। इसके साथ ही असुर भैसासुर को दुर्गा प्रतिमा के साथ अपमानजनक तरीके से स्थापित कर उनकी आस्था, संस्कृति एवं सामाजिक मान्यताओं पर कुठाराघात किया जाता है।
दरअसल, आदिवासी मान्यताओं के अनुसार रावण को आदिवासी समुदाय अपना पूर्वज मानता है। आगे आपको यह भी बताते चलें कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आज भी रावण दहन नहीं होता है। बल्कि दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है। आदिवासी समुदाय के अनुसार हिन्दू धर्म ग्रंथों में आदिवासी मूलनिवासियों को ही असुर बताया गया है।
इस संबंध में विस्तृत चर्चा करते हुये आदिवासी विकास परिषद के संरक्षक तथा सर्व आदिवासी समाज जिला गरियाबंद के उपाध्यक्ष महेन्द्र नेताम ने बताया कि दुर्गा नवमी के दिन हम सभी आदिवासी समाज के लोग महिषासुर और रावण की परम्परानुसार अपने घरों व खेतों में पूजा करते हैं। महेन्द्र नेताम के अनुसार दशहरा पर रामलीला-नाटक आदि पर हमें कोई आपत्ति नहीं है पर रावण के पुतले का दहन हमारी भावनाओं के साथ खिलवाडं है। नेताम ने ये भी बताया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीसा जैसे आदिवासी बहुल राज्यों के सभी आदिवासी रावण दहन का विरोध करते हैं।
आदिवासी समुदाय ने सामूहिक ज्ञापन देते हुए कहा कि आदिवासियों (जनजातियों )की ही नहीं बल्कि भारतीय कार्यपालिका का सरेआम उल्लंघन किया गया है इससे हमारी भावनाओं को ठेस पहुंची है हमारी भावनाओं व हमारे आदर्शों आराध्यों का इस प्रकार अपमानित करना बंद नहीं हुआ तो हमारे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय की शरण लेना पड़ेगा व आंदोलन उग्र आंदोलन मजबूर होकर करना पड़ेगा
उन्होंने आगे यह भी मांग किया है कि रावण दहन करने वाले समिति दुर्गा उत्सव समिति के अध्यक्ष के विरुद्ध भारतीय संविधान के तमाम अनुच्छेदों के (46) अनु. 51 (क) (ग ) (ड)आईपीसी 1860 की धारा 295 295 ( क) 298 153 (क) के तहत मामला कायम कर सख्त से सख्त कार्यवाही करें।
जनचौक संवाददाता ने इस संबंध में गरियाबंद एसडीएम, कवर्धा जिला कलेक्टर, महासमुंद जिला कलेक्टर से बात किया। उनका कहना है कि यह धार्मिक मामला है। हम इस आवेदन के सम्बंध में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर सकते।