प्रयागराज। इलाहाबाद शहर के बुद्धिजीवियों और विद्यार्थियों ने प्रोफेसर जीएन साईबाबा और चित्रकार गोपाल नायडू को याद किया, उन्हें श्रद्धांजलि दी और जीएन साईबाबा की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। सभा की अध्यक्षता करते हुए राजेंद्र कुमार ने कहा जीएन साईबाबा और गोपाल नायडू ने अपने विचारों की सान पर तलवार तेज़ की है। जीएन साईबाबा ने हमें मरने की कला सिखाई कि कैसे देश के लिए काम करते हुए मौत तक पहुंचा जाय। उन्होंने देश प्रेम की कीमत अदा की। गोपाल नायडू और जीएन साईबाबा जैसे लोग समाज में दिखते नहीं लेकिन बड़ी तादाद में हैं।
बसंत त्रिपाठी ने गोपाल नायडू के बारे में बताते हुए कहा वे एक कलाकार थे साथ ही एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे और इसके कारण वे अपनी कला को पूरा समय नहीं दे पाए। उनके अंदर एक बेचैन कलाकार था।

सभा में ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट अविनाश मिश्रा ने बात रखते हुए कहा गोपाल नायडू को एक राजनीतिक कलाकार बताया। जीएन साईबाबा के मुकदमे में फैसला सुनाते हुए जज ने जो कहा वो कॉर्पोरेट की भाषा है। साईबाबा, पानसरे, कलबुर्गी, दाभोलकर और गौरी लंकेश की तरह के शहीद है। जो रोजी-रोटी की बात करता है सरकार उसे माओवादी घोषित करती है। उन्होंने कहा यूएपीए कॉर्पोरेट का कानून है।
स्त्री मुक्ति संगठन की डॉक्टर पद्मा सिंह ने कहा, कॉमरेड जीएन साईबाबा विकलांग नहीं इस देश के सबसे सक्षम व्यक्ति थे। वे इस देश का चमकता लाल सितारा हैं। ऐसे लोगों की कद्र इस सरकार को होनी चाहिए थी, लेकिन अफसोस कि नहीं हुई।

प्रख्यात कवि हरिश्चंद्र पांडे ने दोनों व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जेल में बंद सभी क्रांतिकारियों की रिहाई के लिए शुभकामनाएं दी।
छात्र अनुपम ने जीएन साईबाबा के जीवन यात्रा के बारे में बताया कि वे आज के नौजवानों के रोल मॉडल हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता रितेश विद्यार्थी ने फादर स्टेन स्वामी के बारे में बताया कि वे पत्थलगढ़ी आंदोलन का समर्थन करते थे। एक संत के तौर पर वे आदिवासियों की स्थिति देखकर बहुत द्रवित हुए, और वे आदिवासियों के एक्टिविस्ट हो गए। फर्जी मुकदमों में फंसाए गए आदिवासियों की जेल से बाहर निकालने के लिए उन्होंने वकीलों का एक समूह बनाया। इसी कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया और वहां उनके मानवाधिकारों का हनन किया गया।
जेल में बुखार से मारे गए पांडु नरोटे के बारे में बात रखते हुए कहा कि इंकलाबी छात्र मोर्चा के रामचंद्र ने कहा यह सिस्टम इतना क्रूर है कि पांडु नरोटे को जेल में मार दिया।

आइसा के मनीष कुमार ने जीएन साईबाबा और गोपाल नायडू को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सरकार जीएन साईबाबा जैसे लोगों को जेल में यातना दे कर मार देती है, और रतन टाटा जैसे लोगों को सिर पर चढ़ाती है, मीडिया इसमें उनका साथ देता है।
अधिवक्ता राम कुमार गौतम ने कहा यह समाज गौरी लंकेश के हत्यारों का स्वागत कर रही है। यह समय हमारे आस्तित्व और अस्मिता पर संकट है। इतिहास उनसे बना है जिसमें विषम परिस्थितियों में डट कर संघर्ष किया। अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए जीना ही महत्वपूर्ण है।
अधिवक्ता सदाशिव ने कहा उनपर फैसला सुनाते हुए जज ने कहा था इन सबके कारण सरकार देश में पूंजी निवेश नहीं कर पा रही है। यही जीएन साईबाबा के विचारों की ताकत थी, जिससे सरकार घबराती है।
पीयूसीएल इलाहाबाद के सचिव चित्तजीत ने जीएन साईबाबा की कविताओं पर बात करते हुए उनके रचनात्मक पहलुओं पर बात की। जेल में उनकी मातृभाषा छीन ली गई। उन्हें तेलुगु में लिखने की मनाही थी। लेकिन उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा में शानदार कविताएं लिखी।

भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा के महेंद्र ने राजकीय दमन पर बात रखते हुए यूएपीए को रद्द करने की मांग तेज़ करने की मांग की। राज्य गैरबराबरी को बढ़ाने का काम कर रहा है और इसका विरोध करना माओवाद है। राज्य खुद आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है।
वरिष्ठ अधिवक्ता फ़रमान नक़वी ने अपना श्रद्धांजलि वक्तव्य भेजा। सभा का संचालन पीयूसीएल की अध्यक्ष सीमा आज़ाद ने किया। सभा में अधिवक्ता राजवेंद्र, औरंगजेब, अनिता मुलायम, मनोज, विश्वविजय, अधिवक्ता सोनी आज़ाद और बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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