Monday, May 29, 2023

अनिल जैन

यह नग्न बाजारवाद का बेशर्म परीक्षण है!

इन दिनों वैसे तो अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से आ रही लगभग सभी खबरें निराश करने वाली हैं, लेकिन सबसे बुरी खबर यह है कि आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं। अनाज, दाल-दलहन, चीनी,...

सोलह महीने बाद भी 17वीं लोकसभा को उपाध्यक्ष नहीं मिल सका

सत्रहवीं लोकसभा का गठन हुए 16 महीने हो चुके हैं। यानी उसका एक चौथाई कार्यकाल बीत गया है। इस बीच उसके चार सत्र भी संपन्न हो चुके हैं। चारों सत्रों के बारे में सरकार की ओर से दावा किया...

अगर जसवंत सिंह की चली होती तो कश्मीर मसला शायद हल हो गया होता!

अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में अलग-अलग समय में वित्त, विदेश और रक्षा जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके जसवंत सिंह भारतीय जनता पार्टी के उन चंद नेताओं में से थे, जो 'हिंदू-मुस्लिम’ और 'भारत-पाकिस्तान’...

जनता से ज्यादा सरकारों के करीब रहे हैं हरिवंश

मौजूदा वक्त में जब देश के तमाम संवैधानिक संस्थान और उनमें शीर्ष पदों पर बैठे लोग अपने पतन की नित-नई इबारतें लिखते हुए खुद को सत्ता के दास के रूप में पेश कर अपने को धन्य मान रहे हों,...

एक नशेड़ी अभिनेता की लाश पर चुनावी रोटियां सेंकने की तैयारी

बिहार का एक बड़ा हिस्सा अभी भी बाढ़ से उपजी समस्याओं से जूझ रहा है। वहां कोरोना का संक्रमण तेजी फैलना जारी है, जबकि उसका मुकाबला करने में राज्य सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हो चुकी है। सूबे में...

प्रशांत भूषण प्रकरण: जस्टिस मिश्रा के फैसले से सुप्रीम कोर्ट की हुई हेठी!

सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक अवमानना के अभूतपूर्व मामले में दोषी ठहराए गए जाने-माने वकील प्रशांत भूषण पर अभूतपूर्व सजा के रूप में एक रुपए का जुर्माना लगाया, जिसे प्रशांत भूषण ने कुबूल कर लिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई...

महामारी और गोपनीयता की आड़ में लोकतंत्र को पंगु बनाने की साजिश

कोरोना महामारी की वैश्विक चुनौती के संदर्भ में हमारे समय के विद्वान-दार्शनिक और इतिहासकार युवाल नोहा हरारी का एक लेख करीब पांच महीने पहले ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में छपा था। अपने उस चिंतनपरक लेख में उन्होंने बताया...

कांग्रेस के लिए गांधी परिवार वैसे ही ज़रूरी है जैसे भाजपा के लिए संघ

जब भी कोई राजनीतिक दल अपने बुरे दौर से गुजर रहा होता है तो उसमें कुछ न कुछ खटपट चलती रहती है। कभी नेतृत्व को लेकर सवाल उठता है तो कभी पार्टी की दशा और दिशा को लेकर। इसमें...

कोरोना के सामने खुद ही बीमार साबित हो गईं भारत की स्वास्थ्य सेवाएं

भारत में कोरोना महामारी से निबटने के लिए आज से पांच महीने पहले जब देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था, तब देश में कोरोना से संक्रमण के करीब 450 मामले थे और महज 18 लोगों की मौत हुई थी।...

लाल किले के प्राचीर से अधूरे सच, सफेद झूठ और आत्म प्रशंसा से भरा भाषण

अधूरा सच, सफेद झूठ, परनिंदा, नए-नए शिगूफे, धार्मिक और सांप्रदायिक प्रतीकों का इस्तेमाल और आत्म प्रशंसा! यही पांच प्रमुख तत्व होते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में। मौका चाहे देश में हो या विदेश में, संसद में हो...

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घर में नहीं हैं दाने, मामा चले हवाई तीर्थ कराके वोट भुनाने

बहुत ही घबराए और बिल्लियाये हुए हैं शिवराज सिंह चौहान और उतनी ही सिड़बिल्याई हुयी है भाजपा और जनादेश...