Author: अरुण माहेश्वरी
मोदी के सभी पूर्व और वर्तमान सभाध्यक्षों से संसद के दोनों सदनों को बचाना चाहिए
आज से 18वीं लोक सभा का सत्र शुरू होगा और 26 जून को इसके स्पीकर का चुनाव होगा।लोकसभा के स्पीकर के चुनाव को मोदी के [more…]
राहुल गांधी के जन्मदिन के बहाने सामाजिक-राजनीतिक विमर्श के मनोविश्लेषण के औजार पर कुछ बातें
कल राहुल गांधी का जन्मदिन था। वे 54 साल के पूरे हो गए। सोशल मीडिया पर राहुल के जन्मदिन की धूम थी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं [more…]
मोदी अब एक पतनोन्मुख शक्ति है और सत्ता उनकी सबसे बड़ी कमजोरी
‘ईश्वर मर गया है। अब ऐसा लगता है कि उसकी प्रेत छाया मंडराती रहेगी।’ नीत्शे का यह कथन तब यथार्थ में साफ़ नज़र आया जब [more…]
बीजेपी और आरएसएस : स्वार्थों पर टिका बेटे और बाप का रिश्ता
इंडियन एक्सप्रेस में आरएसएस से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले जगतप्रकाश नड्डा के वक्तव्य पर अभी खूब चर्चा चल रही है। दरअसल, यह अपने [more…]
बुनियादी मुद्दों की वापसी ही मोदी की भारी हार को सुनिश्चित कर रही है
चौथे चरण के मतदान तक आते-आते अब 2024 के चुनाव ने साफ़ दिशा पकड़ ली है। मोदी और बीजेपी ने सोचा था कि वे अपने प्रचार [more…]
ऐसे निरुद्वेग सूत्रीकरणों का क्या लाभ?
चौदह फ़रवरी के ‘टेलिग्राफ’ में प्रभात पटनायक की एक टिप्पणी है- (नव-उदारवाद से नव-फासीवाद ) गोपनीय संपर्क । From neoliberalism to neofascism : Hidden link। [more…]
मोदी जी के संख्या-जाप के उन्माद का इलाज जनता ही करेगी
फ़ेसबुक पर हमने एक छोटा सा कमेंट पोस्ट किया था- “गली-चौराहे, बात-बेबात चार सौ, चार सौ पार चीखते रहना सिर्फ़ विक्षिप्तता नहीं, भारी पागलपन का [more…]
व्याख्या का ही अंत हो चुका है, जरूरत है अव्याख्येय नूतन पाठ की
3 फरवरी के ‘टेलिग्राफ’ में सुनंदा के दत्ता राय का एक दिलचस्प लेख पढ़ रहा था- ‘अब भारतवर्ष की रक्षा में राम खड़े हैं।’ इस [more…]
क्या सीजेआई का ज्ञान ही उनका दुश्मन बन गया है?
आज क़ानून संबंधी विमर्शों की जानकारी रखने वाला हर व्यक्ति यह जान चुका है कि हमारे सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने ही रामजन्मभूमि विवाद, धारा [more…]
RSS और शंकराचार्यों के बीच का तनाव क्या अपनी ऐतिहासिक तार्किक परिणति की ओर बढ़ रहा है?
राम मंदिर पर शंकराचार्यों के द्वारा उठाए गए धर्मशास्त्रीय विवाद में अब स्थिति साफ़ तौर पर उस तार्किक परिणति तक जाती हुई दिखाई देने लगी [more…]