Friday, March 29, 2024

अरुंधति रॉय

गाज़ा पर अरुंधति रॉय: फिर कभी नहीं

पश्चिमी संसार के अमीरतम, शक्तिशाली देश, जो खुद को लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति आधुनिक दुनिया की कटिबद्धता की मशाल जलाए रखने वाले मानते हैं, खुलेआम गाज़ा में इजरायल के नरसंहार को वित्तपोषण कर रहे हैं और तालियां पीट...

हमारे देश ने अपना नैतिक विवेक खो दिया है: अरुंधति रॉय

मैं भारत में स्वतंत्र प्रेस के खात्मे के बारे में बात नहीं करने जा रही हूं। यहां इकट्ठे हुए हम सभी लोग इसके बारे में सब कुछ जानते हैं। न ही मैं इसके बारे में बात करने जा रही...

गतिरोध के कगार पर: बोलने की आज़ादी और नाकाम होता लोकतंत्र 

(स्टॉकहोम स्थित स्वीडिश अकादमी में 'थॉट एंड ट्रुथ अंडर प्रेशर' विषय पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। 22 मार्च, 2023 को हुए इस कार्यक्रम में पांच अन्य वक्ताओं के साथ मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय ने भी अपने विचार...

मोदी-अडानी मॉडल: ख़ून और दौलत के दलदल में खिल रहा है कमल

भारत पर विदेशी ताक़तें हमला कर रही हैं। ख़ास कर ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका। या फिर हमारी सरकार चाहती है कि हम ऐसा ही सोचें। क्यों? क्योंकि पुरानी औपनिवेशिक ताक़तें और नए साम्राज्यवादी हमारी दौलत और ख़ुशहाली से...

किसी के पक्ष में एकजुटता जाहिर करना भी अब जोखिम भरा हो गया है: अरुंधित रॉय

हम उस काम को पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं जिसे करते हुए लगता है वर्षों बीत चुके हैं। इतने सारे सहचर मनुष्यों के साथ एक साथ एक कमरे में रहने के आनंद को मैं कभी भी चलताऊ...

लपट हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है: अरुंधति

गुड आफ़्टरनून, और मुझे सिसी फेरेन्टहोल्ड लेक्चर देने के लिए बुलाने के लिए आपका शुक्रिया। मैं लेक्चर शुरू करूँ, इससे पहले मैं यूक्रेन में जंग के बारे में कुछ बातें कहना चाहूँगी। मैं रूसी हमले की साफ़ शब्दों में...

हम जेब में लेकर नहीं घूम सकते हैं अपना दुश्मन: पेगासस पर अरुंधति रॉय

भारत में मौतों की मनहूसी का मौसम बड़ी तेज़ी से जासूसी के मौसम में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर उतर गई है, और अपने पीछे छोड़ गई है अंदाज़न 40 लाख भारतीयों की मौतें।...

हम पर नरपिशाचों का राज है: स्टेन स्वामी की मौत पर अरुंधति

भारत के वंचितों की सेवा में अपनी जिंदगी के दशकों खर्च कर देने वाले 84 साल के जेसुइट पादरी फादर स्टेन स्वामी को कष्टदायक हिरासत में रखकर लोकतंत्र के इस सब्जबाग में आहिस्ता-आहिस्ता कत्ल कर दिया गया। इसके लिए...

हमें सरकार चाहिए!

हमें सरकार की जरूरत है। बहुत बुरी तरह से। जो हमारे पास है नहीं। सांस हमारे हाथ से निकलती जा रही है। हम मर रहे हैं। हमारे पास यह जानने का भी कोई सिस्टम नहीं है कि जो मदद...

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