जवरीमल्ल पारख
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: हबीब तनवीर और लोक परंपरा की प्रासंगिकता
(आज से सौ साल पहले 1 सितंबर, 1923 को प्रसिद्ध रंगकर्मी, नाट्य निर्देशक, लेखक और अभिनेता हबीब अहमद खान जिन्हें सभी हबीब तनवीर के नाम से जानते हैं का रायपुर में जन्म हुआ था और लगभग 86 वर्ष की...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: लोक और दलित चेतना के प्रगतिशील गीतकार शैलेंद्र
(हिंदी फ़िल्मों के प्रख्यात गीतकार शैलेंद्र का जन्म 30 अगस्त, 1923 को हुआ था और यह वर्ष उनका शतब्दी वर्ष है। हिंदी सिनेमा में प्रगतिशील और लोक चेतना की जैसी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति उनके गीतों में हुई है, वैसी किसी...
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स्वतंत्रता दिवस विशेष-1: खतरे में है आज़ादी, लोकतंत्र और संविधान?
लगभग दो सौ साल के लंबे उपनिवेश-विरोधी संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी हासिल हुई। लेकिन इस आज़ादी की भारी कीमत भी चुकानी पड़ी। देश का धर्म के आधार पर विभाजन हुआ। लाखों-लाख लोग विस्थापित...
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मोदी-योगी की विचारधारा पैदा कर रही है चेतन सिंह जैसे हत्यारे
दिनांक 31 जुलाई 2027 को जब जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन मुंबई पहुंचने से महज दो घंटे की दूरी पर थी, तब चलती रेलगाड़ी में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के एक कांस्टेबल चेतन सिंह ने अपनी राइफल से सबसे पहले...
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लेखकों से डरी सरकार: पुरस्कार से पहले शपथ-पत्र की शर्त
कन्नड़ के ख्याति प्राप्त लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित एम. एम. कलबुर्गी की 30 अगस्त 2015 को उन्हीं के घर के बाहर हत्या कर दी गयी थी। वे तर्कशील वैज्ञानिक चेतना के लेखक थे जिन्होंने अपने लेखन...
बीच बहस
एक नास्तिक की धर्म-चर्चा
जाति की तरह धर्म का मसला भी ऐसा ही उलझा है। मेरा तात्पर्य रिलीजन से है, कर्त्तव्य से नहीं। हमें हमारा धर्म जन्म से मिल जाता है। हमारे माता-पिता हमें बताते हैं कि हम हिंदू हैं या मुसलमान हैं,...
बीच बहस
जाति ही पूछो साधु की, ज्ञान से क्या काम?
किसी ने सही कहा है कि इंसान जन्म के साथ कुछ लेकर नहीं आता। कपड़े तक नहीं। लेकिन पैदा होते ही उसे जाति, धर्म, देश, लिंग, नस्ल सब कुछ बिन मांगे हासिल हो जाते हैं और ज़िंदगी भर उसे...
बीच बहस
समान नागरिक संहिता और हिंदुत्व की राजनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में अब मुश्किल से दस महीने शेष हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को हर हालत में वह चुनाव जीतना है। ‘सब का साथ, सब का विकास और सब का विश्वास’...
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संविधान विरोधी गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह मे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने ‘कल्याण’ पत्रिका के शिव पुराण विशेषांक का विमोचन भी किया। एक साल पहले गीता प्रेस...
संस्कृति-समाज
‘फिल्म’ जय भीम: वर्ग-जाति और मार्क्स-आंबेडकर का साझापन
मद्रास उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए न्यायाधीश के.चंद्रू जब वकील थे, तब 1993 में उन्होंने एक आदिवासी गर्भवती स्त्री पार्वती का मुकदमा लड़ा था, जिसका पति राजाकन्नू पुलिस हिरासत से लापता था। अपने पति की खोज में वह इधर-उधर...
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ग्राउंड रिपोर्ट: चुवांड़ी खोदकर पानी पीने को मजबूर पलामू की परहिया जनजाति
झारखंड के पलामू जिला अंतर्गत रामगढ़ प्रखण्ड का एक गांव है मरगड़ा। आदिम जनजाति परहिया के 60 परिवारों वाला...