Thursday, March 28, 2024

कृष्ण प्रताप सिंह

सेमीफाइनल भर नहीं हैं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव

जो राजनीतिक प्रेक्षक अभी भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना व मिजोरम के विधानसभा चुनावों को अगले साल के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भर मानते आ रहे हैं, एक कहावत का इस्तेमाल करके कहें तो उन्हें तेल ही नहीं,...

स्मृति दिवस: जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के अन्दर और बाहर के संकीर्णतावादियों से लड़ाई लड़ी  

पं. जवाहरलाल नेहरू की यादों के साथ इधर एक बडी विडम्बना जुड़ गई है। जब भी उनकी बात चलती है, उनके बडे योगदानों, बड़ी उपलब्धियों और बड़ी विफलताओं के हवाले हो जाती है और वे छोटे प्रसंग अचर्चित रह...

शीतला सिंह: धार्मिक उन्माद व पत्रकारिता के दूषित प्रवाहों के विरुद्ध अलख जगाये रखने वाला महारथी चला गया 

बीती शताब्दी के नवें दशक की बात है। ‘पढ़ाई-लिखाई’ खत्मकर बेरोजगार घूम रहा था और कई मीडिया संस्थानों में खासा बढ़िया इंटरव्यू देने के बावजूद हाथ लगी निराशा ने मनोबल को बुरी तरह तोड़ रखा था। इसलिए अयोध्या (उन...

1857 का विद्रोह: भारत की गुलामी की जंजीरें तोड़ने का प्रथम प्रयास             

वर्ष 1857 में वह दस मई, दिन रविवार का था। उस रोज जब हमारे देश ने अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कम्पनी की गुलामी के विरुद्ध अपने पहले स्वतंत्रता संग्राम का आगाज किया। इस आगाज की अगुवाई देश की राजधानी...

जयंती पर विशेष: पूंजीवाद के जयघोष के दौर में कार्ल मार्क्स की याद         

पूंजीवाद की जय और साम्यवाद की पराजय के उद्घोष के इस दौर में वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजविज्ञानी और पत्रकार कार्ल मार्क्स {1818 में जिनका जर्मनी में आज के ही दिन जन्म हुआ} की यादें एक बडी...

मजदूर अपने जीवन का ‘वह’ सबसे बड़ा पुरस्कार कब पायेंगे? 

मई दिवस। अमेरिका के छब्बीसवें राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट (जो 1906 का शांति का नोबेल जीतकर यह पुरस्कार पाने वाले पहले अमेरिकी भी बने थे) ने 1903 में मजदूर दिवस के अपने बहुचर्चित सम्बोधन में मजदूरों के लिहाज से बेहद...

ग्राम्यजीवन आजकल: आवारा पशुओं की भरमार और भलमनसाहत का अकाल!

हमारे बचपन में साइकिलों को छोड़ दीजिए तो इस गांव में बैलगाड़ियां, इक्के और तांगे ही हुआ करते थे या फिर रिक्शे। टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ कच्ची सड़क पर लोग इन्हीं साधनों से जैसे-तैसे आते-जाते। यह जो चमाचम सड़क देख...

जयंती पर विशेष: ‘हरिऔध’, जिन्होंने रचा खड़ी बोली का पहला महाकाव्य

कोई पूछे कि खड़ी बोली में रचा गया हिन्दी का पहला महाकाव्य कौन-सा है, तो हिंदी साहित्य के सामान्य जानकार को भी ‘प्रिय प्रवास’ का नाम लेते देर नहीं लगती। आलोचक कहते हैं कि सत्रह सर्गों में विभाजित इस...

भारत का ह्वेनसांग कहें या महापंडित, अनवरत यात्री कहे बिना राहुल सांकृत्यायन का परिचय रहता है अधूरा

राहुल सांकृत्यायन, जिन्हें हम आज 14 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं, अपने वक्त में ही ‘भारत के ह्वेनसांग’ बन गये थे और न सिर्फ यह देश बल्कि दुनिया उन्हें ‘महापंडित’ के रूप में जानने, इतिहास,...

हम हिन्दुस्तानी : जितना भी तुम समझोगे, होगी उतनी हैरानी!

हिन्दी के मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक बहुचर्चित और विचारोत्तेजक कविता है-‘देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता’। जिन बेहद गम्भीर आशयों के सिलसिले में उन्होंने देश को लेकर यह व्यवस्था दी है, यहां उनके विश्लेषण का...

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ग्राउंड रिपोर्ट: रीति रिवाजों के नाम पर लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ समाज

हमारे समाज में अक्सर ऐसे कई रीति रिवाज देखने को मिलते हैं जिससे लैंगिक भेदभाव स्पष्ट रूप से नज़र आता...