Friday, March 29, 2024

मुकेश कुमार सिंह

प्रधानमंत्री जी को ये हो क्या गया है?

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने ऐसा धमाका करके दिखा दिया है, जैसा दुनिया के ज्ञात इतिहास में शायद ही कभी हुआ हो! हुज़ूर का कहना है कि “पूर्वी लद्दाख में न तो कोई हमारी सीमा में घुस आया है,...

चीनी कब्जे से रिहा हुए सैनिकों की आड़ में ‘झूठ की खिचड़ी’ क्यों परोस रही है सरकार!

ये शब्द कड़वे भले लगें लेकिन हैं बिल्कुल सच्चे कि भारत सरकार, इसकी सेना और इसका विदेश मंत्रालय, देश को ग़ुमराह कर रहा है। वर्ना, 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई बर्बर...

नेपाल पर भी हावी हैं राष्ट्रवादी लपटें, भारत-विरोध वहाँ की राजनीतिक मज़बूरी है

आख़िर क्यों, सदियों से भारत से दोस्ताना सम्बन्ध रखने वाला नेपाल देखते ही देखते दुश्मनों जैसा व्यवहार करने लगा? मौजूदा दौर में जब चीन, पाकिस्तान और नेपाल हमें तरह-तरह के तेवर दिखा रहे हैं, तब नेपाल के रवैये को...

सरकार साफ़ क्यों नहीं बताती कि भारत-चीन वार्ता की एक और कोशिश भी नाकाम रही?

शनिवार, 6 जून को लेह-लद्दाख के चुशुल-मोल्डो क्षेत्र में सीमावर्ती बैठक स्थल पर हुई लेफ़्टिनेंट जनरल स्तरीय बातचीत भी बेनतीज़ा ही रही। हालाँकि, राजनयिक दस्तूर को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने ऐसा साफ़-साफ़ कहने से परहेज़ किया है। फिलहाल,...

वेतन, EMI और प्रवासी: मोदी सरकार के दावों की पोल खुलनी शुरू

कोरोना संकट को लेकर केन्द्र सरकार ने जनता को राहत देने के लिए तरह-तरह की घोषणाएँ कीं। वित्त मंत्री तो पाँच दिनों तक अपने पैकेज़ों का पिटारा खोलकर 21 लाख करोड़ रुपये की कहानियाँ सुनाती रहीं। शुरुआत में लगा...

‘उड़ता ताबूत’ की तरह ‘आत्मनिर्भर PPE’ के लिए भी एक जुमले की तलाश जारी है!

130 करोड़ भारतवासी देख रहे हैं कि हमारी सरकारें ग़रीबों की भूख और उनके सड़कों पर मारे जाने के प्रति कितनी संवेदनहीन बनी हुई हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के PPE (निजी सुरक्षा...

जब आलम ‘समानान्तर सरकार’ का हो तो ‘गुस्ताख़’ हाईकोर्ट्स को माफ़ी कैसी?

कोरोना संकट की आड़ में जैसे श्रम क़ानूनों को लुगदी बनाया गया, क्या वैसा ही सलूक अब न्यायपालिका के साथ भी होना चाहिए? क्योंकि बक़ौल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, देश के 19 हाईकोर्ट्स के ज़रिये ‘कुछ लोग समानान्तर सरकार’...

जब कर्ज़ लेने और देने वाले, दोनों भयभीत हों तो कोरोना पैकेज़ से क्या होगा?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर बनो’ वाले 12 मई के नारे के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने पाँच दिनों तक देश के आगे ‘आओ, कर्ज़ा लो’ वाली नारेबाज़ी की। दोनों नारों के प्रति जब उद्यमियों में कोई उत्साह नहीं...

आख़िर वित्तमंत्री क्यों नहीं जानतीं कि देश में कितने हैं प्रवासी मज़दूर?

सरकारें जब जनता के आक्रोश से डरने लगती हैं तब तरह-तरह के भ्रम फैलाती हैं। इन्हें अब साफ़ दिख रहा है कि कोरोना संकट से जुड़ी उसकी रणनीतियाँ औंधे मुँह गिर चुकी हैं। समाज के विशाल तबके तक सरकारी...

महाविपत्ति की इस बेला में निष्क्रिय क्यों है भारतीय संसद?

देश भर की सड़कों पर बिखरे दारुण दृश्यों को लेकर ‘सर्वोच्च राजनीतिक मंच’ पर कोई आवाज़ सुनायी नहीं दी है। संसद ने कोरोना की आफ़त से बढ़कर सामने आयी बेरोज़गारी, भुखमरी और जर्जर चिकित्सा तंत्र जैसे मुद्दों पर अपनी...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...