दो सावरकर नहीं हैं ‘1857’ और ‘हिन्दुत्व’ के लेखक
(सावरकर को लेकर यह भ्रम प्रगतिशील समझे जाने वाले बुद्धिजीवियों में भी आम रहा है कि `हिन्दुत्व का सिद्धांतकार` अपने शुरुआती दौर में धर्मनिरपेक्ष था। [more…]
(सावरकर को लेकर यह भ्रम प्रगतिशील समझे जाने वाले बुद्धिजीवियों में भी आम रहा है कि `हिन्दुत्व का सिद्धांतकार` अपने शुरुआती दौर में धर्मनिरपेक्ष था। [more…]