Author: प्रेम सिंह
जगजीत सिंह डल्लेवाल का उपवास: विश्वसनीयता, गरिमा और मजबूती की पुनर्बहाली
5 मार्च 2025 को जगजीत सिंह डल्लेवाल के उपवास के सौ दिन पार हो चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के [more…]
सांप्रदायिक सर्वसम्मति की ओर भारतीय राजनीति!
धर्मनिरपेक्ष खेमे के विद्वान आरएसएस/भाजपा के कट्टर हिंदुत्व का प्रत्यक्ष विरोध करते समय अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के नरम हिंदुत्व का उल्लेख इस तरह करते हैं [more…]
कांग्रेस-विरोध का आख्यान: सच और झूठ की पहचान!
(यह लेख मई 2019 के पहले सप्ताह का है। तब नरेंद्र मोदी सरकार के पांच साल पूरे हो चुके थे, और लोकसभा चुनाव 2019 की [more…]
दिल्ली विधानसभा चुनाव: परिवर्तन या यथास्थिति?
5 फरवरी 2025 को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनावों में किसी वैचारिक तत्व की तलाश करना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है। [more…]
दिल्ली विधानसभा चुनाव: शीला दीक्षित की दिल्ली के दावेदार!
(यह टिप्पणी करीब 6 साल पहले मार्च 2019 में लिखी गई थी। विद्वान पत्रकार साथी अरुण त्रिपाठी ने दिल्ली में 5 फरवरी 2025 को होने [more…]
किसान आंदोलन: मरण-व्रत टूटे, जीवन-संघर्ष जारी रहे
यह अच्छी बात है कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) खनौरी बॉर्डर और शंभू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के संयुक्त [more…]
नवउदारवादियों की जीत के साढ़े तीन दशक
भारत में पिछले करीब साढ़े तीन दशकों की नवउदारवाद/निजीकरणवाद की यात्रा पर नजर डालें तो पाते हैं कि बाजी पूरी तरह नवउदारवादियों के हाथ रही [more…]
साहित्यिक कल्पना में भारत छोड़ो आंदोलन
किसी समाज एवं सभ्यता की बड़ी घटना का प्रभाव साहित्य और अन्य कलाओं पर पड़ता है। उपनिवेशवादी वर्चस्व के खिलाफ हुआ 1857 का विद्रोह, जिसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता [more…]
लोकतंत्र की राह में कमजोर किंतु समझदार आवाजों को सुनना चाहिए
मैं पिछले करीब एक महीने से हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में रह रहा हूं। हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से शिमला में रहने वाले कई लोगों से होने वाली सामान्य [more…]