Author: राजू पांडेय
-
आत्मचिंतन का अवसर है यह गणतंत्र दिवस
जब भारतीय गणतंत्र अपने गौरवशाली सात दशक पूरे कर रहा है तब एक ऐसी विचारधारा का उभार अपने चरम पर है जो इन सात दशकों को असफलता और गलतियों के कालखंड के रूप में मूल्यांकित करती है और यह मानती है कि हमारे गणतंत्र की आधार शिला- हमारा संविधान- ही प्रकारांतर से हमारी कथित समस्याओं…
-
अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा ही देगी हमारे लोकतंत्र को स्थायित्व
क्या हमारे लोकतंत्र को धीरे धीरे बहुमत के शासन में तब्दील किया जा रहा है? क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था का उपयोग बहुसंख्यक वर्ग की धार्मिक सर्वोच्चता स्थापित करने हेतु किया जा सकता है? क्या हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में अंतर्निहित अपूर्णताओं का लाभ उठाकर धीरे धीरे अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व संसद और विधान सभाओं में समाप्त किया…
-
क्या कोई अराजक समाज दे सकता है मानवाधिकारों के रक्षा की गारंटी?
क्या मानवाधिकारों के प्रति असंवेदनशीलता किसी ताकतवर राष्ट्र की पहली पहचान है? क्या राष्ट्रीय सुरक्षा तभी मजबूत हो सकती है जब हम मानवाधिकारों के प्रश्न को गौण बनाते हुए मुट्ठी भर आतंकवादियों या अलगाववादियों के खात्मे के लिए लाखों आम लोगों के साथ भी वैसा ही कठोर व्यवहार करें जैसा किसी संदिग्ध अपराधी के साथ…
-
अयोध्या फैसलाः अब सद्भाव की स्थापना की जरूरत
बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने देश के सम्मुख एक अवसर उपस्थित किया है, जब वह कटुता और वैमनस्य के लंबे और अंतहीन दौर से बाहर निकल कर सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता के पुराने और जांचे-परखे रास्ते पर वापस कदम बढ़ सके। यह विवाद एक जीर्ण रोग का रूप…
-
गांधी दर्शन: समरसता की बुनियाद पर टिकी अर्थव्यवस्था और राजनीति
हम सब विकास के जिस मॉडल को आदर्श मानते हैं वह मनुष्य विरुद्ध प्रकृति के नैरेटिव पर आधारित है। यही कारण है कि हमारी अभिव्यक्तियां प्रकृति पर विजय प्राप्त करना और प्रकृति को अपने अधीन करना जैसी होती हैं। प्रकृति के साथ हिंसात्मक बर्ताव करते हुए उसका अपनी लोलुपता और भोग लिप्सा के लिए मनमाना…
-
हिंसा अशांत करती है, तोड़ती है और बांटती है: गांधी
1939 में गोलवलकर ने एक पुस्तक लिखी थी- वी ऑर आवर नेशनहुड डिफाइंड। इस पुस्तक के पांचवें अध्याय में वे यह दर्शाते हैं कि जब तक अल्पसंख्यक समुदाय अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और प्रजातीय विशेषताओं का पूर्ण परित्याग नहीं करेंगे और हिन्दू धर्म तथा संस्कृति को नहीं अपनाएंगे तब तक वे भारतवर्ष के नागरिक नहीं बन…
-
शांति, एकजुटता और महात्मा गांधी
(राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर रायगढ़ में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। जिसमें जनचौक के नियमित लेखक डॉ. राजू पांडेय मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित थे। वह न केवल कार्यक्रम में शामिल हुए बल्कि उन्होंने गांधी के सभी पक्षों को समेटते हुए एक लंबा वक्तव्य दिया। यह पूरा भाषण लिखित…
-
हार कर भी जीतती रही है हिंदी
यह पहला हिंदी दिवस था जब हिंदी भाषा के विषय में लिखने में संशय, दुविधा और संकोच का अनुभव हुआ। भय इस बात का था कि हिंदी के प्रति प्रेम और कृतज्ञता की किसी भी अभिव्यक्ति का उपयोग किसी ऐसे प्रयोजन के लिए न कर लिया जाए जो हिंदी की प्रकृति के सर्वथा प्रतिकूल और…
-
हादसे तो क्या रुकेंगे, भ्रष्टाचार को बढ़ावा जरूर देगा नया मोटर व्हीकल एक्ट
सरकार का नया मोटर व्हीकल एक्ट विवादों में है। जहां अनेक विपक्षी दल और बुद्धिजीवी यह आरोप लगा रहे हैं कि इसके अनेक प्रावधान हमारे संघीय ढांचे की आत्मा पर आघात हैं वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि अठारह राज्यों के परिवहन मंत्रियों से चर्चा और विमर्श के बाद ही यह बिल तैयार किया…