Author: रामशरण जोशी

  • लंदन यात्रा: लोकतंत्र में प्रधानमंत्रियों के ठिकानों की अपनी अपनी अदाएं !

    लंदन यात्रा: लोकतंत्र में प्रधानमंत्रियों के ठिकानों की अपनी अपनी अदाएं !

    “भय मुक्त होकर राजसत्ता से सत्य कहो। डरो नहीं।” देश में विदेशी सत्ता के विरुद्ध भारतीयों के लिए यह सन्देश महात्मा गांधी का था। लेकिन, आज ये चंद शब्द मेरे कानों में उस अश्वेत के गूंज रहे हैं जिन्हें वह लंदन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के सरकारी निवास स्थान- 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर लाउड स्पीकर…

  • तीन देश, कहानी  एक: लोकतंत्र की पोशाक में निरंकुश सत्ताएं? 

    तीन देश, कहानी  एक: लोकतंत्र की पोशाक में निरंकुश सत्ताएं? 

     “ न हो कमीज़ तो पांवों से पेट ढंक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए।” ( दुष्यंत) अगस्त 1947 में श्वेत साम्राज्यवादी शासकों ने भारतीय उपमहाद्वीप को दो स्वतंत्र देशों में विभाजित किया था : भारत और पाकिस्तान। भारत में धर्मनिरपेक्ष व समाजवादी लोकतांत्रिक राजव्यवस्था ने जन्म लिया, जबकि पाकिस्तान का  राज्य चरित्र…

  • देश की विश्वविख्यात बावड़ी: एक सुबह चांद बावड़ी के आंगन में

    देश की विश्वविख्यात बावड़ी: एक सुबह चांद बावड़ी के आंगन में

    अक़्सर होता है। हम बेदूर आकर्षण के केंद्रों के प्रति उदासीन भाव बनाये रखते हैं। दिल्ली के मयूर विहार स्थित मेरे घर से ‘अक्षरधाम मंदिर’ दूर नहीं, तीन किलोमीटर पर है। वर्षों से यह दुनिया भर का आकर्षण- केंद्र बना हुआ है। तक़रीबन दो-तीन दिनों में इसके सामने से मैं वाहन से गुजरता हूं। लेकिन,…

  • दल-बदल का ‘ज़मीर-फरोश कारोबार’ और फैलती शव संस्कृति

    दल-बदल का ‘ज़मीर-फरोश कारोबार’ और फैलती शव संस्कृति

    पिछले एक अर्से से लोकतांत्रिक व्यवस्था के वाहक -संचालक गिद्ध गिरोह में बदलते जा रहे हैं। यह गिरोह शवों की  फ़िराक़ में अहर्निश लगा रहता है। जैसे ही शव दिखाई देता या देते हैं, तुरंत ही उस पर बेरहमी से टूट पड़ते हैं। विभिन्न कोणों से शव को नोचते हैं। फिर उसे डकार कर फुर्र…

  • लंदन यात्रा: क्या चुनाव में ऋषि सुनक की कश्ती ‘जय श्रीराम’ से पार लगेगी ? 

    लंदन यात्रा: क्या चुनाव में ऋषि सुनक की कश्ती ‘जय श्रीराम’ से पार लगेगी ? 

    “जय श्री  राम। मैं यहां प्रधानमंत्री के रूप में नहीं हूँ, लेकिन एक हिन्दू के रूप में हूँ। मुझे हिन्दू होने पर गर्व है। मुझे ब्रिटिश होने पर गर्व है, हिन्दू होने पर भी गर्व है। जिस प्रकार मुरारी बापू की पृष्ठभूमि में स्वर्ण जटित हनुमान जी की प्रतिमा है उसी तरह मुझे गर्व है कि…

  • विचारधारा शून्यता के माहौल में: क्या मोदी-शाह सत्ता गडकरी की पीड़ा पर ध्यान देगी?

    विचारधारा शून्यता के माहौल में: क्या मोदी-शाह सत्ता गडकरी की पीड़ा पर ध्यान देगी?

    मोदी सरकार के वरिष्ठ काबीना मंत्री नितिन गडकरी के इस कथन से कोई बेईमान नेता ही असहमत हो सकता है कि आज जनता की नज़रों में नेताओं की छवि अवसरवादी की बनती जा रही है। वजह है, उनमें विचारधारा की शून्यता बढ़ती जा रही है। लोग कहने लगे हैं कि वर्तमान सांसदों में वैचारिक प्रतिबद्धता…

  • मृणाल सेन के जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष: ‘यथास्थितिवाद’ से मुक्ति की तलाश में

    मृणाल सेन के जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष: ‘यथास्थितिवाद’ से मुक्ति की तलाश में

    जनप्रतिबद्ध फिल्मकार मृणाल सेन का जन्म शताब्दी वर्ष है। 1972 में मृणाल दा की बहु चर्चित फिल्म कलकत्ता 71 आई थी। उन्होंने फंतासी शैली के माध्यम से तत्कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक यथार्थ को दर्शाया था। 1972 में ही मैंने इस फिल्म को कलकत्ता के मेट्रो थिएटर में देखा था। इसे देखने के पश्चात कॉमरेड झरना…

  • बिहार का पलटूराम+झड़पूराम सत्ताड्रामा: राजनैतिक पतनशीलता का उत्कर्ष काल

    बिहार का पलटूराम+झड़पूराम सत्ताड्रामा: राजनैतिक पतनशीलता का उत्कर्ष काल

    हम त्रेता युग की रामराज प्रजा से 22 जनवरी को कलियुगीन रामराज की प्रजा बने हैं। अयोध्या में विराट प्रदर्शन के साथ त्रेतायुग के रामलला की प्राणप्रतिष्ठा संपन्न हुई। सरयू नदी की पावन कलकल से अब भी रामधुन की ध्वनियां उठ रही हैं।इसी रामधुन के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छठी बार पलटीमार…

  • अयोध्या मेगा आयोजन के निहितार्थ: एक तीर, निशाने अनेक

    अयोध्या मेगा आयोजन के निहितार्थ: एक तीर, निशाने अनेक

    अयोध्या में विराट भव्यता के वातावरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गर्भगृह में रामलला की मोहक मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा और नए युग के आरंभ की गर्जना को राष्ट्रीय घटना के साथ साथ वैश्विक प्रतिघटना के रूप में निरंतर प्रस्तुत किया जा रहा है। मीडिया के अनुसार रोज लाखों भक्त और पर्यटक इस नगरी में पहुंच…

  • जरूरत है धन और मुनाफा के मजनुओं की 

    जरूरत है धन और मुनाफा के मजनुओं की 

    किसी हिंदी चैनल पर ग़ज़ब का एक इश्तिहार पर्दे पर उभरता है। दो जुमले पर्दे पर गूंजते हैं और दर्शकों को अपनी तरफ बरबस खींच लेते हैं। कान जुमलों के आशिक़ बन जाते हैं। चुंबकीय जुमले हैं: हम सबको धन से प्यार है, हम मुनाफ़ा पसंद करते हैं। सतही दृष्टि से देखने पर दोनों जुमलों में कोई खोट दिखाई…